ये आतंकवादी नहीं, फसादी हैं
May 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

ये आतंकवादी नहीं, फसादी हैं

by
Feb 11, 2008, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Feb 2008 00:00:00

आतंकवाद और जिहाद पर दैनिक एशियन एज के पूर्व संपादक और वरिष्ठ स्तम्भकार श्री एम.जे. अकबर का गहन अध्ययन है। इस विषय पर उनके कई स्तम्भ प्रकाशित हुए हैं। यहां प्रस्तुत हैं उनसे हुई आलोक गोस्वामी की वार्ता के प्रमुख अंश-देश में आज आर्थिक मंदी है तो दूसरी तरफ बढ़ते आतंकवाद से भय का माहौल बना है। आप इसके पीछे क्या कारण मानते हैं। भय के इस माहौल पर क्या कहेंगे? मैं इसके दो कारण मानता हूं। पहला है हमारे यहां की गरीबी और उससे उपजी हताशा। हमारे यहां गरीबी बरसों बरस से है, यह कोई नई पैदा हुई समस्या नहीं है। लेकिन इसमें इधर कुछ बातें हुई हैं। पिछले 15 साल से हमारी जो अर्थनीतियां हैं उन्होंने एक वर्ग में काफी आशा जगायी है, लेकिन एक दूसरा वर्ग भी है जिसके सामने आशा की कोई किरण नहीं है। इस वजह से इस दूसरे वर्ग में क्रोध बहुत बढ़ गया है। हमारे वित्तमंत्री ने बार-बार कहा कि यह आर्थिक माहौल “ट्रिकल डाउन थ्योरी” है। “ट्रिकल डाउन थ्योरी” यानी जो लोग ऊपरी तबके के हैं, सब ऐशो-आराम से सराबोर हैं उनके लिए तो ये नीतियां फायदे बरसा रही हैं। लेकिन जो कमजोर हैं, गरीब हैं उनके लिए बूंद के समान हैं। जिसे बूंद भर मिल रहा है, वह कितना बर्दाश्त करेगा?इसके साथ ही देश आतंकवाद से भी पीड़ित है। बम विस्फोट हो रहे हैं, लोग मारे जा रहे हैं। आतंकी संजाल बढ़ता जा रहा है।हमारे देश में आज कई किस्म के आतंकवाद हैं। नक्सली हिंसा भी एक किस्म का आतंकवाद है। ये सब भारतीय राज्य के लिए चुनौतियों जैसे हैं। पिछले कुछ समय से हमारे मुल्क से सरकार नाम की चीज गायब हो गई है। हुकूमत बस एक सूत्रीय एजेंडा पर अटक गई है और वह है अमरीका के सामने झुकते रहना। आप अगर किसी जख्म पर तुरंत मलहम लगाने की स्थिति में नहीं होंगे तो वह जख्म बढ़कर कैंसर बन जाएगा। हमारे यहां हालत यह है कि कैंसर हो गया है और सरकार के पास इलाज के नाम पर सिर्फ “बैंड एड” है।आतंकवाद के पीछे क्या कारण है। जिहाद के नाम पर जगह-जगह बम विस्फोट होते हैं, लोगों की हत्याएं की जा रही हैं?मैं बार-बार कहता हूं कि यह जिहाद नहीं, फसाद है। मेरी नजर में जिहाद जहां बिल्कुल सही तौर पर व्याख्यायित हुआ है तो वह तब हुआ है जब महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को यह कहते हैं कि जीवन में कभी ऐसा मौका आता है जब जंग के सिवाय कोई चारा नहीं रहता। उस वक्त अगर आप जंग नहीं करते तो दुनिया में अन्याय फैल जाएगा। इस अन्याय को रोकने के लिए कभी-कभी आपको जंग करनी पड़ती है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी जिंदगी में रोज महाभारत करें। इसी तरह ये आतंकवादी जिहादी नहीं, फसादी हैं। कुरान में साफ लिखा है, इन फसादियों के लिए उसमें चार सजाएं लिखी हैं। अब्दुल्ला यूसुफ अली का कुरान का तर्जुमा पढ़िए, उसमें लिखा है-जो फसादी है, उसके लिए चार सजाएं हैं-1-मौत, 2-सूली पर टांगना, 3-मीमी यानी हाथ काट देना, और 4-देश निकाला। मैंने तो एक बार इंडियन मुजाहिदीन के बारे में लिखा था कि इनके खिलाफ तो कुरान का कानून अमल में लाना चाहिए। वह कानून इन पर लागू करें तो इन्हें सजाए मौत होगी।लेकिन जिन्हें आप फसादी कह रहे हैं, वे दारुल हरब, दारुल इस्लाम का नारा लगाते हुए “जिहाद” चलाते हैं…?