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संगठित हिन्दू समाज ही शांति स्थापितकर सकता हैसरकार्यवाह मोहनराव भागवत के तीन कार्यक्रम0 जम्मू में हिन्दू महासम्मेलन 0 बंगलौर में पुस्तक लोकार्पण 0 रीवा में श्रीगुरुजी सभागार का उद्घाटनगत 21 जनवरी को जम्मू के परेड मैदान में हिन्दू महासम्मेलन का आयोजन हुआ। इसी के साथ ही पूरे प्रान्त में श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की समाप्ति भी हुई। महासम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि संगठित शक्ति के सामने शत्रु नहीं टिकता और हम सभी शक्ति के अनुयायी हैं। हमारे देश में अनेक भाषाएं हैं, जाति-पंथ हैं, फिर भी हम एक हैं। हिन्दू होने के नाते हमें एक-दूसरे का सहयोग करना है। हम सब भारत माता के पुत्र हैं। इसलिए सभी को गले लगाकर हिन्दू समाज को संगठित किया जाना चाहिए। संगठित हिन्दू ही देश व विश्व में शांति की स्थापना कर सकता है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे पिछड़े बन्धुओं को अपनायें, क्योंकि सारे हिन्दू समाज का कष्ट हमारा कष्ट है। काल-प्रवाह के साथ आईं अशुद्धियों को दूर कर सभी को अपने साथ लेकर चलें। रा.स्व.संघ के प्रांत संघचालक डा. किशोरी लाल भाटिया ने जम्मू-कश्मीर की वर्तमान परिस्थितियों के लिए पाकिस्तान के साथ-साथ अमरीका को भी जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि हमें इनकी चालों को समझना होगा। महासम्मेलन को सन्त दिनेश भारती, स्वामी प्रेमानन्द जी महाराज, पंजाब प्रान्त संघचालक श्री बृज भूषण सिंह बेदी, श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के प्रान्त संरक्षक श्री जगपूर्णदास, अध्यक्ष ब्रि. सुचेत सिंह आदि ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इसमें अनेक राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी भाग लिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आम जन उपस्थित थे। -प्रतिनिधिश्रीगुरुजी सभागार का उद्घाटनगत दिनों रीवा (म.प्र.) स्थित सरस्वती शिशु मन्दिर में नवनिर्मित प्रशासकीय भवन एवं श्रीगुरुजी सभागार का उद्घाटन रा.स्व. संघ के सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत ने किया। समारोह की अध्यक्षता श्री रोशनलाल सक्सेना ने की। इस अवसर पर अनेक गणयमान्यजन उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि म.प्र. में पहली बार रीवा में ही सरस्वती शिशु मन्दिर की स्थापना की गई थी।श्रीगुरुजी के कर्नाटक प्रवास पर आधारित पुस्तक लोकार्पितगत 31 जनवरी को बंगलौर स्थित राष्ट्रोत्थान कार्यालय केशवशिल्प में रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत ने श्रीगुरुजी पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक “विद्यारण्य भूमियल्ली श्री माधव” (पृष्ठ-207, मूल्य-60 रु., प्रकाशक- साहित्य संगम, 74, केशवकृपा, रंगराव रोड, शंकरपुरम, बंगलौर-560004, दूरभाष-080-26610081) का लोकार्पण किया। पुस्तक में श्रीगुरुजी के कर्नाटक प्रांत में विभिन्न अवसरों पर हुए प्रवासों के विवरण व संस्मरण समाहित किए गए हैं और इस विशद कार्य को किया है श्री चंद्रशेखर भण्डारी ने। अपने करीब डेढ़ वर्ष के अथक प्रयास के बाद श्री भण्डारी ने श्रीगुरुजी द्वारा कर्नाटक के 52 स्थानों पर दिए गए भाषणों, बौद्धिकों का संकलन कर उन्हें सूत्र में पिरोया है। उल्लेखनीय है कि श्रीगुरुजी ने 1973 में अपना अंतिम सार्वजनिक भाषण दिया था। इस पुस्तक की भूमिका लिखी है विजय कर्नाटक के सम्पादक श्री विश्वेश्वर भट्ट ने। साहित्य संगम ने जानकारी दी है कि 60 रु. मूल्य की यह पुस्तक 13 फरवरी तक 50 रु. में उपलब्ध रहेगी। प्रतिनिधिरांचीविशाल हिन्दू सम्मेलन”राम मन्दिर बनकर रहेगा”-स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी”भारत की धरती पर 24 बार ईश्वर का अवतार हो चुका है, किन्तु अब अवतार से नहीं संस्कार से देश का निर्माण होगा। संस्कार और चरित्र का निर्माण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों के माध्यम से ही संभव है।” उक्त बातें निवर्तमान शंकराचार्य एवं श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी ने कही। वे गत 7 जनवरी को रांची में आयोजित विशाल हिन्दू सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में लगभग 50 हजार लोग उपस्थित थे।