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निर्मला देशपाण्डेगांधीपथ की राहीराज्यसभा सदस्य एवं जानी-मानी गांधीवादी विचारक श्रीमती निर्मला देशपाण्डे नहीं रहीं। 2 मई को अति प्रात: नई दिल्ली स्थित आवास में उनका निधन हो गया। 79 वर्षीय श्रीमती देशपाण्डे “दीदी” के नाम से विख्यात थीं। दीदी लगभग 60 साल तक सार्वजनिक जीवन में रहीं। वह दो बार राज्यसभा के लिए मनोनीत हुर्इं। निर्मला जी अन्तिम समय तक महात्मा गांधी के सिद्धान्तों के आधार पर लोगों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करती रहीं। 17 अक्तूबर, 1929 को नागपुर में जन्मीं निर्मल जी बहुआयामी प्रतिभा की धनी थीं। उन्होंने अनेक उपन्यास, नाटक, यात्रा तथा वृत्तान्त, विनोबा भावे की जीवनी भी लिखी। उन्हें पद्म विभूषण भी मिला था।पं. किशन महाराजकला शिरोमणिसुप्रसिद्ध तबला वादक पं. किशन महाराज का 4 मई को देर रात काशी में निधन हो गया। ह्मदयाघातके बाद स्थानीय एक अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। वे 85 वर्ष के थे। 1923 में जन्माष्टमी के दिन काशी में जन्मे पं. किशन महाराज ने तबले की थाप से पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना दिया था। इस श्रेष्ठ कलाकार को अनेक सम्मान भी प्राप्त हुए। राष्ट्र ने उन्हें 1973 में पद्मश्री और 2002 में पद्म विभूषण से अलंकृत किया था।विजय तेन्दुलकररंगमंच को समर्पित जीवनघासीराम कोतवाल जैसा प्रसिद्ध नाटक लिखने वाले नाटकर्मी श्री विजय तेन्दुलकर नहीं रहे। उन्होंने 19 मई को पुणे में अन्तिम सांस ली। 80 वर्षीय श्री तेन्दुलकर मांसपेशियों की बीमारी से पीड़ित थे और मुम्बई के अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्हें मराठी रंगमंच में सामाजिक रूप से विवादास्पद विषयों पर प्रयोगवादी और बेबाक नाकट लिखने के लिए याद किया जाएगा। श्री तेन्दुलकर ने अनेक हिन्दी एवं मराठी फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी थी। लेखक के रूप में भी उन्होंने काफी प्रसिद्धि पाई थी।18
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