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संप्रग का काला अध्यायअंक-सन्दर्भ थ्4 अक्तूबर,2009आवरण कथा के अन्तर्गत श्री जितेन्द्र तिवारी की रपट “फांसी मत लटकाओ, फांसी पर लटकाओ” का सन्देश बड़ा अच्छा है। राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को फांसी की सजा पाए सभी आतंकवादियों एवं अपराधियों की क्षमा-याचना पर तुरन्त विचार करना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 72 के अन्तर्गत राष्ट्रपति को असीमित अधिकार प्राप्त हैं। श्रीमती पाटिल अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सरकार को इस सम्बंध में दिशा-निर्देश दे सकती हैं। यदि फांसी के मामले लटकते रहें, तो फिर कोई बड़ी आतंकी घटना हो सकती है। फांसी की सजा पाए आतंकवादियों को फांसी देने से आतंकवादियों के बीच भय पैदा होगा। सरकार से यह भी कहना है कि मानवाधिकारों की आड़ में वोट की फसल मत काटो।-सूर्यप्रताप सिंह सोनगराकांडरवासा, रतलाम (म.प्र.)द सजा पाए आतंकवादियों को सजा न देकर संप्रग सरकार अपने इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ रही है। एक ओर यह सरकार मौत की सजा पाए आतंकवादी अफजल गुरु को जेल में बिरयानी खिला रही है, तो दूसरी ओर बोफर्स की दलाली खाकर पूरी दुनिया में घूमने वाले क्वात्रोच्ची को बरी कर रही है। सीबीआई न्यायालय को बता रही है कि क्वात्रोच्ची के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। कौन नहीं जानता कि सीबीआई सरकार की इच्छानुसार ही काम करती है। क्वात्रोच्ची को छुड़ाने की साजिशें सरकारी स्तर पर रची गर्इं। यह देश के साथ द्रोह है। यदि कांग्रेस सच में राष्ट्रवादी होती तो वह तुरन्त अफजल को फांसी पर चढ़ाती और क्वात्रोच्ची के विरुद्ध साक्ष्य जुटाती।-राममोहन चन्द्रवंशी विट्ठल नगर, स्टेशन रोड, टिमरनी, हरदा (म.प्र.)इतिहास से सबक लोश्री देवेन्द्र स्वरूप का लेख “भारत विभाजन पर पाकिस्तानी लेखन” तीन पुस्तकों का निचोड़ है। यह तथ्यात्मक बात है कि दमन-शमन के द्वारा इस्लाम दुनियाभर में फैला। आज भी वही नीति जारी है। पुरानी घटनाओं को पढ़ने-समझने की फुर्सत किसके पास है? किन्तु हम आज की घटनाओं को भी खतरनाक तरीके से नजरअंदाज करते जा रहे हैं। बंगलादेशी घुसपैठिए किशनगंज में बहुसंख्यक हो चुके हैं और किशनगंज से सटे अररिया, कटिहार, पूर्णिया आदि जिलों में हिन्दुओं के बराबर होने जा रहे हैं। किन्तु सरकारें चुपचाप बैठी हैं। इतिहास से सबक लो, वरना फिर भूगोल सिकुड़ेगा।-हरेन्द्र प्रसाद साहानया टोला, कटिहार (बिहार)चीन और पाकिस्तान का षड्यंत्रश्री आलोक गोस्वामी का आलेख “षड्यंत्री ताने-बाने का कच्चा चिट्ठा” एक ऐसा सशक्त दस्तावेज है जो पाकिस्तान के कुटिल मंसूबों का तो पर्दाफाश करता ही है, साथ ही उसके कुख्यात परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान के कारनामों का भी खुलासा करता है। इसी कादिर खान ने पाकिस्तानी हुक्मरानों और आईएसआई सहित पाकिस्तानी सेना के इशारे पर उत्तर कोरिया, ईरान और लीबिया को परमाणु तकनीक से अवगत कराया था। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि पाकिस्तान चीन की सहायता से दुनियाभर की शांति के लिए खतरा बना हुआ है। हकीकत यह भी है कि भारत के प्रति चीन और पाकिस्तान के इरादे कभी भी नेक नहीं रहे। हम हिन्दी-चीनी भाई-भाई के गीत गाते रहे और चीन ने 1962 में विश्वासघात का ऐसा नश्तर लगाया जिसकी कसक आज तक बनी हुई है।-आर.सी.गुप्तानेहरू नगर, गाजियाबाद (उ.प्र.)कांग्रेसी छलश्री अरुण कुमार सिंह का लेख “सादगी का छलावा” कांग्रेसी छल को क्रमवार प्रस्तुत करता है। कांग्रेसी यह नारा लगाते अघाते नहीं कि “कांग्रेस का हाथ, गरीबों के साथ।” किन्तु इनके ही मंत्री भाई एक दिन का लाख-लाख रु. किराया देकर होटल में रह रहे थे। मामला उजागर होने पर बेशक ये लोग और कहीं रह रहे हों, पर यह घटना उनकी मानिसकता बताने के लिए काफी है। नेताओं को समझना चाहिए कि मंत्री बनने के बाद अनाप-शनाप खर्च करना और करोड़ों की सम्पत्ति जमा करना देशद्रोह है।