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माक्र्सवादियों ने किया मंदिरों पर कब्जा-प्रदीप कुमारसत्ता में आने के बाद से ही माकपा केरल के लगभग 1500 हिन्दू मंदिरों पर कब्जा जमाने की मुहिम में जुटी दिखती थी। और आखिरकार पिछले दिनों उसने एक अध्यादेश लागू करके इस मुहिम को चरम पर पहुंचा दिया। केरल में इन मंदिरों का प्रबंधन-त्रावणकोर व कोच्चि देवासम बोर्डों द्वारा किया जाता है। इनमें सुप्रसिद्ध शबरीमला और गुरुवायूर मंदिर भी शामिल हैं। माक्र्सवादियों की इन मंदिरों की सम्पत्ति, भेंट, सम्पदा, स्वर्णाभूषणों, हीरे-जवाहरातों पर बहुत पहले से ही नजर थी।गत 4 जनवरी को माकपानीत सरकार ने त्रावणकोर-कोच्चि हिन्दू धार्मिक संस्थान अध्यादेश लागू किया जो त्राणकोर और कोच्चि, दोनों देवासम बोर्डों को समाप्त कर देता है। हिन्दुओं को अपमानित करने वाले इस अध्यादेश में नए बोर्डों के गठन की बात कही गई है मगर तब तक, अध्यादेश के अनुसार, अच्युतानंदन सरकार मंदिरों के संपूर्ण वित्तीय और प्रबंधन मामलों पर नियंत्रण रखेगी। हिन्दू विरोधी इन कदमों से साफ है कि माकपा ईसाइयों और मुस्लिमों को खुश करना चाहती है। सरकार के इस अध्यादेश का रा.स्व.संघ, भाजपा, हिन्दू एक्य वेदी और श्रीनारायण धर्म परिपालन योगम् जैसी अनेक संस्थाओं ने मुखर विरोध किया, परंतु गत 4 फरवरी को केरल के राज्यपाल ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए।केरल के करीब 200 हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के संरक्षक संगठन हिन्दू एक्य वेदी ने इस आसुरी कानून के विरुद्ध 4 से 14 फरवरी तक धरने-प्रदर्शन किए। राज्य सचिवालय के सामने हिन्दू नेताओं ने अनशन-सत्याग्रह में भाग लिया। उधर विश्व हिन्दू परिषद् के महासचिव श्री राजशेखरन ने कहा कि मंदिरों की धन-सम्पत्ति हथियाने के लिए ही माकपा यह कानून लाई है। मंदिरों के मामलों को श्रद्धालुओं के नियंत्रण में ही रखा जाना चाहिए न कि माकपा के, जो खुद को नास्तिक घोषित करती है। उन्होंने कहा कि अगर माकपा में हिम्मत है तो चर्चों और मस्जिदों पर कब्जा करके दिखाए। पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री करुणाकरण ने कानून का विरोध करते हुए कहा कि यह मामला केवल हिन्दुत्व का नहीं बल्कि संविधान प्रदत्त उपासना की स्वतंत्रता से भी जुड़ा है।श्रीनारायण धर्म परिपालन योगम् के महासचिव श्री वेल्लपल्ली नतेशन ने सरकार को मंदिरों के प्रबंधन में घुसपैठ करने से सावधान किया है। उन्होंने कहा कि यह कानून बनाकर सरकार ने बहुत गलत कदम उठाया है। केरल के मंदिरों को भक्तों ने बनाया है और उसके लिए संसाधन हिन्दुओं ने ही उपलब्ध कराए हैं अत: इन मंदिरों पर उनका ही अधिकार है। सरकार को कोई भी निर्णय लेने से पहले हिन्दू संगठनों से चर्चा करनी चाहिए थी।राज्य भाजपा ने हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के जबरदस्त विरोध को नजरअंदाज करके इस अध्यादेश पर राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षर करने को खेदपूर्ण बताया। भाजपा राज्य महासचिव एम.टी. रमेश ने कहा कि माकपा सरकार की मंदिर कब्जाने की मुहिम पर हस्ताक्षर करके राज्यपाल ने बहुसंख्यक समाज को चुनौती दी है।इस अध्यादेश से निरस्त हुए त्रावणकोर देवासम बोर्ड के अध्यक्ष जी. रमन नायर ने कहा कि वे इस मामले में अदालत जाएंगे।इतिहास गवाह है कि अंग्रेज हुकूमत ने केरल के हिन्दू मंदिरों और उनकी सम्पत्ति पर कब्जा करने के लिए पहले भी कई कानून बनाए थे। स्वतंत्रता के बाद सेकुलर सरकारों ने उसी नीति को जारी रखा और देवासम बोर्डों में नास्तिकों की घुसपैठ कराई। शबरीमला और गुरुवायुर जैसे विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के कोष पर अधिकार जमाया गया। अब यह नया कानून हिन्दू संस्कृति को नुकसान पहुंचाने और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर मुस्लिमों और ईसाइयों, जो माकपा के राजनीतिक सहयोगी हैं, को खुश करने में माक्र्सवादियों की मदद करेगा। इससे पहले भी माक्र्सवादी सरकारों ने ऐसे कानून बनाए थे जिनसे हिन्दुओं की सम्पत्ति हथियाकर ईसाइयों और मुस्लिम बागान मालिकों को दी गई थी।केरल के हिन्दू मंदिरों पर कब्जे के माक्र्सवादी प्रयास के विरुद्ध पेजावर मठ के स्वामी विश्वेश्तीर्थ जी, भगवद् गीता विद्यालय के निदेशक स्वामी संदीप चैतन्य और भारतीय विचार केन्द्रम के निदेशक श्री पी. परमेश्वरन ने भत्र्सना करते हुए वक्तव्य जारी किए हैं।23
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