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पंजाब-राकेश सैनपंजाब में “जो बोले सो निहाल”…और जनता बोली- अकाली-भाजपापंजाबचुनाव परिणाम- 2007कुल स्थान — 117चुनाव हुए — 116अकाली (48)-भाजपा (19) गठबंधन — 67कांग्रेस — 44निर्दलीय — 5पंजाब की जनता ने राज्य में लोकतंत्र के नाम पर चल रही राजशाही व तानाशाही को उखाड़ फेंका है। पांच नदियों की इस धरती पर इस जनादेश को राज्य के साथ-साथ केन्द्र सरकार के खिलाफ जनाक्रोश के रूप में देखा जा रहा है। राज्य की जनता ने कुल 116 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल (बादल) गठजोड़ को 67 सीटें देकर राजग की नीतियों में विश्वास व्यक्त किया है। सत्ता में वापसी के सपने देख रही कांग्रेस को 44 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। पांच सीटों पर निर्दलीय विधायकों ने जीत हासिल की है। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने हिस्से की 23 सीटों में से 19 पर जीत हासिल कर अपने सभी आलोचकों के मुंह पर ताले जड़ दिए हैं। राज्य में भाकपा, माकपा, बहुजन समाज पार्टी, अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार अपना खाता खोलना तो दूर अधिकतर स्थानों पर जमानत तक जब्त करवा बैठे हैं।राज्य में कांग्रेस के खिलाफ चली लहर में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह दूलो खन्ना से, स्थानीय निकाय मंत्री चौधरी जगजीत सिंह करतारपुर से, जगमोहन सिंह कंग मोरिंडा से, गुरकंवल कौर जालंधर छावनी से चुनाव हार गए। लहरागागा से राज्य की उपमुख्यमंत्री बड़ी मुश्किल से मात्र 500 मतों से जीत पाईं। यहां अकाली दल (बादल) के उम्मीदवार प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने उनको अच्छी टक्कर दी। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मदन मोहन मित्तल नंगल से और अकाली दल (बादल) के उम्मीदवारों में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर भुलथ से, पूर्व मंत्री तोता सिंह मोगा से, पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका रामपुरा फूल से चुनाव हार गए। अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष प्रकाश सिंह बादल ने लाम्बी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी व अपने चचेरे भाई महेश इंदर सिंह बादल को 9887 वोटों से पराजित किया। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी पटियाला से चुनाव जीत गए। अकाली-भाजपा गठजोड़ ने राज्य के माझा व दोआबा क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का लगभग सफाया कर दिया, परंतु राज्य के सबसे बड़े मालवा इलाके यानी इस गठजोड़ के गढ़ में दरारें दिखीं।भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद अविनाश राय खन्ना और पार्टी के प्रभारी (पंजाब) अरुण जेटली ने इसे अकाली-भाजपा गठजोड़ की नीतियों व कांग्रेस पार्टी के कुशासन के खिलाफ लोगों का जनादेश बताया है। श्री जेटली ने कहा कि पंजाब व उत्तराखंड के लोगों का आक्रोश पूरे देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जो इन राज्यों की कांग्रेसी सरकारों के साथ-साथ केन्द्र की संप्रग सरकार के खिलाफ एक संकेत है। अकाली दल (बादल) के नेता प्रकाश सिंह बादल ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया है और कहा है कि लोगों ने रजवाड़ों व तानाशाहों को बता दिया है कि लाठी के जोर पर लोकतंत्र को दबाया नहीं जा सकता। दूसरी ओर निर्वतमान सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आशंका जताई है कि बादल के शासन में राज्य का विकास अवरूद्ध हो जाएगा, क्योंकि उनके पास विकास को लेकर कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है।