-जैनेन्द्र सिंह चौहानकैलाशपुरी, बुलन्दशहर (उ.प्र.)ज्ञानवद्र्धक लेखचर्चा सत्र में श्री शंकर शरण का लेख “कांग्रेस-कम्युनिस्ट बौद्धिक मोर्चाबंदी” ज्ञानवद्र्धक रहा। इसके लिए लेखक का अभिनन्दन। ऐसे लेख पाञ्चजन्य में नियमित प्रकाशित हों।-मिहिर नरेशचन्द्र पारेखनवाफलिया बारडोली, जिला-सूरत (गुजरात)भारत को हुंकारना होगाइतिहास के आईने में देखने से स्पष्ट होता है कि इस्लाम का भारत आगमन आतंकियों के रूप में ही हुआ था। तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य को तहस-नहस करने वाले हूणों को इतिहास के पृष्ठों से मिटाकर गर्वोन्नत भारत अपनी सीमा पार की रणनीति के संबंध में पूरी तरह उदासीन हो गया था। इसी कारण उन्नत अस्त्र और रणनीति के साथ आया इस्लाम भारत को पदावनत करने में सक्षम हो गया। इस्लामिक अत्याचारों की कथाओं से भारत का इतिहास पटा पड़ा है। वोट बैंक या पंथनिरपेक्षता के नाम पर इनका विस्मरण राष्ट्रीय भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के बराबर होगा। इसकी चर्चा का अर्थ आम मुसलमान का विरोध नहीं है। आतंकी मुस्लिमों के साथ उनकी बेगमें भारत नहीं आयी थीं। हिन्दू माताओं के गर्भ से ही आज के अधिसंख्य मुसलमानों का जन्म हुआ। बहुत से मुसलमान इस तथ्य का सम्मान करते हैं। उनमें से किसी का विरोध नहीं है। भारत विभाजन के पूर्व 16 अगस्त 1946 को कलकत्ता में मुस्लिम लीग का “डायरेक्ट एक्शन”, जिसमें हजारों हिन्दुओं का कत्लेआम हुआ था, पाकिस्तान बनने के हक में एक आतंकी आंदोलन ही था। पाकिस्तान बनने पर इस्लामी आतंक के खिलाफ सात सौ साल लड़ने वाले असंख्य वीरों के बलिदानों का अपमान हुआ और देश की एक तिहाई भूमि इस्लाम को सहज सरल रूप में प्राप्त हो गयी। इसके लिए वह नेतृत्व उत्तरदायी था जो सत्तासुख की सुविधाओं को मातृभूमि के विभाजन से अधिक महत्वपूर्ण मानता था। विभाजन के बाद पूर्व-पश्चिम पाकिस्तान के हिन्दुओं की जो दुर्गति हुई उसकी कथाएं सर्वज्ञात हैं। पाकिस्तान बनने के बाद मुस्लिम लीग का नारा था- हंस के लिया पाकिस्तान, लड़के लेंगे हिन्दुस्तान।” (नेहरू मंत्रिमण्डल में मंत्री रहे श्री गाडगिल ने भी अपनी एक पुस्तक में इस नारे का उल्लेख किया है।) वर्तमान काल में कश्मीर से हिन्दुओं के निष्कासन का मामला या कश्मीर की साम्प्रदायिक अस्थिरता या संसद पर आक्रमण या मुम्बई का हमला आदि सभी इस बात की गवाही देते हैं कि “लड़के लेंगे हिन्दुस्तान” की भावना के अनतर्गत ही इस्लाम सक्रिय है। आखिर इस षड्यंत्र के विरुद्ध हमारी रणनीति क्या है? भारत को अखण्ड बनाना हमारी सर्वोच्च रणनीति होनी चाहिए। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की मुक्ति हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। सेना में कहावत है- “हर बात को संदेह की दृष्टि से देखें”। आज के पाकिस्तान-तालिबान का युद्ध संदेह की दृष्टि से देखे जाने योग्य है। तालिबान भाग रहे हैं, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और नेपाल में घुसकर जान बचाना चाह रहे हैं, जैसी बातों का यह निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए कि नकली युद्ध के जरिये पाकिस्तान स्वयं साधु बनकर तालिबान की घुसपैठ कराकर भारत को इस्लामिक घेरे में लेने हेतु एक सूक्ष्म षड्यंत्र कर रहा है। सन् 1971 में भारतीय वीरों के खून से बंगलादेश पाकिस्तान से मुक्त हुआ। आज वह भी हमें आंखें दिखा रहा है। आज वहां हिन्दू असुरक्षित और अपमानित हैं और चीन की चरण सेवा जोरों पर है। बंगलादेश के कारण चीन हमारे बहुत करीब रहकर हमें नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है। राजनीति किसी सन्यासी