|
घाटी से दूर रहें मजदूर-जम्मू से विशेष प्रतिनिधिकेन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार के दावों के विपरीत कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिनके कारण राज्य में अत्यधिक तनाव उत्पन्न हो रहा है। साथ ही कश्मीर घाटी से बड़ी संख्या में हिन्दुओं का पलायन पुन: शुरू हो गया है, इनमें अधिकांश देश के भिन्न-भिन्न भागों से आने वाले मजदूर तथा कामगार हैं। कई पर्यटक भी भय के वातावरण में घाटी छोड़ रहे हैं। सुरक्षा बलों पर भी आतंकवादी हमले बढ़ गए हैं। इन हमलों में कई सैनिक व अद्र्धसैनिक बलों के जवान मारे गए हैं, कुछ बड़े अधिकारी भी शहीद हुए हैं।भय और तनाव का वातावरण कुछ अलगाववादी नेताओं तथा आतंकवादी संगठनों के फरमान से उत्पन्न हुआ है, जिसमें कहा गया है कि कश्मीर में बाहर से आए सभी मजदूर तथा राज्य के बाहर से आने वाले सभी नागरिक कश्मीर घाटी छोड़कर चले जाएं, वर्ना उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। यह फरमान जारी करने वालों में कट्टरपंथी, विशेषकर भाड़े के नेता, पूर्व विधायक सैयद अली शाह गिलानी तथा जमात-ए-इस्लामी का आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन भी शामिल है। बाहर से आने वाले मजदूरों को पहले भी कई बार आतंकवादियों ने निशाना बनाया है। ऐसे तीन बड़े नरसंहारों में 60 से अधिक मजदूर मारे गए हैं।यह भी विचारणीय है कि यह फरमान किन कारणों के आधार पर जारी किया गया। दरअसल सीमावर्ती कुपवाड़ा जिले के लंगेट क्षेत्र में कुछ लोगों ने पिछले दिनों कथित रूप से एक युवती के साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी। इसके विरुद्ध इस क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन हुए। पुलिस ने मामले की छानबीन के पश्चात चार कथित दोषियों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें दो स्थानीय मुसलमान और दो राज्य के बाहर से आए मजदूर हैं। इनमें से भी एक बिहारी मुसलमान है और दूसरा राजस्थान का हिन्दू युवक। किन्तु इस दुर्भाग्यपूर्ण अपराध की आड़ लेकर अलगाववादियों और आतंकवादी संगठनों ने राज्य में एक तूफान-सा खड़ा कर दिया है और इस अपराध का सारा दोष बाहर से आने वाले मजदूरों पर मढ़कर धमकी देने लगे हैं। इससे भय का वातावरण उत्पन्न हुआ और अब हजारों मजदूर घाटी से भाग रहे हैं।इसके साथ ही बाबा अमरनाथ के यात्रियों पर पिछले दिनों दो बार बड़े हमले हुए और पर्यटकों की एक बस को भी निशाना बनाया गया। इन आतंकवादी हमलों में एक दर्जन से अधिक निर्दोष लोग मारे गए तथा 50 से अधिक घायल हुए हैं। घुसपैठ भी लगातार जारी है। एक अनुमान के अनुसार गत जुलाई महीने में ही लगभग 20 सैनिक तथा अद्र्धसैनिक बलों के जवान आतंकवादी हमलों में मारे गए हैं। इनमें एक कर्नल और दो मेजर भी शामिल हैं। इन आतंकवादी हमलों के बावजूद रक्षामंत्री ए.के. एंटोनी तथा गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने राज्य की स्थिति की समीक्षा करने के पश्चात यह दावा किया है कि राज्य की स्थिति में सुधार हुआ है।रक्षामंत्री तथा गृहमंत्री के वक्तव्यों को आधार बनाकर राज्य की गठबंधन सरकार में प्रमुख सहयोगी दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने अपना यह अनुरोध तीव्र कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को बापस बुलाया जाए। सेना के विशेष अधिकारों को भी समाप्त किया जाए। लेकिन आतंकवादियों तथा अलगाववादियों की इन बढ़ती घटनओं पर राष्ट्रवादियों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है और इस सारे घटनाक्रम पर सत्तारूढ़ नेताओं की चुप्पी की भी आलोचना की है। यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य के बाहर से आने वाले मजदूरों को जम्मू-कश्मीर से बाहर निकालने की बात सबसे पहले सत्तारूढ़ पीडीपी के कुछ नेताओं ने ही कही थी। पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती का कहना है कि बाहर से आने वाले मजदूर जम्मू-कश्मीर में अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिन्दू परिषद तथा अन्य अनेक राष्ट्रवादी संगठन ने श्रमिकों तथा अन्य लोगों को दी जानी वाली धमकियों को एक बड़े षडंत्र का हिस्सा बताया है। इनका कहना है कि घाटी में शेष रह गए गिनती के हिन्दुओं तथा अल्पसंख्यकों को भगाने के लिए यह षडंत्र रचा गया है। इसमें कई सत्तारूढ़ नेता तथा सरकारी अधिकारी शामिल हैं। क्योंकि धमकी देने वाले आतंकवादियों तथा अलगाववादी संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई करना तो दूर, वहां से पलायन करने वाले मजदूरों तथा अन्य भारतीयों को किसी भी प्रकार की सुरक्षा प्रदान करने का ठोस आश्वासन तक नहीं दिया जा रहा है।अलगाववादियों और कट्टरवादियों की धमकियों और फतवों की भत्र्सना करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री चमनलाल गुप्ता ने कहा कि यह गंभीर मामला है और इस तरह की धमकियों की प्रतिक्रिया देश के अन्य भागों में हो सकती है। आश्चर्य व्यक्त किया कि भय के कारण घाटी छोड़कर जा रहे असहाय गैरकश्मीर श्रमिकों की मदद की कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि दो साल पहले कुलहन्द और बसंतगढ़ नरसंहारों के विरुद्ध आन्दोलन के दौरान जब भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री विनय कटियार ने केवल यह घोषणा की थी कि उन नागरिकों का सम्मान किया जाना चाहिए जो आतंकवादियों से संघर्ष करते हैं, तो राज्य की गठबंधन सरकार ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर दिया था। दूसरी ओर जो लोग खुलेआम ईष्र्या फैला रहे हैं और देश के अन्य भागों के भारतीयों को धमका रहे हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। श्री गुप्ता ने कहा कि जबसे कांग्रेस ने सत्ता संभाली है, राष्ट्रविरोधी गतिविधियां तेज हो गयी हैं। द35
टिप्पणियाँ