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26 नवम्बर की रात को मुम्बई वासी दिनभर की थकान मिटाने के लिए बिस्तर पकड़ने ही वाले थे कि आतंकी हमले की खबर आने लगी। हर कोई टीवी के सामने बैठ गया। दहशत के मारे लोगों की आंखों से नींद गायब हो गई। टीवी के सामने बैठे-बैठे ही सुबह हो गई, पर लोग घर से बाहर नहीं निकले। मांओं ने अपने लाडलों को स्कूल जाने के लिए जगाया नहीं और जो लोग सुबह ही दफ्तर के लिए निकलते थे वे घर से बाहर भी नहीं निकले। इस कारण सड़कें सूनी रहीं, दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा, लोकल ट्रेनों में इक्के-दुक्के लोग ही देखे गए। सड़कों पर पुलिस और सेना की गाड़ियां और एम्बुलेंस सायरन बजाती दौड़ती रहीं, फायर ब्रिागेड की गाड़ियों की आवाज गूंजती रही और ऊपर वायुसेना के हेलीकॉप्टर चक्कर लगाते रहे। तीन अन्तरराष्ट्रीय उड़ानें भी रद्द हुर्इं। दक्षिण मुम्बई में तो कफ्र्यू जैसी स्थिति रही। सच कहा जाए तो मुम्बई की इस घटना से न केवल मुम्बई वासी, बल्कि पूरा देश सकते में है। हर कोई सवाल कर रहा है कि आखिर देश असुरक्षा के साये में कब तक रहेगा? आमजन की इस मनस्थिति को समझकर ही शायद प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को किसी आतंकवादी घटना के संदर्भ में पहली बार देश को सम्बोधित करना पड़ा। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि मुम्बई में हुए विस्फोट और गोलीबारी में शामिल आतंकवादियों के अड्डे विदेश में हैं। वे एक सोची समझी साजिश के तहत भारत की व्यापारिक राजधानी में तबाही के लिए आए थे। हम अपने पड़ोसी देशों से दृढ़तापूर्वक कहेंगे कि भारत के विरुद्ध हमले में वे अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने दें। भारत ऐसी किसी भी कार्रवाई को सहन नहीं करेगा। संकट की इस घड़ी में वरिष्ठ भाजपा नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी भी सरकार के साथ दिखे और उन्होंने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए हर कदम में वे सरकार का सहयोग करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध पूरे देश को एक हो जाना चाहिए। मुम्बई में हुआ हमला पहले के आतंकवादी हमलों से अलग है। इसलिए इस मुद्दे पर अब राजनीति नहीं होनी चाहिए। किंतु इस हमले के लिए केन्द्र की संप्रग सरकार और महाराष्ट्र की कांग्रेस-एन.सी.पी.सरकार को जवाब जरूर देने होंगे।7
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