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अजय श्रीवास्तवचेहरा दमकने लगादुनिया भर में होंठ, नाक और तालू की विकृति वाले लाखों बच्चे सारी जिन्दगी यह अभिशाप झेलने को मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें प्लास्टिक सर्जरी से इसके सफल इलाज की जानकारी नहीं है। हमारे देश में भी कमोबेश यही परिस्थिति है। सुविधाओं की कमी और गरीबी के कारण हिमाचल प्रदेश में ऐसे बच्चों की काफी बड़ी संख्या थी जो प्लास्टिक सर्जरी से वंचित रह जाते थे। लेकिन “स्माइल ट्रेन” ने इस पहाड़ी प्रदेश में इस अभिशाप से पीड़ित अनेक बच्चों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी है। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल, शिमला में अब तक अनेक बच्चों के चेहरे की विकृति दूर की गई है। इसका सारा खर्च अमरीका की संस्था “स्माइल ट्रेन” ने उठाया है।चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार हर एक लाख बच्चों में 100 बच्चे जन्म से ही होंठ, नाक या तालू की विकृति से ग्रस्त होते हैं। गर्भवती माता को वायरल बुखार या आनुवांशिक के अलावा कुछ अन्य कारण भी होते हैं जिनसे बच्चों में यह विकृति आ जाती है। एक अनुमान के अनुसार इस पहाड़ी प्रदेश में करीब सात हजार बच्चे और व्यस्क इस विकृति के शिकार होंगे। ऐसे बच्चों की संख्या अभी तक नगण्य थी जिन्होंने प्लास्टिक सर्जरी के जरिए अपनी इस कुरूपता से छुटकारा पाया हो।शिमला के दूरदराज क्षेत्र चौपाल की 11 वर्षीय सुनीता को अपने कटे होंठ के कारण बोलने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उसके पिता नरेश चौहान कहते हैं कि उन्हें अब पहली बार पता चला कि इसका इलाज संभव है। वे अब निÏश्चत हैं क्योंकि इलाज का खर्चबिलासपुर की एक विधवा महिला की एक वर्ष की बच्ची शशि के होंठ में आपरेशन के बाद उसके चेहरे पर आया परिवर्तन साफ महसूस किया जा सकता है। बच्ची की मां डाक्टरों और सर्जरी का खर्च उठाने वालों को दुआएं देते नहीं थकती है।यह संयोग ही कहा जाएगा कि “स्माइल ट्रेन” पहाड़ तक पहुंच गई। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. दयाल चौहान की भेंट एक सेमिनार में अमरीकी संस्था “स्माइल ट्रेन” के भारतीय प्रतिनिधि आशीष सभरवाल से हुई थी। श्री सभरवाल ने बातचीत में प्रस्ताव दिया कि हिमाचल प्रदेश में भी उनकी संस्था प्लास्टिक सर्जरी से बच्चों एवं व्यस्कों के होंठ, तालू और नाक ठीक करने में सहयोग दे सकती है। इसके बाद डा. चौहान ने अपने विभागाध्यक्ष डा. वी.के. दीवाना और मेडिकल कालेज के पिं्रसिपल डा. सुरेन्द्र कश्यप से चर्चा की। यहां से “स्माइल ट्रेन” को प्रदेश में लाने की रूपरेखा बनी और राज्य सरकार की मंजूरी के बाद पिछले वर्ष अगस्त में ये आपरेशन शुरू किए गए। एक सर्जरी पर 15 हजार रुपए तक का खर्च होता है जो यह संस्था ही वहन करती है। अभी तक पांच दर्जन आपरेशन किए जा चुके हैं। ये आपरेशन डा. दीवाना और डा. दयाल करते हैं।डा. दयाल चौहान के अनुसार कटे हुए तालू वाले बच्चों की प्लास्टिक सर्जरी डेढ़ वर्ष या उससे ज्यादा आयु होने पर ही की जा सकती है। जबकि होंठ कटा होने पर आपरेशन 3 महीने से छह महीने की उम्र के बीच भी किया जा सकता है। फिलहाल ये सुविधा 40 वर्ष तक के लोगों के लिए उपलब्ध है। मनोविज्ञानी डा. सोनिया वत्स के अनुसार “यदि सर्जरी न हो तो ऐसे बच्चे हीनभावना के शिकार होकर खुद को तिरस्कृत समझने लगते हैं। इससे उनकी शिक्षा व अन्य गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ता है।” लेकिन हिमाचल के बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने का यह प्रयास काफी सफल साबित हो रहा है।20
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