दमदार संघर्षभारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता श्रीमती लक्ष्मीकान्ता चावला ने अमृतसर से, किसान मोर्चा के प्रांतीय अध्यक्ष सुरजीत कुमार ज्याणी के फाजिल्का से, सुखपाल सिंह नन्नु ने फिरोजपुर से, हरीश बेदी ने लुधियाना से, पूर्व मंत्री सतपाल गोसाई ने लुधियाना (पूर्व) से, कृष्णदेव भण्डारी जालंधर (उत्तर) से, मनोरंजन कालिया जालंधर (मध्य) से, भगत चुन्नी लाल ने जालंधर (दक्षिण) से, चौधरी स्वर्णा राम ने फगवाड़ा से, अनिल जोशी ने अमृतसर सेंट्रल से, जगदीश साहनी ने बटाला से, मास्टर मोहन लाल ने पठानकोट से, सीताराम कश्यप ने दीनानगर से, अरुणेश शाकर ने मुकेरियां से, बिशंभर दास ने नरोटमेहरा से, तीक्ष्ण सूद ने होशियारपुर से, राजकुमार खुराना ने राजपुरा से, अमरजीत सिंह शाही ने दसूहा से व दिनेश सिंह ने सुजानपुर से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को दमदार संघर्ष में पराजित किया।उत्तराखण्डफिर खिला कमल, फिर आई बहार-दिनेशउत्तराखण्डचुनाव परिणाम-2007कुल स्थान — 70चुनाव हुए — 69भाजपा — 34कांग्रेस — 21बसपा — 8उक्रांद — 3निर्दलीय — 3भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार उत्तराखण्ड में विजयश्री हासिल कर ही ली। इन चुनावों में कांग्रेस के कई दिग्गज चुनाव हार गए, हालांकि भाजपा के भी कई नामी चेहरे परास्त हुए। छोटे राज्य और छोटे-छोटे विधानसभा क्षेत्र होने की वजह से कई मुद्दे इन चुनावों में हार-जीत का कारण बने।कुमाऊं क्षेत्र में हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की तेजतर्रार मंत्री डा. इंदिरा ह्मदयेश चुनाव हार गर्इं। उन्हें भाजपा के पूर्व मंत्री बंशीधर भगत ने करीब चार हजार तीन सौ मतों से हराया। हालांकि इस जीत में निर्दलीय प्रत्याशी मोहन पाठक, सपा प्रत्याशी अब्दुल मतीन सिद्दीकि को मिलने वाले वोट भी महत्वपूर्ण रहे। नैनीताल जिले में पांच सीटों में से चार भाजपा की झोली में आर्इं। धारी से गोविंद सिंह बिष्ट ने कांग्रेस के हरीश दुर्गापाल को, रामनगर से दीवान सिंह ने योगम्बर रावत (कांग्रेस) को, नैनीताल से खड़ग सिंह बोरा ने उक्रान्द के नारायण जन्तवाल को हराया। यहां की मुक्तेश्वर सीट पर विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य विजयी रहे। उन्होंने भाजपा के श्रीचंद को हराया। पूरे जिले में कांग्रेस विरोधी लहर चली, जबकि यशपाल आर्य को मृदु स्वभावी होने का लाभ मिला।उधमसिंह नगर में भी चौंकाने वाले परिणाम कहीं नहीं दिखे। यहां की स्थिति पिछले चुनाव परिणामों जैसी ही रही। यहां बाजपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी की मृत्यु के बाद चुनाव स्थगित करना पड़ा था। भाजपा को बहुमत की बराबरी के लिए यहां आगामी चुनाव में खासा जोर लगाना होगा, क्योंकि कांग्रेस को यहां सहानुभूति मत मिल सकते हैं। कांग्रेस ने यहां अपने प्रत्याशी की विधवा पत्नी कैलाश रानी को मैदान में उतारा है। यहां मतदान 25 मार्च को होगा। भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीदें अल्मोड़ा जिले से थीं, लेकिन अल्मोड़ा के भाजपा विधायक कैलाश शर्मा कांग्रेस प्रत्याशी मनोज जोशी से हार गये। यहां भारतीय लोक जनाशक्ति पार्टी के उम्मीदवार ने भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाया। रानीखेत से पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डा.अजय भट्ट का चुनाव हारना चौंकाने वाला रहा। उन्हें कांग्रेस के करन सिंह मेहरा ने हराया। द्वाराहाट सीट से उक्रान्द के पुष्पेन्द्र त्रिपाठी दोबारा चुने गए। भिकियासैण से भाजपा के सुरेन्द्र जीना और सोमेश्वर से भी भाजपा चुनाव जीती। सल्ट और जागेश्वर सीटें कांग्रेस को मिलीं। पिथौरागढ़ से वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत दोबारा चुनाव जीते। कनालीछीना में उक्रान्द के दिग्गज काशी सिंह ऐरी को कांग्रेस ने धूल चटाई। गंगोलीहाट, डीडीहाट सीट भाजपा की झोली में आर्इं, जबकि धारचूला से निर्दलीय गगन रजवार दोबारा जीतकर आये।चम्पावत जिले में प्रदेश के मंत्री रहे कांग्रेस नेता महेंद्र माहरा ने लोहाघाट में जीत दर्ज की जबकि बीना माहराना ने भाजपा की लाज चम्पावत सीट पर बचाई।बागेश्वर जिले में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी कपकोट से पुन: जीते। काण्डा और बागेश्वर (सु) पर भी भाजपा उम्मीदवार विजयी रहे। कुमाऊं और तराई क्षेत्र में अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हरीश रावत समर्थक उम्मीदवारों का प्रदर्शन ठीक ठाक रहा, जबकि विकास की बात करने वाले मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, डा. इन्दिरा ह्मदयेश का जिला नैनीताल कांग्रेस के लिए ठीक नहीं रहा।