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स्व. आचार्य विष्णुकांत शास्त्री स्मृति तृतीय व्याख्यान माला में पूर्व मुख्यमंत्री श्री शांता कुमार ने कहा-देश में लागू हो अध्यक्षीय शासन प्रणाली”भारत में अध्यक्षीय शासन प्रणाली लागू करने का यही उपयुक्त समय है। विशाल आबादी वाले इस देश में प्रधानमंत्री का सीधे जनता द्वारा निर्वाचन होना चाहिए। संसदीय लोकतंत्र में हम अल्पमत या जनता का पूर्ण विश्वास न रखने वाले लोगों को भी प्रधानमंत्री पद पर आसीन देखते हैं। 42 सांसदों को लेकर भी इस देश में नेता प्रधानमंत्री बने हैं। देश के लिए और लोकतंत्र के लिए ये लक्षण अच्छे नहीं कहे जा सकते।” ये कहना है हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री शांता कुमार का। श्री शांता कुमार गत दिनों कोलकाता के महाजाति सदन सभागार में स्व. आचार्य विष्णुकांत शास्त्री स्मृति तृतीय व्याख्यान माला को संबोधित कर रहे थे। “देश की वर्तमान राजनीति-दशा एवं दिशा” विषयक व्याख्यान का आयोजन बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा किया गया था।श्री शांता कुमार ने कहा कि 1947 में देश जिस विकास पथ और राजनीतिक रास्ते पर बढ़ा, उसके दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं। सर्वत्र भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नेताओं का बोलबाला हो गया है। देश की 22 करोड़ जनता आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। चुनावों में सभी राजनीतिक नेता पैसा पानी की तरह बहाते हैं। राजनीति में काले धन का प्रभाव अत्यधिक बढ़ गया है। राजनीति करने के लिए नेताओं द्वारा समाज को जाति और संप्रदाय के आधार पर विभाजित कर दिया गया है। चुनाव जीतने के लिए हर तरह के अनैतिक हथकण्डे अपनाए जाते हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए सभी दलों को वर्तमान चुनावी प्रणाली को बदलने की दिशा में गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।उन्होंने कहा कि कुछ उपाय तुरन्त लागू होने चाहिए। जैसे-प्रधानमंत्री आम जनता के मतों से निर्वाचित होना चाहिए। पंचायत से लेकर संसद तक चुनाव पांच साल के अंतर पर ही हों। किसी भी कारण दुबारा चुनाव नहीं होना चाहिए। श्री शांता कुमार ने कहा कि भारत की राजनीति के आदर्श राजा राम हैं जिन्होंने प्रजा के हित और लोक मर्यादा की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगाया। यहां तक कि अपनी प्राण प्रिय जानकी का भी त्याग करने को तत्पर हो गए। यदि भगवान राम द्वारा स्थापित मानदण्डों को ध्यान में रख कर इस देश में राजनीति की गई तो देश की दशा और दिशा ठीक रहेगी।व्याख्यानमाला की अध्यक्षता जाने-माने विधि विशेषज्ञ और उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री केसरी नाथ त्रिपाठी ने की। मंच संचालन डा. प्रेम शंकर त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर श्री जुगल किशोर जैथलिया, डा. चंद्रदेव सिंह, डा. उषा त्रिपाठी सहित सभागार में सैकड़ों की संख्या में श्रोता उपस्थित थे।25
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