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यह संघर्ष ओम और रोम के बीच-जितेन्द्र तिवारी27 मई को उमस भरी गर्मी में सायंकाल 5 बजे 30 हजार से अधिक रामभक्त दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्र थे। और उनके सन्मुख मंचस्थ थे देश के 100 से अधिक प्रमुख साधु-संत और धार्मिक-सामाजिक संगठनों के प्रमुख प्रतिनिधि। इनके साथ ही हरिद्वार एवं वृन्दावन से आए लगभग 400 साधु-संत एवं देश-विदेश के 150 से अधिक प्रतिनिधि विशिष्ट दीर्घा में उपस्थित थे। सबके भीतर जैसे गुस्सा उबल रहा था। गुस्सा था रामसेतु को तोड़े जाने का। गुस्सा था सरकार द्वारा हिन्दू भावनाओं की अनदेखी करने का। ये सभी संतों से निर्देश लेने आए थे कि रामसेतु की रक्षा के लिए आगे क्या करना है। और मंचस्थ संतों ने जन-जन का आह्वान किया- “राम मंदिर बनाएंगे, रामसेतु बचाएंगे।” संतों ने उपस्थित जन समुदाय से हाथ उठाकर संकल्प कराया- हम रामसेतु की रक्षा के लिए बलिदान देने को तैयार हैं।विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की चार दिन लम्बी चली बैठक के बाद यह भी घोषणा की गई कि यदि सरकार ने सेतु समुद्रम परियोजना का मार्ग बदलने की सार्वजनिक घोषणा नहीं की, रामसेतु को तोड़ने का काम जारी रखा, तो 22 जुलाई को नई दिल्ली में होने वाली धर्म संसद में देशव्यापी प्रचण्ड आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया जाएगा। रामसेतु रक्षा मंच, दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित इस विशाल सभा में 40 से अधिक संगठनों ने सहभागिता की। सभा की अध्यक्षता उडुपि मठ के प्रमुख मध्वाचार्य स्वामी विश्वेशतीर्थ जी महाराज ने की।विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने कहा कि संत अभी सरकार को सिर्फ चेतावनी दे रहे हैं। यदि सरकार ध्वंस के कार्य को नहीं रोकती है तो हमें शक्ति प्रयोग के लिए भी तैयार रहना है। श्री सिंहल ने केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल में समस्त संतों की ओर से लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि आगामी 22 जुलाई को नई दिल्ली में धर्म संसद होगी। तब तक सरकार के पास समय है कि वह रामसेतु तोड़ने की योजना रोक दे। इसके बाद संत रामसेतु की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के बलिदान से पीछे नहीं हटेंगे।भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं रामसेतु रक्षार्थ भाजपा द्वारा गठित संसदीय समिति के अध्यक्ष डा. मुरली मनोहर जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार ने संसद में कहा कि रामसेतु का कोई अस्तित्व नहीं है, इससे बड़ा झूठ कुछ और नहीं हो सकता। सरकार के दस्तावेज ही रामसेतु के बारे में प्रमाण देते हैं, जिसे सरकार आदमसेतु कहती है। अब यह कहना कि वह रामसेतु नहीं है, इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी? डा. जोशी ने विस्तारपूर्वक सेतु समुद्रम परियोजना का विवरण रखा और कहा कि सरकार अच्छी तरह समझ ले कि रामसेतु पहले भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा। इसे हम ध्वस्त नहीं होने देंगे।विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि दुनिया के अनेक देश जहां हर कीमत पर अपनी विरासत की रक्षा करते हैं वहीं सेकुलरवाद के कारण यह सरकार इस महान विरासत की अनदेखी कर रही है। मिश्र के पिरामिड, समुद्र में डूबा रानी क्लियोपेट्रा का महल, चीन की दीवार आदि इसके उदाहरण हैं। डा. तोगड़िया ने कहा कि यदि रामसेतु की जगह अली सेतु होता तो शायद सोनिया गांधी और डा. मनमोहन इस सेतु को तोड़ने की परियोजना का उद्घाटन करने नहीं जाते।