वे गलत बात करते हैं। उनका मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। मैं बार-बार कहता हूं कि मुसलमान की गलती के लिए इस्लाम को बदनाम नहीं करना चाहिए। हिटलर की वजह से क्या सारी ईसाइयत को बदनाम किया जा सकता है? ये लोग इस्लाम का नाजायज इस्तेमाल करते हैं। उनको कोई हक नहीं है कि इस्लाम का इस्तेमाल करें। जो लोग ऐसे (आतंकी) ईमेल लिखते हैं, वे देशद्रोही हैं। मैंने तो कश्मीर के लोगों के सामने खुलेआम कहा था कि एक तरफ तो आप देश को बांटने का नारा लगाते हैं तो दूसरी तरफ हिन्दुस्थान के संविधान के जो भी उदार तत्व हैं उनका भी दावा ठोंकते हैं। क्यों? अगर हिन्दुस्थान के संविधान पर आपको भरोसा नहीं है तो फिर कोई बात ही नहीं हो सकती। मैं हिन्दुस्थानी हूं, मेरे खिलाफ कुछ हुआ तो हिन्दुस्थान के संविधान का सहारा लूंगा, उसकी छत्रछाया में रहूंगा। लेकिन जो लोग हमारे तिरंगे को नहीं मानते, हमारा राष्ट्रगान नहीं गाते, जो इस देश की मिट्टी को अपनी मिट्टी नहीं समझते हैं, उनका क्या हक बनता है।इससे निपटने का रास्ता क्या है? जो लोग जिहाद का झंडा लेकर चलते हैं, ओसामा बिन लादेन को आका मानते हैं। उनसे निपटने के लिए समाधान क्या है? जैसा मैंने कहा जो हिन्दुस्थान को अपना मुल्क नहीं मानते उनके लिए यहां कुछ भी नहीं है। मैं तो उनसे साफ कहूंगा कि अगर तुम्हें हिन्दुस्थान में नहीं रहना है तो फिर सरकार से बातचीत कैसी। मेरा मत इसमें पूरी तरह साफ है। पिछले दिनों किसी कार्यक्रम में आने का बुलावा मिला था, जामिया के मुद्दे पर कोई कार्यक्रम था। मुझे पता चला कि मंच पर एक महिला भी होंगी, जिन्होंने कुछ दिन पहले एक पत्रिका में लिखा था कि “कश्मीर को अलग कर देना चाहिए।” मैंने उस कार्यक्रम में आने से इनकार कर दिया क्योंकि वहां जाने का मतलब था कि मैंने उनके साथ मंच पर बैठकर उनकी बात को न्यायोचित माना था। मैं ऐसा कभी नहीं कर सकता। मैं नहीं गया वहां।इस माहौल में मीडिया की कैसी भूमिका रही है? क्या इसने आतंक के खिलाफ दमदारी से आवाज उठाई है या आतंकवाद को शह देने की कोशिश की है? मीडिया पर कई तरह के तनाव और दबाव होते हैं। एक दबाव तो कम समय सीमा में ही उसे सही और गलत का आकलना करना होता है। दूसरे, हर बार, जाहिर है, मीडिया सही तरह से चीजें नहीं देख पाता। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप मीडिया को बदनाम करें। जब शासन और राजनीतिक तंत्र नाकाम हो जाता है, लोगों से बात करने के लिए राजनीतिक जबान न हो तो मीडिया को दोष देने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता। यह लोगों की आंखों में धूल झोंकना है।लेकिन जब मीडिया आतंकवादियों को “मासूम” साबित करने की कोशिश करेगा और हताहतों के दर्द को नहीं दिखाएगा, तो क्या समझा जाए?ऐसा मीडिया का एक छोटा सा वर्ग ही है जिसके खिलाफ मैंने लिखा है कि हमारे यहां के कुलीन वर्ग के पांव बहुत जल्दी थरथराने लगते हैं। उसको देश की शक्ति का अंदाजा नहीं है, देश का हर आदमी क्या सोचता है। लोग किस दुनिया में उड़ रहे हैं, समझ नहीं आता।और इसके लिए पूरा मीडिया नहीं, हां, एक वर्ग के बारे में कह सकते हैं। कुछ लोग हैं जो मीडिया में आतंकवाद के प्रति मुलायम रुख अपनाते हैं।वे शायद खुद को सेकुलर मानते हैं?कोई सेकुलर नहीं। कुछ भी हो, वे लोग हिन्दुस्थान से बहुत दूर हैं।पर उनको जनता तो पढ़ती ही है…?तो वे ही जाकर जनता से पूछ लें कि उनके साथ कितने लोगों को हमदर्दी है। दो दिन में ही उन्हें पता चल जाएगा।जामिया प्रकरण को जिस तरह से मीडिया के एक वर्ग द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है, उस पर क्या कहेंगे?जामिया से कुछ सवाल जरूर उठे हैं जिनके जवाब देना हुकूमत की जिम्मेदारी बन जाती है। वहां क्या हुआ, क्या नहीं हुआ किसी को नहीं पता। पुलिस का कुछ दावा है। पुलिस के हर दावे को मानने से गफलत पैदा होगी। मेरा तो यही मानना है कि आप जल्दी ही तय समय में पड़ताल कीजिए, सवालों का जवाब मिल जाएगा। इससे झिझकते क्यों हैं? प्रधानमंत्री कहते हैं कि पुलिस का मनोबल टूटेगा। अगर सब कुछ सही है तो निष्कर्ष से पुलिस में हताशा क्यों होगी? घबराना किस बात से?जामिया में प्रो.मुशीरुल हसन ने जिस तरह से संदिग्ध छात्रों के समर्थन में भीड़ की रैली निकाली, वह कहां तक ठीक था?सच बात तो यह है इस हुकूमत के बारे में, कि लाश गिराने के बाद कफन के लिए चंदा नहीं देना चाहिए। कफन के लिए इन लोगों के पास बहुत पैसा है, जवाबदेही तो लाश के ऊपर है।7

