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? 58 मारे गए ? 167 घायल ? कुल आरोपी-166माक्र्सवादियों ने किया मदनी का स्वागतगत 2 अगस्त की शाम तिरुअनंतपुरम में माक्र्सवादियों ने अपनी सेकुलर राजनीति को चमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। स्थानीय शंखमुखम सागर तट पर मदनी के स्वागत का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। हजारों पी.डी.पी. (मदनी की पार्टी) कार्यकर्ता, माक्र्सवादी संगठनों डी.वाई.एफ.आई. और एस.एफ.आई. के कार्यकर्ता और माकपा नेता वहां एकत्र थे। माहौल में मुस्लिम प्रार्थनाओं और अजानों की गूंज के बीच हिन्दुओं, रा.स्व.संघ और भाजपा के खिलाफ नारे लिखे बैनर लहराए जा रहे थे।मंच पर मदनी का स्वागत करने गृहमंत्री कोडियरी बालकृष्णन और शिक्षा मंत्री एम.ए. बेबी मौजूद थे तो वालोमो घटक आर.एस.पी. के नेता जल संसाधन मंत्री प्रेमचंद्रन भी थे। मुख्यमंत्री अच्युतानंदन के आने की घोषणा तो हुई पर वे पहुंच नहीं सके। कांग्रेस के नेता इसलिए नहीं आए थे क्योंकि उन्हें कोई आधिकारिक आमंत्रण नहीं दिया गया था। इससे पूर्व कई टेलीविजन चैनलों ने कोच्चि से तिरुअनन्तपुरम आते हुए मदनी के हवाई जहाज के भीतर से ही सीधे साक्षात्कार प्रसारित किए थे। हवाई अड्डे पर उसके स्वागत में पी.डी.पी. कार्यकर्ता और कम्युनिस्ट नेता पहुंचे थे। मदनी ने माकपाइयों के इस प्रदर्शन से खुश होकर घोषित किया कि “ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि हम वालोमो को समर्थन न दें।”कोयम्बतूर बम काण्ड मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने 9 साल बाद गत सप्ताह अपराधियों के आरोप तय किए। अदालत ने जहां अल उम्मा प्रमुख मोहम्मद बाशा को अपराधी ठहाराया है वहीं पी.डी.पी. जैसे कट्टर साम्प्रदायिक दल के नेता अब्दुल मदनी को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। अदालत के इस फैसले से जहां आम नागरिकों में संतोष है वहीं वे यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि जिस तरह की गतिविधियां मदनी की रही हैं उन्हें देखते हुए वह निरपराध कैसे ठहराया जा सकता है।इस मामले में कुल 166 आरोपी थे। कोयम्बतूर में 14 फरवरी, 1998 को उस समय एक के बाद एक 19 विस्फोट किए गए थे जब भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी वहां जनसभा करने वाले थे। जिहादी कट्टरवादियों की इस हिंसक कार्रवाई में 58 लोग मारे गए थे जबकि 167 घायल हुए थे।उधर मदनी की रिहाई की खबर से कांग्रेस और कम्युनिस्ट खेमों में खुशी की लहर दौड़ना राष्ट्रवादी विचार के लोगों में संदेह उत्पन्न कर गया। वैसे, ये दोनों ही दल मदनी को अपने-अपने पाले में मिलाने की होड़ में हैं। केरल में सत्तारूढ़ रहे संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (संलोमो) और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (वालोमो) सरकारों का यह चहेता रहा है। 2001 में कांग्रेसनीत संलोमो और 2006 में वालोमो मदनी की रिहाई कराने के वायदे पर ही सत्ता पर काबिज हुए थे। दोनों ही मोर्चों के नेता उमेन चांडी और पिनरई विजयन जेल में उससे मिलने बराबर जाते रहे थे। कई मंत्री, सांसद और दूसरे नेता भी मदनी से जेल में मिलते रहे थे। 2006 में विधानसभा चुनावों से पूर्व केरल विधानसभा में एक विशेष सत्र में मांग उठाई गयी कि तमिलनाडु सरकार मदनी को पेरोल पर छोड़े। तब तत्कालीन राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम केरल आए थे और संलोमो तथा वालोमो विधायकों ने मदनी की रिहाई की मांग करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपा था। अदालत के फैसले में जहां अल उम्मा नेताओं, जैसे बाशा, ताजुद्दीन और ऊमा बाबू को बमों की आपूर्ति करने, नरसंहार के लिए केरल में हथियार पहुंचाने का दोषी ठहराया गया है वहीं मदनी को बरी कर दिया गया है।जैसे ही यह फैसला आया, सभी सेकुलर दल मानो खुशी से फूले नहीं समाये। केरल के मुख्यमंत्री अच्युतानंदन, पूर्व मुख्यमंत्री चांडी, केन्द्रीय मंत्री वायलार रवि, ई. अहमद, पिनरई विजयन, भाकपा नेता पन्नियन रवीन्द्रन, आर.बालकृष्णन पिल्लई आदि टेलीविजन के पर्दों पर आकर मदनी की तुलना ईसा मसीह, मोहम्मद नबी, बुद्ध, गांधी, नेल्सन मण्डेला आदि से करने लगे।