उन्होंने कहा कि जिस प्रकार चोरी करने पर दण्ड का प्रावधान है उसी प्रकार किसी के धर्म का अपहरण कर धर्मान्तरण कराने वालों को भी दण्डित किया जाना चाहिए। जंगलों में रहने वालों को प्रलोभन देकर उनका धर्म छिनना जुर्म है। जरुरत पड़े तो वनवासियों को इनके खिलाफ तीर धनुष उठाना चाहिए।स्वामी जी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनकर रहेगा। रामराज्य की कल्पना महात्मा गांधी ने की थी। उन्होंने कहा कि भारत माता मंदिर में बिरसा मुंडा की मूर्ति न लगाना ऐतिहासिक भूल थी। जल्द ही वनवासी सम्मेलन कर भारत माता मंदिर में बिरसा मुंडा की मूर्ति लगायी जाएगी। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री स्वांत रंजन ने कहा कि श्रीगुरुजी ने हिन्दू राष्ट्र की कल्पना की थी। इसके लिए हमें जाति, धर्म से उठकर ऊपर समाज में समरसता लानी होगी।सम्मेलन को वनांचल पीठाधीश्वर शिव चैतन्य ब्राह्मचारी, रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी शशांकानंद, परमार्थ सेवा सदन के स्वामी पूर्णानंद, चिन्मय मिशन, रांची के स्वामी माधवानंद, स्वामी रंजन जी महाराज, रांची एक्सप्रेस के संपादक श्री बलबीर दत्त, श्री जेठा नाग आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्री बाबाराव पुराणिक, क्षेत्र संघचालक श्री सिद्धिनाथ सिंह, विद्या भारती के अ.भा. संगठन मंत्री श्री ब्राह्मदेव शर्मा, प्रांत प्रचारक डा. अशोक वाष्र्णेय, पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री यदुनाथ पांडेय प्रमुख रूप से उपस्थित थे। मंगल प्रताप पांडेयदेहरादूनसांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर संगोष्ठीसांस्कृतिक धरोहर के स्मरण के बिना राष्ट्रवाद खोखला है-सूर्यकान्त बाली, वरिष्ठ पत्रकारगत 28 जनवरी को देहरादून में “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” विषय पर विश्व संवाद केन्द्र ने एक गोष्ठी आयोजित की। इसके मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री सूर्यकान्त बाली एवं मुख्य वक्ता रा.स्व. संघ के प्रान्त प्रचारक श्री शिवप्रकाश थे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता दैनिक जागरण के स्थानीय समाचार सम्पादक श्री कुशल कोठियाल तथा दूसरे सत्र की अध्यक्षता अमर उजाला के स्थानीय समाचार सम्पादक श्री लक्ष्मी नारायण शीतल ने की। कार्यक्रम की भूमिका विश्व संवाद केन्द्र के सचिव श्री लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल ने रखी। इस अवसर पर श्री सूर्यकान्त बाली ने कहा कि श्रेष्ठ परम्पराओं तथा सांस्कृतिक धरोहरों से ही कोई राष्ट्र महान बनता है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद प्रगति के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा राष्ट्र का निर्माण अनायास ही नहीं होता, बल्कि सांस्कृतिक परम्पराओं, मान्यताओं तथा उसमें निहित तत्वों से ही एक सांस्कृतिक राष्ट्र का निर्माण होता है। श्री बाली ने कहा कि जिस भारत को हम हिन्दू राष्ट्र कहते हैं उसे हिन्दू राष्ट्र बनाने में तीन मुख्य कारक हैं। इनमें राम, कृष्ण और पौराणिक कथाएं शामिल हैं। इन तीनों को भारत से अलग कर दिया जाए तो राष्ट्रवाद शून्य हो जाएगा। श्री शिवप्रकाश ने कहा कि राम-कृष्ण भारत की एकात्मता का प्रतीक हैं। श्री कुशल कोठियाल ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद प्राकृतिक अवधारणा है, जो कि शाश्वत हिन्दू धर्म में मौजूद है। श्री लक्ष्मी नारायण शीतल ने कहा भारत शाश्वत सांस्कृतिक राष्ट्र है, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन हम अपनी संस्कृति को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भाग रहे हैं जो खतरनाक है। विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष श्री दयाचन्द जैन ने उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया। सुभाष जोशी एवं रामप्रताप मिश्र25
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