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार

पाकिस्तान का सरेंडर! बोले पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार- अगर भारत रुके तो हम पीछे हटने को तैयार

Operation Sindoor: भारतीय सेना ने कई मोस्ट वांटेड आतंकियों को किया ढेर, देखें लिस्ट

बैठक की अध्यक्षता करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा मंत्री, एनएसए, तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की, आगे की रणनीति पर चर्चा

Operation Sindoor

सेना सीमा पर लड़ रही, आप घर में आराम चाहते हैं: जानिए किस पर भड़के चीफ जस्टिस

India opposes IMF funding to pakistan

पाकिस्तान को IMF ने दिया 1 बिलियन डॉलर कर्ज, भारत ने किया विरोध, वोटिंग से क्यों बनाई दूरी?

आलोक कुमार

‘सुरक्षा और विकास के लिए एकजुट हो हिन्दू समाज’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार

पाकिस्तान का सरेंडर! बोले पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार- अगर भारत रुके तो हम पीछे हटने को तैयार

Operation Sindoor: भारतीय सेना ने कई मोस्ट वांटेड आतंकियों को किया ढेर, देखें लिस्ट

बैठक की अध्यक्षता करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा मंत्री, एनएसए, तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की, आगे की रणनीति पर चर्चा

Operation Sindoor

सेना सीमा पर लड़ रही, आप घर में आराम चाहते हैं: जानिए किस पर भड़के चीफ जस्टिस

India opposes IMF funding to pakistan

पाकिस्तान को IMF ने दिया 1 बिलियन डॉलर कर्ज, भारत ने किया विरोध, वोटिंग से क्यों बनाई दूरी?

आलोक कुमार

‘सुरक्षा और विकास के लिए एकजुट हो हिन्दू समाज’

प्रतीकात्मक तस्वीर

PIB fact check: पाकिस्तान का भारत के हिमालय क्षेत्र में 3 IAF जेट क्रैश होने का दावा फर्जी

Gujarat Blackout

भारत-पाक के मध्य तनावपूर्ण स्थिति के बीच गुजरात के सीमावर्ती गांवों में ब्लैकआउट

S-400 difence System

Fact check: पाकिस्तान का एस-400 को नष्ट करने का दावा फर्जी, जानें क्या है पूरा सच

India And Pakistan economic growth

भारत-पाकिस्तान: आर्थिक प्रगति और आतंकवाद के बीच का अंतर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies