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पिनरई विजयन और मुख्यमंत्री अच्युतानंदन के खेमों में चल रही जबरदस्त खींचतान में जकड़ी राज्य माकपा मीडिया और जनता का ध्यान बांटने की कोशिश में जुटी है। और इसके लिए उसने अपने पसंदीदा शगल यानी रा.स्व.संघ के कार्यकर्ताओं पर हमले तेज कर दिये हैं। जिहादी सोच वाली एन.डी.एफ. के साथ सांठ-गांठ करके माकपा ने पिछले दिनों रा.स्व.संघ – भारतीय मजदूर संघ (भा.म.सं.)- भाजपा के खिलाफ खुली लड़ाई छेड़ दी। यह चलन विशेष रूप से अलप्पुझा शहर, पुन्नापरा, चिरथला, मरारीकुलम और मोहम्मा के तटीय क्षेत्रों में दिखायी दे रहा है। उल्लेखनीय है कि यह मुख्यमंत्री अच्युतानंदन का गृह जिला है। गत 1 जनवरी को माकपा- एन.डी.एफ. के 60 सदस्यीय हिंसक दस्ते ने भा.म.सं. के जिला संयुक्त सचिव प्रदीपन के घर पर हमला बोल दिया। तलवारों, कुल्हाड़ियों और दूसरे घातक हथियारों से लैस गुण्डों की इस भीड़ को आते देखकर प्रदीपन घर से निकल चुका था। बौखलाये दस्ते ने घर को तहस-नहस कर डाला और कीमती समान तोड़ डाला। इसके बाद गुण्डों ने प्रदीपन के 12 वर्षीय पुत्र प्रजीत पर हमला करने की कोशिश की मगर वह भागकर तट पर खड़ी एक नाव के पीछे छुप गया और अपनी जान बचाने में सफल रहा। प्रदीपन को न पाकर गुस्से से बौखलाये गुण्डों ने उसके पड़ोसी और संघ कार्यकर्ता शशि के घर पर हमला बोल दिया। उन्होंने शशि और उनके दोनों पुत्रों, प्रशांत (24) और संदीप (21) पर तलवारों, कुल्हाड़ियों से हमला किया और सिर से लेकर पैर तक उन्हें घायल कर दिया। शशि की 80 वर्षीय माता जी श्रीमती नलिनी, जो शोर-गुल सुनकर अपने बेटे और पोतों को बचाने आयी थीं, को धक्का देकर लात मारी गयी। उन्हें गहरा सदमा पहुंचा और आघात से उनकी मृत्यु हो गयी। शशि की धर्मपत्नी प्रशोभिनी ने साहस दिखाते हुए हमलावर दस्ते पर पिसी हुयी लाल मिर्चें फेंकीं तो वे भाग खड़े हुए। भागने से पहले गुण्डों ने पूरा घर, सामान और बगीचे के पेड़ों तक को ध्वस्त कर दिया। पूरा दृश्य ऐसा लग रहा था मानो सुनामी लहर आयी हो।6 जनवरी को सुबह 11 बजे हिंसा का प्रदर्शन जारी रखते हुए करीब 40 माकपाई गुण्डों ने चेरथला में उस स्थान पर हमला किया जहां रा.स्व.संघ -भाजपा- भा.म.सं. कार्यकर्ताओं के 10-12 परिवार इकट्ठे रहते हैं। 5 घर पूरी तरह तहस-नहस कर दिये गये, करीब 20 महिलाओं और बच्चों पर तलवारों और कुल्हाड़ियों से निर्मम प्रहार किये गये। 10 साल का सूरज और 6 साल की वैष्णवी को तलवारों से बुरी तरह घायल कर दिया गया। राजगोपाल के ऑटो रिक्शा को तोड़ दिया गया और उसके घर में परिजन के विवाह के लिए रखे 27 हजार रुपए लूट लिये गये। उसके कुत्ते को तलवारों से काट डाला गया। लेकिन नरपिशाचों की निर्ममता इतने पर भी शांत नहीं हुई तो उन्होंने पद्मनाभन के 16 साल के बेटे अभिलाष पर हमला करके उसके सीधे हाथ की 3 अंगुलियां काट दीं। बारहवीं के इस छात्र का अब भविष्य क्या होगा?इन सभी पीड़ितों का दोष क्या था? दोष केवल इतना था कि वे सब संघ की विचारधारा से जुड़े हैं। सत्ता के मद में डूबी माकपा अलप्पुझा सहित केरल के दूसरे जिलों को भी अपने गढ़ के रूप में बदलने की कोशिश में है। वह चाहती है कि ये सब जिले उस कन्नूर की तरह बन जायें जहां उनके अलावा कोई दूसरी पार्टी या विचारधारा काम नहीं कर सकती। रा.स्व.संघ- भाजपा -भा.म.सं. के वरिष्ठ नेताओं ने पीड़ित परिवारों से भेंट की और उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर संघ कार्यकर्ताओं पर हमले नहीं रुके तो माकपा-एन.डी.एफ. को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने सावधान किया कि एन.डी.एफ. से सांठ-गांठ माकपा को भारी पड़ेगी। उन्होंने दंगाइयों के खिलाफ पुलिस कार्रवायी की मांग की। अलप्पुझा जिले में माकपा की गुण्डागर्दी के खिलाफ एक जन-प्रदर्शन भी आयोजित किया गया।12
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