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सफलता के रहस्यव् पुस्तक में लेखक रमेश चन्द्र मल्होत्रा ने अच्छाई की तरफ ले जाने वाले दर्जनों रास्तों को छोटे-छोटे कुल 90 लेखों के माध्यम से दर्शाया है। लेख छोटे-छोटे जरूर हैं मगर उनमें गहराई है। उन्हें उपदेश रूप में नहीं, प्राय: उदाहरण द्वारा प्रस्तुत किया गया है। लेख सैद्धान्तिक-मात्र नहीं वरन् प्रयोग-सिद्ध हैं। लेखक ने अनुभव का सार रख दिया है। फिर भी अच्छाई की राह पर चलने वालों पर यह निर्णय छोड़ दिया है कि वे इसका कितना लाभ उठा पाते हैं।आपाधापी भरे जीवन में हमारी खुशहाली दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है। प्राय: आदमी एकाकी और बेचैन नजर आता है। क्या है इससे बचने का उपाय! लेखक की मानें तो, “एक छोटी सी आदत से खुशहालीव् जीवन में उतर आती है। फिजूलखर्ची से बचकर बचत करने की आदत डालें, बचत के मुताबिकआवश्यकतानुसार ही खर्च करें। कागज, आलपिन, कपड़ा इत्यादि का पुनप्र्रयोग करें। अकर्मण्यता से बचिए। कर्मशील बनकर स्वयं और इसके पश्चात समाज का भला करिए। भलाई का फल सर्वदा मीठा होता है। प्राप्त आशीर्वाद हमारे मन को ही नहीं वरन् शरीर को भी स्वस्थ रखता है।व्लेखक के अनुसार सफल होने का एक सूत्र है- “जीवन में हमेशा कुछ-न-कुछ सीखते रहिए।व् शीर्षक “सीखने की कोई उम्र नहीं होतीव् में लेखक ने इसके महत्व को उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत किया है कि किस प्रकार बाल्मीकि, कालिदास और तुलसीदास जैसे साधारण मनुष्य कालजयी साहित्यकार बन गए। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को सीखते रहना चाहिए। सीखने के दौरान बार-बार असफलता हाथ लगती है। अगर “असफलता को अधिक महत्व न देंव् की लेखक की सलाह मार्मिक है। सीखते-सीखते मनुष्य एक दिन ज्ञानवान वन जाता है। इसके बाद भी अपने ज्ञान को अधिक मत मानिए क्योंकि इससे अहंकार बढ़ता है जो अच्छाई के मार्ग में बाधा बनता है।लेखक ने व्यावहारिक और जीवनोपयोगी तथ्यों, विचारों को सहज-सरल तरीके से रखा है। सफलता के सूत्रों को स्पष्ट किया है। व्यावहारिक जीवन में प्राय: प्रश्नकर्ता प्रश्न को लम्बा और उलझावपूर्ण बना बैठते हैं तो प्राय: उत्तरदाता भी उत्तर को इतना विस्तारित कर डालते हैं कि प्रश्नकर्ता उलझन में पड़ जाता है। इसीलिए लेखक की सलाह है कि, “यदि सवाल भी कायदे का हो और जवाब भी, तो सामाजिकों के बीच का रिश्ता सामाजस्यपूर्ण और मधुर रहता है।व्पुस्तक का नाम : सफलता के रहस्य लेखक : रमेश चंद्र मल्होत्रा संपादक : रमेश नैयर प्रकाशक : ज्ञान गंगा, 205 सी, चावड़ी बाजार, दिल्ली-110006 पृष्ठ : 120 – मूल्य : 125 रुपएपुस्तक समीक्षक : अजय कुमार मिश्र24
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