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गत 6 जून को बागलकोट में महाराणा प्रताप का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मां भवानी की पूजा-अर्चना-अभिषेक, महाराणा के तैलचित्र के साथ भव्य शोभा यात्रा भी निकाली गई। इस अवसर पर सार्वजनिक सभा का आयोजन भी किया गया। प्रतिनिधिदेहरादून की पहली शाखा के स्वयंसेवकजितेन्द्र गोयल नहीं रहेराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, देहरादून विभाग के संघचालक जितेन्द्र गोयल का गत 22 जून की देर शाम निधन हो गया। उनके निधन के समाचार से संघ परिवार तथा सामाजिक क्षेत्रों में शोक का वातावरण व्याप्त हो गया। श्री गोयल के निधन की सूचना मिलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भुवनचंन्द्र खण्डूरी, पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानन्द स्वामी, संघ के प्रांत कार्यवाह शशिकांत गोयल, जिला संघचालक दयाचंद जैन सहित सभी वरिष्ठ कार्यकर्ता उनके आवास पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। सोमवार (23 जून) को लक्खीबाग में उनका अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ जिसमें संघ तथा विविध क्षेत्रों के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।स्वयंसेवकों के बीच “ताऊ जी” के आत्मीयतापूर्ण सम्बोधन से सुविख्यात श्री जितेन्द्र गोयल का जन्म 01 जनवरी, 1920 को हुआ था। बाल्यकाल में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका नाता जुड़ गया। देहरादून में लगने वाली संघ की पहली शाखा के स्वयंसेवक जितेन्द्र जी स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय रहे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया लेकिन उसका कभी प्रचार नहीं किया। हिन्दुत्व तथा संघ को समर्पित श्री गोयल अजन्ता स्टूडियो के नाम से फोटोग्राफी के व्यवसाय के साथ-साथ समाज सेवा में जुटे रहे। आपातकाल में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा तो उन्हें छह माह की जेल हुई। जेल से छूटने के बाद वे और अधिक सक्रियता से संघ कार्य में जुटे और अंतिम समय तक संघ को समर्पित रहे। गत 12 जून को उनका स्वास्थ्य खराब हुआ और नगर के प्रतिष्ठित चिकित्सालय में स्वास्थ्य लाभ हेतु भर्ती हुए जहां 22 जून की रात 11.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके बड़े बेटे सुधीर गोयल, जो आईआईआरएस में वरिष्ठ वैज्ञानिक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, ने उनका अंतिम संस्कार किया। उनकी सामाजिक विरासत को उनके छोटे बेटे शशिकांत गोयल आगे बढ़ा रहे हैं।समय पर पहुंचना, प्रमुख कार्यकर्ताओं की प्रत्येक प्रकार की चिंता करना और सदैव प्रसन्न मन-ठहाका लगाकर हंसने की “ताऊ जी” की छवि कार्यकर्ताओं को अति प्रिय थी। देहरादून का प्रत्येक कार्यकर्ता कभी भी अपने मन की बात, दु:ख-सुख की चर्चा “ताऊजी” से सहज ही कर सकता था। स्व. जितेन्द्र गोयल देहरादून में संघ कार्य के आधार स्तम्भ थे। उनके निधन को सभी कार्यकर्ताओं ने अपूरणीय क्षति कहा है।26
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