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गांधी का सर्वधर्म समन्वय मुस्लिमों को साथ क्यों न ले सका?गत दिनों राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन प्रयाग में थे। कुछ समय के लिए वे विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल के आवास (महावीर भवन) भी गए। वहां उन्होंने डा. विवेकानन्द तिवारी की सद्य:प्रकाशित पुस्तक “गांधी जी का सर्वधर्म समन्वय एवं भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन” का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विभिन्न मत-पंथों के लोगों को आपस में जोड़ने के लिए गांधी जी ने हिन्दू धर्म में विद्यमान उदात्त दृष्टि की व्याख्या सर्वधर्म समभाव के रूप में की थी। इस कारण अंग्रेज खुलकर साम्प्रदायिकता नहीं फैला सके और उन्होंने भी सेकुलरवाद की रट लगाई। हालांकि शब्दाडम्बरों की आड़ में कूटनीतिक चालें चलती रहीं और अंग्रेज एवं मुस्लिम अलगाववादी भारत को बांटने में सफल रहे। इस तरह गांधी जी की सर्वधर्म समभाव वाली नीति काफी हद तक हिन्दू-मुसलमान समाजों को जोड़े रखने में विफल रही। इस अवसर पर श्री अशोक सिंहल, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी, अखिल भारतीय विद्वत परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. कामेश्वर उपाध्याय सहित कई गण्यमान्यजन उपस्थित थे। प्रतिनिधि25
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