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उत्तर प्रदेश का राजनीतिक मैदान भाजपा के लिए काफी अनुकूल हो गया है। एक तरफ केन्द्र की कांग्रेसनीत सरकार के साथ सपा की जुगलबंदी है, जिससे उसे प्रदेश में कांग्रेस के प्रति उपजे असंतोष का सामना करना पड़ेगा। दूसरी ओर सत्तारूढ़ बसपा है जिसे सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा। भाजपा ने अगर सुनियोजित वैचारिक प्रतिबद्धता और संगठनात्मक कौशल का परिचय दिया तो इसका लाभ उसे अवश्य मिलेगा।पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था। 80 सीटों में से उसे मात्र 10 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा और सपा, बसपा के बाद वह तीसरे क्रम पर आ गयी। हालांकि कांग्रेस की अधिक दुर्गति हुई थी। उसे नौ सीटें मिली। अमरनाथ भूमि मामले पर सामने आया जनाक्रोश, रामसेतु पर केन्द्र सरकार की हिन्दू विरोधी नीति और बंगलुरु तथा अमदाबाद में सिलसिलेवार धमाकों के कारण केन्द्र सरकार के प्रति उत्पन्न हुए देशव्यापी क्षोभ को एक दिशा देनी होगी। इन मुद्दों पर भाजपा और उसके वैचारिक समानता रखने वाले सहयोगी दलों द्वारा खुला विरोध और राष्ट्रवादी सोच से फायदा ही होने वाला है। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा ने इन मुद्दों पर जो धारदार रणनीति अपनाई है, उत्तर प्रदेश भाजपा को उसे जन-जन तक ले जाना होगा। सूत्रों के अनुसार प्रदेश भाजपा ने उसकी काफी गंभीर तैयारी की है। वह पार्टी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर चलाये जा रहे भंडाफोड़ अभियान को धारदार तरीके से अंजाम दे रही है। पार्टी पूरे प्रदेश में एक हजार से अधिक छोटी-बड़ी सभा करेगी। उसकी शुरूआत हो चुकी है। इसका जिम्मा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन को सौंपा गया है। लालजी टंडन ने कहा है कि रैलियां हमारी चुनावी तैयारियों का हिस्सा है। हम इस तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम लोकसभा चुनाव की घोषणा होने तक करते रहेंगे। हमारा पूरा प्रयास होगा कि पार्टी के कार्यकर्ता नीचे से ऊ‚पर तक पूरी तरह एकजुट होकर राष्ट्रवादी मुद्दों पर संघर्ष करें। लखनऊ प्रतिनिधि26
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