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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह की चेतावनीकिसान डूबा तो देश को कोई नहीं उबार पाएगाभारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह द्वारा महाराष्ट्र में गत 10 व 11 जनवरी को की गयी दो दिवसीय किसान यात्रा अभूतपूर्व रूप से सफल रही। यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार श्री श्रीनिवास वैद्य ने उनसे कृषि और किसानों की समस्याओं पर लंबी वार्ता की थी। यहां आलेख रूप में प्रस्तुत है उस वार्ता में श्री राजनाथ सिंह द्वारा व्यक्त विचारों के मुख्य अंश-सेवाग्राम (वर्धा) से किसान यात्रा का प्रारंभ करने का एक ऐतिहासिक कारण है। यह स्थान महात्मा गांधी की चरणधूलि से पवित्र हुआ है। गांधी जी ने ब्रिटिश शासनकाल में भी किसानों का सर्वप्रथम नेतृत्व किया था। इस भूमि का वंदन कर मैंने किसान यात्रा को प्रारंभ किया। दुर्भाग्य से इसी महाराष्ट्र प्रदेश में किसानों ने सर्वाधिक आत्महत्याएं की है। मेरी यात्रा का उद्देश्य यह था कि मैं मानसिक रूप से टूट चुके किसानों को भरोसा दिलाऊ‚ं कि वे अकेले नहीं हैं। अपनी किसान यात्रा के दौरान मैंने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसानों की समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान न होने तक भाजपा उनके साथ रहेगी। हमारी पूरी कोशिश है कि कड़ी मेहनत करके, अन्न उपजा कर लोगों का पोषण करने वाले अन्नदाता हिम्मत न हारें। कुछ भी हो जाए, किसान आत्महत्या न करें। इसीलिए मैंने इस विदर्भ क्षेत्र को यात्रा के लिए चुना, जहां किसानों ने सर्वाधिक आत्महत्याएं की हैं।इस क्षेत्र का स्वयं प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह जी ने भी दौरा किया था। अनेक बड़ी-बड़ी घोषणाएं भी कीं। पर किसानों द्वारा आत्महत्या का सिलसिला थमा नहीं। इस क्षेत्र के लिए विशेष मदद की घोषणा से किसानों को कुछ उम्मीद बंधी थी, वह भी टूटती नजर आ रही है।दरअसल किसानों की जो समस्याएं हैं उसके लिए पूरी तरह से कांग्रेस और उसकी सरकारें ही जिम्मेदार हैं। महाराष्ट्र एवं केन्द्र में सर्वाधिक समय तक कांग्रेस ही सत्ता में रही। उसने कभी कोई स्पष्ट कृषि नीति नहीं बनायी, कांग्रेस की गलत नीतियों का ही दुष्परिणाम है कि आज अमीर और गरीब के बीच की खायी गहरी होती चली जा रही है। भले ही देश में औद्योगिक प्रगति कर ली हो, पर जब तक देश का किसान खुशहाल नहीं होगा तब तक इस देश का वास्तविक विकास संभव ही नहीं है। इस देश का सबसे बड़ा ग्राहक किसान ही है। किसान की क्रय शक्ति बढ़ने से ही इस देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी।जब केन्द्र में भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार थी तब हमने कृषि बीमा योजना बनायी थी। इसके अंतर्गत प्रत्येक खेत में पिछले सात वर्षों के दौरान हुई उपज के आधार पर फसल का बीमा निर्धारित किया जाना था। इस बीमा का 75 प्रतिशत केन्द्र सरकार को देना था और शेष 25 प्रतिशत किसानों को। पर वर्तमान कांग्रेस सरकार ने इस पूरी योजना को ही खारिज कर दिया है। हम वादा करते हैं कि केन्द्र में हमारी सरकार आते ही हम फसल बीमा योजना को अवश्य लागू करेंगे।जब मैं केन्द्रीय कृषि मंत्री था तब मेरे ध्यान में एक बात और आयी जिसने मुझे बहुत उद्वेलित किया। वह यह कि इस देश में कार खरीदने के लिए बहुत कम दर पर ब्याज उपलब्ध होता है, जबकि किसान को ट्रैक्टर खरीदने के लिए बहुत ऊंची ब्याज दर पर कर्ज दिया जाता है। यह किसानों के साथ सरासर भेदभाव और अन्याय है। उस समय मैंने केन्द्रीय वित्त मंत्री और रिजर्ब बैंक के अधिकारियों के साथ इस मामले को उठाया और मैंने कहा कि किसानों को ट्रैक्टर खरीदने के लिए मात्र 4 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जाना चाहिए। उस बैठक में उपस्थित कुछ अधिकारियों ने कहा कि इससे सारे बैंक डूब जाएंगे। तब मैंने कहा कि यहां किसान डूब रहा है और आपको बैंकों की पड़ी है। याद रखिए कि यदि इस देश का किसान डूब जाएगा तो फिर पूरा देश भी डूब जाएगा, उसे कोई नहीं उबार पाएगा। पर हमारी सरकार नहीं रही और वह योजना भी धरी की धरी रह गयी। किसानों को पेंशन मिले यह भी हमारी सरकार की योजना थी। हम जब सत्ता में आएंगे तो निश्चित रूप सेजब केन्द्र में भाजपा की सरकार थी तो हमारे देश से अनाज का निर्यात होता था, पर आज गेहूं आयात करना पड़ रहा है। सरकार विदेशों से खरीदे जाने वाले गेहूं को अधिक मूल्य दे रही है। यदि उतना ही मूल्य अपने देश के किसानों को दिया जाए तो किसान अनाज से गोदामों से भर देगा। सरकार के पास गेहूं रखने के लिए जगह नहीं बचेगी। यह स्थिति हमारी सरकार के कार्यकाल में आ चुकी है। हमें भरोसा है कि यदि किसान को उसकी मेहनत का वास्तविक मूल्य मिले तो वह इस देश को स्वाभिमान के साथ खड़ा कर देगा। फिर कभी हमें किसी के सामने हाथ नहीं पसारना पड़ेगा।सेवाग्राम से यवतमाल तक की इस किसान यात्रा में लोगों ने जिस प्रकार भागीदारी की उससे स्पष्ट है कि यहां के किसान बेहद आहत और आक्रोशित हैं। उनका आक्रोश राज्य की सरकार पर अवश्य निकलेगा। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि अगले चुनाव में महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन अवश्य होगा।12
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