नासिक स्थित सुप्रसिद्ध कालाराम मंदिर के महंत सुधीरदास जी ने कहा कि सरकार पुरातात्विक महत्व के स्मारकों की रक्षा के लिए स्मारक संरक्षण कानून-1958 के अन्तर्गत बाध्य है। निर्वाण पीठाधीश्वर स्वामी विश्वदेवानंद जी ने कहा कि प्रधानमंत्री राम सेतु रक्षा के लिए पहल करें। वशिष्ठ पीठाधीश्वर डा. रामविलास दास वेदांती जी ने कहा रामसेतु की रक्षा के लिए संत पूरे देश में अलख जागाएंगे। महन्त नवल किशोर दास जी ने कहा कि सरकार को सेतु ध्वंस के पहले जन भावनाओं से टकराना होगा। सुमेरुपीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती जी ने कहा कि सरकार ने यदि हमारी चेतवनी की अनदेखी की तो संत रामेश्वरम की ओर कूच करेंगे और परियोजना को बलपूर्वक ठप्प कर देंगे।प्रख्यात संत श्री आशाराम बापू के शिष्य स्वामी सुरेशानंद जी ने इस अवसर पर रामचरित मानस की अनेक चौपाइयां के माध्यम से कहा कि जैसे रावण की मति मारी गई थी, वैसे ही वर्तमान सरकार को बुद्धि-विभ्रम हो गया है।जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व केन्द्रीय विधि मंत्री डा. सुब्राह्मण्यम स्वामी ने कहा कि अब ओम और रोम के बीच संघर्ष छिड़ गया है, इस संघर्ष में अंतत: रोम ध्वस्त होगा और ओम की विजय होगी। डा. स्वामी ने कहा कि सरकार को नासा ने ही नहीं, इसरो ने भी रामसेतु के उपग्रह से खींचे गए चित्र सौंपे हैं। केन्द्रीय भूविज्ञान विभाग ने भी अपनी रपट में कहा है कि यह सेतु मानव निर्मित है, प्राकृति निर्मित नहीं। फिर भी सरकार सेतु तोड़कर समुद्री नहर बनाने पर आमादा है, जबकि इस परियोजना को पूरा करने के लिए सरकार के पास विकल्प हैं। डा. स्वामी ने कहा कि सरकार के कदम से सिद्ध होता है कि हिन्दू इस सरकार के निशाने पर हैं।शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद जी सरस्वती ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति जी स्वयं रामेश्वरम् के रहने वाले हैं। वे सेतु की ऐतिहासिकता से परिचित हैं। उन्हें सेतु रक्षा के लिए सरकार को उचित परामर्श देना चाहिए। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास जी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह दुर्भावना से प्रेरित होकर सेतु ध्वंस में सक्रिय है। संत और हिन्दू समाज इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा।रा.स्व. संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि “भय बिनु होई न प्रीति” को व्यक्त करने का अवसर आ गया है। लाखों वर्ष प्राचीन राम सेतु की रक्षा के लिए हमें दुष्ट दलन करना होगा। संत जो भी निर्देश देंगे, स्वयंसेवक उसे पूर्ण करेंगे।हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महामंत्री स्वामी परमात्मानंद जी ने कहा कि हम सेतु समुद्रम परियोजना के विरोधी नहीं हैं, हम सिर्फ रामसेतु को बचाने की मांग कर रहे हैं। सरकार के पास विकल्प भी उपलब्ध हैं, पर केन्द्रीय मंत्री बालू की जिद के कारण विकल्प पर चर्चा को सरकार तैयार नहीं है। स्वामी जी ने कहा कि देश के अनेक पुरातत्वविदों, समुद्री पुरातत्व के विशेषज्ञों, सुनामी के अध्ययन से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने परियोजना के वर्तमान मार्ग का, जिसके कारण राम सेतु टूट रहा है, विरोध किया है। सेतु के ऐतिहासिक, पौराणिक, साहित्यिक, धार्मिक, वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध हैं, इस पर भी केन्द्रीय मंत्री बालू का यह कहना कि सेतु का कोई साक्ष्य नहीं, सबसे बड़ा झूठ है। जैन संत मुनि लोकप्रकाश “लोकेश” ने कहा कि राम सेतु हमारी आस्था का प्रतीक है। मैं स्वयं अपने हजारों शिष्यों के साथ सेतु रक्षा का संकल्प कर चुका हूं। कालिका पीठ के महंत सुरेन्द्र नाथ अवधूत ने कहा कि अनुनय-विनय की समय सीमा बीत चली है। अब सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए संघर्ष का बिगुल बजना ही चाहिए। धन्यवाद ज्ञापित किया रामसेतु रक्षा मंच, दिल्ली के संयोजक श्री बैकुंठ लाल शर्मा उपाख्य प्रेम सिंह “शेर” ने। सभा का संचालन अ.भा. संत समिति के महामंत्री स्वामी हंसदास जी और विश्व हिन्दू परिषद् के संयुक्त मंत्री श्री जीवेश्वर मिश्र ने संयुक्त रूप से किया।19
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