के मठ की दयाधर्म की नीति नहीं होती। राजनीति के साथ किसी राष्ट्र के जीने-मरने का सवाल जुड़ा रहता है। सहनशीलता की सीमा होनी चाहिए। अपने पास एक अजेय सेना रहते हुए किसी आतंकी शिविर पर प्रतीकात्मक रूप में भी एक गोली न दागना सहनशीलता की ऊंचाई से अधिक राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव और डरपोकपन का प्रदर्शन अधिक करता है। भारत को समय विशेष पर हुंकारने की आदत डालनी होगी। सरदार पटेल ने जयपुर में एक बार हुंकारा था। उन दिनों पाक में दंगे हो रहे थे। सरदार ने कहा था “दंगे अविलंब बंद हों। पाकिस्तान को जानना चाहिए भारत में 9 करोड़ मुसलमान बंधक हैं।” दंगे तुरंत बंद हो गये थे।-डा. प्रणव कुमार बनर्जीपेंड्रा, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)हर सप्ताह एक चुटीले, ह्मदयग्राही पत्र पर 100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।-सं.पिछले दिनों जम्मू के एक हिन्दू युवक “रजनीश” ने श्रीनगर की एक मुस्लिम लड़की “अमीना” के साथ प्रेम-विवाह किया था। किन्तु कश्मीर की पुलिस एक रात रजनीश को पकड़कर श्रीनगर ले गई और वहां उसकी इतनी बर्बरतापूर्वक पिटाई की गई कि उसकी मौत हो गई। जो सेकुलर मीडिया “हर कीमत पर खबर देने” का दावा करता है, वह इस काण्ड पर पूरी तरह चुप रहा। किन्तु इस काण्ड को लेकर हिन्दुओं में आक्रोश है और वे इस संबंध में कई सवाल कर रहे हैं। पंजाब की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुश्री लक्ष्मीकान्ता चावला ने इस काण्ड को लेकर प्रधानमंत्री और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के नाम पत्र भेजे हैं। यहां जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के नाम भेजे गए पत्र को प्रकाशित किया जा रहा है। -सं.मुख्यमंत्री जवाब दें!आपके राज्य का एक युवक श्रीनगर में तड़पा-तड़पा कर मारा गया और उसकी पत्नी, मां और परिवार जम्मू में तड़प रहा है तो मुख्यमंत्री यह न जानते हों, संभव नहीं। मेरा आपसे यह निवेदन है कि जिस राज्य की पुलिस द्वारा रजनीश मारा गया है उसी से इस काण्ड की जांच करवाना अन्याय है। रजनीश कत्ल कांड की जांच सीबीआई को सौंपिए। जिनकी हिरासत में यह मारा गया है उन्हें सलाखों के पीछे भेजिए, नौकरी से मुअत्तिल करें। और उसकी पत्नी अमीना (अब आंचल) के परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इनकी रोटी-रोजी का भी प्रबंध आपकी सरकार करे। आंचल के भाइयों ने पुलिस के साथ मिलकर यह काला काम करवाया है। ऐसा उस युवती का आरोप है। उनके लिए भी सजा यह परिवार मांग रहा है। सबसे पहले यह बताइए कि क्या अंतरजातीय और अंतर्सम्प्रदाय विवाह करना अपराध है? कम से कम आपका परिवार तो इसे अपराध नहीं मानता होगा जिसका दामाद और बहू गैर मुस्लिम हैं। अगर मानता होता तो खुद ऐसा काम न करता। क्या रजनीश के जीवन की रक्षा करना सरकार का काम नहीं था? क्या उसके कातिलों को सजा देना न्याय की मांग नहीं है? सुना है आपकी पुलिस उस युवती को तीन लाख रुपया देकर खामोश करना चाहती है, जिसे उस लड़की ने बहादुरी से ठुकरा दिया। आप तो नई पीढ़ी के प्रतिनिधि माने जाते हैं, तो इस नई पीढ़ी के साथ ऐसा मध्ययुगीन अन्याय क्यों? केवल रजनीश का परिवार नहीं, पूरा देश आपसे उत्तर चाहता है।क्या नमन किया?धूम धड़ाके से हुई, दीवाली सम्पन्न खील बताशे खा हुए, सबके ह्मदय प्रसन्न। सबके ह्मदय प्रसन्न, मगर क्या नमन किया था उस माटी को, जिससे सुंदर दीप बना था? कह “प्रशांत” भारत माता की लाज बचाई सीमा के उस प्रहरी को क्या मिली बधाई?-प्रशांतपञ्चांगवि.सं.2066 – तिथि – वार – ई. सन् 2009 कार्तिक शुक्ल 14 रवि 1 नवम्बर, 09 कार्तिक पूर्णिमा(श्रीगुरुनानक जयंती) – सोम 2 ” मार्गशीर्ष कृष्ण 1 मंगल 3 ” ” 2 बुध 4 ” ” 3 गुरु 5 ” ” 4 शुक्र 6 ” ” 5 शनि 7 ” 16
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