हरिद्वार में बहुजन समाज पार्टी ने एक सीट भाजपा से छीन ली। यहां न कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा न भाजपा का, जबकि यहां समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में थे। हरिद्वार से भाजपा के मदन कौशिक ने फिर से सिद्ध कर दिया कि वे लोकप्रिय नेता हैं। उत्तराखण्ड में बसपा को आठ सीटें मिलीं, जिनमें से छह हरिद्वार जिले से और दो उधमसिंह नगर से। चमोली जिले में भाजपा को तीन और एक सीट निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र भण्डारी को मिली। पूर्व मंत्री केदार सिंह फोनिया भी विजयी हुए। पौड़ी गढ़वाल में थलीसैण सीट पर वरिष्ठ भाजपा नेता डा. रमेश चंद्र पोखरियाल को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के गणेश गोदियाल को हराया, जिनसे वे पिछला चुनाव हार गए थे।विधानसभा में विपक्ष के नेता मातबर सिंह कण्डारी रुद्रप्रयाग जिले से विजयी रहे। इस जिले की शेष दोनों सीटें भी भाजपा के खाते में गर्इं। देहरादून के लक्ष्मण चौक विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी चुनाव हार गए। डोईवाला सीट भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत बचाने में कामयाब रहे। ऋषिकेश सीट भाजपा के प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने कांग्रेस के शूरवीर सिंह सजवाण से छीन ली। विकासनगर सीट पर प्रदेश के वनमंत्री नवप्रभात को भाजपा के मुन्ना सिंह चौहान ने पटखनी दी।देहरादून से हरबन्स कपूर ने लगातार छठी बार जीत हासिल कर कीर्तिमान बनाया। जबकि उभरते राजनेताओं में गिने जाने वाले भाजपा के गणेश जोशी राजपुर सीट से जीतकर आये। मसूरी में कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला जीते, जबकि सहसपुर (सु) पर भाजपा के राजकुमार ने कांग्रेस के साधुराम को हराया।टिहरी में भाजपा को विधानसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली, लेकिन लोकसभा सीट यहां भाजपा के हाथ से निकल गई। पुरोला में कांग्रेस, गंगोत्री में भाजपा, यमुनोत्री में कांग्रेस, प्रतापनगर में भाजपा, टिहरी में कांग्रेस, घनसाली में कांग्रेस, देवप्रयाग में उत्तराखण्ड क्रान्ति दल, और धनोल्टी में भाजपा जीती। दिलचस्प मुकाबला नरेन्द्र नगर में हुआ, उक्रान्द के ओम गोपाल सिंह ने कांग्रेस के सुबोध उनियाल को चार मतों से हराया। सुबोध उनियाल कांग्रेस के तेजतर्रार नेता माने जाते हैं। ऐसे ही निकट मुकाबले में पौड़ी से भाजपा के प्रत्याशी पूर्व मंत्री तीरथ सिंह रावत मात्र 11 वोटों से हार गए। जागेश्वर से भाजपा प्रत्याशी रघुनाथ सिंह चौहान मात्र 22 मतों से पराजित हुए। रानीखेत से भाजपा के पूर्वमंत्री डा.अजय भट्ट 205 मतों से पराजित हुए। कुल मिलाकर भाजपा को 69 में से 34 सीटें ही मिलीं, जबकि कांग्रेस को 21, उक्रान्द को 3 बसपा को 8 और तीन निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे।भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा-ये चुनाव परिणाम उ.प्र. में आने वाले दौर की झलक दिखाते हैंउत्तराखण्ड और पंजाब चुनाव परिणामों से उल्लसित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणामों का असर आगामी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। श्री सिंह ने कहा कि ये चुनाव परिणाम पार्टी की आशा के अनुरूप ही हैं। उत्तराखंड कभी उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था, अत: वहां से आए परिणाम स्थानीय जनता के मनोभावों को स्पष्ट करते हैं। यह भाजपा के लिए सुखद संकेत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने वायदे निभाने में असफल रही है और जनता इस बात को समझ चुकी है। उत्तराखण्ड के संदर्भ में श्री सिंह ने कहा कि जनता दोनों सरकारों का कामकाज देखने के बाद इसी नतीजे पर पहुंची है कि केवल भाजपा ही सुशासन दे सकती है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस आतंकवाद के प्रति नरम नीतियों, महंगाई और तुष्टीकरण नीति के कारण हारी है। इन चुनावों में भाजपा कार्यकर्ताओं में पूरी एकजुटता से काम किया है। प्रतिनिधि5
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