मदनी के “अभिनन्दन” के लिए केरल की राजधानी तिरुअनन्तपुरम में 2 अगस्त को एक बड़ा जन समारोह आयोजित किया गया। सेकुलर दल जहां इस कट्टरवादी तत्व को महिमामण्डित करने में जुटे थे वहीं एकमात्र विरोधी स्वर भाजपा का ही था। वरिष्ठ भाजपा नेता श्री ओ.राजगोपाल ने तमिलनाडु सरकार से इस फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में तुरन्त याचिका दायर करने की मांग की। केरल भाजपा ने आरोप लगाया कि अभियोग पक्ष ने जानबूझ कर मामला हल्का कर दिया ताकि मदनी को कोयम्बतूर बमकाण्ड से रिहाई मिल जाए। एक वक्तव्य जारी करके प्रदेश भाजपा अध्यक्ष कृष्णदास ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों ने अभियोग पक्ष को दिखावा मात्र बनाकर न्यायतंत्र के सामने चुनौती प्रस्तुत की है। उन्होंने कहा कि वालोमो और संलोमो मुस्लिम वोट बैंक पर नजर रखते हुए मदनी की तारीफ में एक-दूसरे को पीछे छोड़ देने पर तुले हैं। मदनी पर उन्माद भड़काने, साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने जैसे गम्भीर आरोपों पर 22 वारण्ट जारी किए गए थे। मदनी के पास घातक हथियार हैं जिसका मामला अभी चल ही रहा है। श्री कृष्णदास ने सरकार के मदनी के स्वागत समारोह के फैसले की भत्र्सना की। उन्होंने कहा कि यह खतरनाक परिस्थितियों की ओर संकेत है।उल्लेखनीय है कि 1998 में केरल की वालोमो सरकार ने मदनी की अपराध में लिप्तता स्वीकारते हुए उसे तमिलनाडु सरकार के हवाले किया था। अब इस फैसले ने सिद्ध कर दिया कि तमिलनाडु सरकार अदालत में इस मामले के समर्थन में पर्याप्त आवश्यक सबूत नहीं प्रस्तुत कर पाई। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन ने कहा कि जहां अधिकांश आरोपियों के अपराध तय हो गए हैं वहीं मदनी की रिहाई सन्देह पैदा करती है।संलोमो/वालोमो की मुस्लिम वोट की चाहपी.डी.पी. अध्यक्ष मदनी 9 साल कोयम्बतूर जेल में बिताने के बाद अब केरल में आगे की जिन्दगी बिताने की योजना बना चुके हैं। राज्य के सेकुलर दल इसीलिए मदनी को लुभाने में जुट गए हैं। उन्होंने केरल के मुस्लिम समाज में यह भाव पहले ही रोप दिया था कि मदनी के साथ न्याय नहीं हुआ था। वह गलत तरीके से फंसाया गया था। कांग्रेस तो मदनी की रिहाई के तुरन्त बाद मैदान में कूद पड़ी और इसके नेताओं ने कम्युनिस्टों पर आरोप लगा दिए कि उन्होंने मदनी के मामले में पर्याप्त मदद नहीं की। पार्टी ने उसकी रिहाई पर सार्वजनिक रूप से खुशी मनाई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रमेश चेन्नीथला ने 1998 में कम्युनिस्ट सरकार द्वारा मदनी को गिरफ्तार किए जाने के वास्तविक कारण को सार्वजनिक करने की मांग की। माक्र्सवादी नेता पिनरई विजयन ने तो कहा कि “मदनी को आखिरकार न्याय मिल गया है”। उनके कामरेड सहयोगी गृहमंत्री कोडियरी बालकृष्णन ने वादा किया कि सरकार मदनी की पूरी सहायता करेगी। यह सुनकर मदनी के साथी कट्टरवादी तो खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री सुश्री श्रीमती ने एक कदम आगे जाकर कहा कि मदनी को आयुर्वेदिक मालिश सहित सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं दी जाएगी। मुस्लिम लीग ने भी मदनी की रिहाई पर “संतोष और खुशी” जाहिर की। लीग के नेता कुन्नहलीकुट्टी ने मांग की कि न्याय पालिका बताए कि मदनी को इतने दिनों तक जेल में क्यों रखा गया।मदनी को राजकीय सुरक्षामदनी के केरल में पहुंचते ही पुलिस ने पूरे राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी है। इधर वोट बैंक के चहेते मदनी के सामने पलक पांवडे बिछा रहे थे तो उधर पुलिस मदनी की सुरक्षा में तैनात थी। गृहमंत्री बालकृष्णन ने इस खतरनाक कट्टरवादी को राजकीय सुरक्षा देने की घोषणी की तो स्वास्थ्य मंत्री सुश्री श्रीमती ने करदाताओं की जेब से मदनी की मुफ्त चिकित्सा सुविधा की घोषणा की। केरल के सेकुलर मीडिया ने भी मदनी की रिहाई पर खूब “उत्सवी” प्रस्तुतियां कीं। कई टेलीविजन चैनलों ने कोयम्बतूर जेल से सीधा प्रसारण किया और पूरा दिन इस कट्टरवादी साम्प्रदायिक जिहादी व्यक्ति पर कार्यक्रम दिखाए। इधर केरल की जनता मीडिया और सेकुलर नेताओं के इस व्यवहार को देखकर हतप्रभ थी। केरल के हिन्दू समाज में मदनी की रिहाई को लेकर आश्चर्यमिश्रित प्रतिक्रिया देखने में आई है। मदनी द्वारा कथित रूप से कराए पूनथूरा दंगों, चलाई दंगों और उसके भड़काऊ भाषणों से त्रस्त केरल की शान्तिप्रिय जनता में मदनी की रिहाई से एक प्रकार का गुस्सा दिखा है।9
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