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केरल तेजी से जिहादी शिकंजे में फंसता जा रहा है। और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि राज्य में ऐसी सरकार सत्ता में है जो पूरी बेशर्मी से मदनी और उस जैसे दूसरे कट्टरवादियों के साथ खड़ी दिखती है। पिछले दिनों यहां अत्याधुनिक हथियारों का बड़ा जखीरा पकड़ा गया है जो वास्तव में देश के लिए गंभीर खतरा है। केरल में अब तक का सबसे बड़ा हथियारों का जखीरा कस्टम और पुलिस अधिकारियों ने पिछले दिनों त्रिशुर जिले में पकड़ा है। हिन्दुओं के प्रसिद्ध तीर्थ गुरुवायूर के निकट कस्टम भण्डार से 8 जनवरी को कस्टम अधिकारियों ने 817 बक्सों का एक बड़ा “कंसाइन्मेंट” पकड़ा जिसमें 35 पिस्तौलें और 47 बंदूकें बरामद हुई हैं। गौर करने योग्य यह भी है कि बक्से उस तिसान थाचनकेरी के स्वामित्व वाले भण्डार गृह में मिले हैं जो माकपा नेता पिनरई विजयन के नजदीकी पुलिस महानिरीक्षक तोमिन थाचनकेरी का भाई है। दुबई से यह “सामान” गुरुवायूर के निकट चवाकड़ स्थित ओरुमानूर के किसी आर.ओ. कोया के नाम आया था। प्लास्टिक के कुर्सी – मेज और जूतों के बीच ये हथियार छुपाए गए थे जिन्हें कस्टम की पड़ताल में पकड़ा गया। सबसे अधिक आश्चर्य तो अधिकारियों को तब हुआ जब उन्होंने देखा कि बंदूकों के प्रत्येक बक्से में कुरान की एक प्रति रखी हुई थी। ये बंदूकें स्पेन की कंपनी “गामो” और अमरीका की “वाल्टर” और “बेरेट्टा” कंपनियों की बनी हुई हैं। कस्टम अधिकारियों ने बताया कि पहले भी कई बार कस्टम जांच से पहले इस तरह के बक्से यहां से गायब कर देने की जानकारी मिल चुकी थी मगर तोमिन और तिसान थाचनकेरी के दबदबे के कारण वे कुछ नहीं कर पाए थे। पता चला है कि ये हथियार प्रशिक्षण में काम आते हैं परन्तु थोड़ा बदलाव करके इन्हें ही घातक बनाया जा सकता है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिस जहाज से इन बक्सों को उतारा गया था उसकी भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।कोया को कस्टम और पुलिस में मौजूद उसके सूत्रों से इस छापे की पहले ही जानकारी मिल चुकी थी अत: वह घर से लापता हो गया था। उसके घर से एक पाकिस्तानी पासपोर्ट बरामद किया गया। पुलिस और मीडिया पड़ताल से यह बात भी सामने आई है कि वर्षों से केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में विदेशी माल की तस्करी से जुड़ा है कोया और उसके साथियों शमसुद्दीन, मोहम्मद व अब्दुल कादिर का तस्कर गुट। 2003 में भी कोया तिरुअनंतपुरम हवाई अड्डे पर चार बंदूकों के साथ पकड़ा गया था मगर मुस्लिम लीग के कथित राजनीतिक दबाव से उसे तब छोड़ दिया गया था। यह भी पता चला है कि केरल में छोटी-मोटी बंदूकों को थोड़ा फेरबदल करके घातक हथियारों के रूप में लोगों के बेचने का काम काफी अर्से से चल रहा था। इस बात की पूरी संभावना है कि ये हथियार जिहादी तत्वों के हाथों में जा रहे हैं। पिछले एक दशक से सेना, नौसेना और वायुसेना तथा तट रक्षक आई.एस.आई. द्वारा प्रायोजित जिहादी कट्टरवाद की चेतावनियां देते आ रहे हैं।उधर मुस्लिमों का जिक्र किए बिना मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ने बयान दिया है कि केरल में हथियार मजहबी कट्टरवादियों के षडंत्रों को अंजाम देने के लिए पहुंचाए जा रहे हैं। केन्द्रीय गुप्तचर एजेंसियों के भारी दबाव के कारण आखिरकार कोया ने गत 13 जनवरी को आत्मसमर्पण किया। उल्लेखनीय है कि गत 15 जनवरी को जब हिन्दू समाज मकरविलकू का उत्सव मना रहा था और सुप्रसिद्ध मंदिर शबरीमला में लगभग एक करोड़ श्रद्धालु एकत्र थे, उस समय शबरीमला के पास कांजिरपल्ली के रहीम को 158 तलवारों, खंजरों और घातक चाकुओं सहित गिरफ्तार किया गया। ये हथियार संभवत: एरूमेल्ली नामक स्थान पर भेजे जाने थे जहां शबरीमला आने वाले श्रद्धालुओं के शिविर लगते हैं। -केरल प्रतिनिधि13
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