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माई एहड़ा पूत जण, जेहड़ा हेमू कालाणी-वासुदेव “सिन्धु-भारती”मुम्बई का ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान)। 8 अगस्त, 1942 का ऐतिहासिक दिन। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन। महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो” और “करो या मरो” का शंखनाथ करके स्वाधीनता के आंदोलन को प्रबल दिशा दे दी। समूचे देश में क्रांति की लहर दौड़ गई। अविभाजित भारत के सिन्ध प्रदेश में तो यह लहर ज्वार भाटा बन गई। जोश व जुनून के ज्वालामुखी का मानो लावा बह निकला।साहसी सेनानी की योजनाहेमू कालाणी-सिन्ध के सक्खर शहर के “स्वराज्य सेना” का साहसी सेनानी। आयु केवल 19 वर्ष। हौंसलाउम्र कैद की सजा फांसी में बदलीविवश होकर ब्रिटिश प्रशासन ने मार्शल लॉ कोर्ट में हेमू पर मुकदमा चलाकर उसे उम्र कैद की सजा दिलवा दी। लेकिन देशभक्तों के कट्टर शत्रु मार्शल लॉ कमांडर रिचर्डसन ने उम्र कैद की सजा को पर्याप्त न मानकर उसके स्थान पर हेमू को फांसी देने की सजा का फरमान जारी करके कहर बरपा कर दिया। समूचा प्रदेश अचम्भित रह गया। कई नेताओं एवं गण्यमान्य व्यक्तियों ने किशोर छात्र हेमू को जीवनदान दिलवाने के लिए प्रयत्न किए, किन्तु कमांडर रिचर्डसन अपने इस क्रूरतापूर्ण निर्णय पर अडिग रहा।अंतत: 21 जनवरी, 1943 को भारत माता के निर्भीक सपूत हेमू कालाणी को फांसी-स्थल पर लाया गया तो वह शेर की भांति दहाड़ उठा-“इंकलाब जिन्दाबाद!…भारत माता की जय!” पल भर के लिए वहां की दीवारें भी थर्रा उठीं।इशारा पाते ही जल्लाद ने उसके पैरों तले से तख्ता निकाल दिया। किशोर क्रांतिकारी हेमू कालाणी अपना बलिदान देकर देश के स्वतंत्रता संग्राम की नींव को और मजबूत कर गया।हेमू की स्मृति में डाक टिकट व प्रतिमाऐसे निर्भीक शूरवीर की पावन स्मृति में 18 अक्तूबर, 1983 को नई दिल्ली के विशाल21 अगस्त, 2003 को संसद के प्रांगण में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हेमू की 10 फीट ऊंची धातु की प्रतिमा का अनावरण कर देश पर मर मिटने वालों का गौरव बढ़ाया।हेमू पर फिल्मचिल्ड्रंस फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया (मुम्बई- विभिन्न भारतीय भाषाओं में बच्चों के लिए फिल्में बनाती है। इसी क्रम में सोसाइटी ने वर्ष 2003 में शहीद हेमू कालाणी के अमर बलिदान पर सिन्धी भाषा में 25 मिनट की बाल फिल्म बनवाकर किशोर सेनानी की स्मृति की दीपशिखा को आलोकित कर दिया। देश के अनेक नगरों में हेमू की प्रतिमाएं स्थापित हैं। हरिद्वार के प्रसिद्ध “भारत माता मन्दिर” में भी हेमू की आदमकद प्रतिमा मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ा रही है। हेमू के नाम से अनेक पार्क, चौक, मार्ग, स्मारक एवं संस्थाएं भी हैं। हम प्रतिवर्ष 23 मार्च को हेमू की जयंती तथा 21 जनवरी को बलिदान दिवस मनाकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं।स्मृति भवनमहानगर मुम्बई के उपनगर चेम्बूर में स्थित “अमर शहीद हेमू कालाणी यादगार मंडल” की ओर से 3000 वर्ग फीट के क्षेत्र में एक बहुमंजिलें विशाल स्मृति-भवन का निर्माण कार्य जारी है, जिसमें कई बहुउद्देशीय योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में हेमू कालाणी का यह प्रथम भव्य स्मारक सिद्ध होगा।15
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