|
भागलपुर से लोकसभा सांसद श्री शाहनवाज हुसैन ने 18 अप्रैल को संसद में आतंकवाद और आन्तरिक सुरक्षा से जुड़े सारगर्भित मुद्दे उठाए। प्रस्तुत हैं उनके उसी वक्तव्य के मुख्य अंश-सं.-शाहनवाज हुसैनलोकसभा सांसद, भाजपाआज कश्मीर खतरे में है मगर सरकार का एक ही मकसद दिखता है कि किस तरह से कांग्रेस-पीडीपी की सरकार यहां चलती रहे। यहां से बड़ी मात्रा में सेना की कटौती हो रही है। कौन लोग चाहते हैं कि यहां सेना न रहे? जो देश विरोधी संगठन हैं, पाकिस्तान के लोग हैं या आतंकवादी हैं, वे ही चाहते हैं कि वहां सेना न रहे ताकि खुली कार्यवाही करना आसान हो जाए। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इस पर हमें सियासत से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। लेकिन सरकार की भूमिका वहां सेना का मनोबल गिरा रही है। आतंकवाद से लड़ने के लिए सरकार में इच्छाशक्ति, संकल्पशक्ति की कमी है। भारत पर लगातार आतंकवादी हमलों के बावजूद सरकार कठोर कानून बनाने से हिचकती है। इससे विश्व में भारत की एक “साफ्ट स्टेट” की ऐसी छवि बनी है कि आतंकवादी यहां आकर कुछ भी कर सकते हैं। जब संसद पर हमला हुआ, उसके बाद राजग ने पोटा कानून बनाया। पोटा बनाने के बाद अफजल गुरु जैसे लोगों को सजा हुई। आज उसकी सजा की माफी की बात करने वाले लोगों ने ही आतंकवादियों का मनोबल बढ़ाया है।हम 1857 की 150वीं जयंती मना रहे हैं, जबकि आतंकवादियों की हिम्मत देखिए कि वे दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास पर हमला करना चाहते हैं। कुछ दिनों पहले लश्करे-तोयबा के तीन आतंकवादी पकड़े गए। सरकार इस बात के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है कि हमने इस टोली को पकड़कर बहुत बड़ा काम कर लिया। जबकि पुलिस यह बयान दे रही है कि इस तरह की छह टोलियां और हैं, जिसमें एक-दूसरे को यह मालूम नहीं है कि कौन सी टोली कब हमला करने वाली है।आज सवाल यह है कि भारत में आतंकवाद से लड़ने के लिए हम राजनीति से ऊपर उठकर कब काम करेंगे? क्या हम यह सोचते हैं कि अगर हम आतंकवाद के खिलाफ बोलते हैं, तो इससे कोई नाराज हो जाएगा? हम आतंकवाद के खिलाफ बोलेंगे, तो सिर्फ पाकिस्तान नाराज होगा। यदि आप आतंकवाद के खिलाफ लड़ेंगे, तो हिन्दुस्तान से मोहब्बत करने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी पूजा-पद्धति कोई भी हो, नाराज होने वाला नहीं है।कश्मीर के मामले में नरम नीति पर चलने वाली सरकार को जनता कभी माफ नहीं करेगी। अब तक आतंकवादी घटनाओं में कश्मीर में अस्सी हजार लोगों की हत्या हो चुकी है।पूर्वोत्तर सहित देश के अन्य राज्यों में भी हालात अच्छे नहीं हैं। पशुपति से तिरुपति तक “लाल गलियारा” बनाने की माओवादियों-नक्सलवादियों की योजना है। बिहार में भी कई जगह उन्होंने जेलें तोड़ीं। उनकी कई योजनाएं हैं। हमें मिलकर लड़ाई लड़नी चाहिए। इस पर भी राजनीति से ऊपर उठकर काम होना चाहिए। आतंक पर राजग ने नियंत्रण किया था। आंध्र में चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने नियंत्रण किया था। लेकिन जैसे ही वहां कांग्रेस की रेड्डी सरकार आई, कांग्रेस के लोग आतंकवादियों को वार्ता की मेज पर बुलाकर चाय-काफी पिलाने लगे। जो लाल गलियारा बना है, उस पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए, राज्य सरकारों से बातचीत करनी चाहिए। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में जो बैठक हुई थी, उस बैठक में नक्सलियों से लड़ने के लिए जो ब्लू पिं्रट तैयार किया गया वह नक्सलवादियों के पास पहुंच गया। ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए। नक्सलियों से लड़ाई के लिए हमारे जवानों को आधुनिक तकनीकी से लैस किया जाना चाहिए। आधुनिक हथियार चाहिए। सिर्फ वर्दी, जूता और दो राइफलें दे देने से आतंकवाद रुकने वाला नहीं है। केन्द्र द्वारा नक्सलवादियों से लड़ने के लिए राज्य सरकारों को पूरी मदद दी जानी चाहिए। सीमा प्रबंधन की स्थिति भी आज बहुत खराब है। राजग सरकार के समय सीमा पर तार लगाए गए थे, लेकिन अब वह काम बहुत धीमी गति से हो रहा है। खुद गृह मंत्री कहते हैं कि हमें समुद्री रास्ते से खतरा है, सीमा पार से खतरा है, हवाई हमले से खतरा है, स्टॉक एक्सचेंज पर खतरा मंडरा रहा है। यानी आज हमें सीमा पर उतना खतरा नहीं है जितना घर के अंदर खतरा है। एसएसबी की 21वीं बटालियन का शिविर बिहार के किशनगंज में बनना था, उसके लिए बिहार सरकार ने जमीन दे दी है। केन्द्र सरकार ने उसे स्वीकृति दे दी है लेकिन वहां के एक सांसद उसे रोके हुए हैं। उनको लगता है कि यदि एसएसबी का शिविर वहां बन जाएगा तो पता नहीं उनको क्या दिक्कत आएगी। बिहार नेपाल की सीमा से लगता है अत: वहां यह शिविर बहुत जरूरी है।आज साइबर अपराध भी बड़ी तेजी से इस देश में बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए जितना धन आवंटित होना चाहिए उस पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है।कश्मीर के बारे में मैंने संसद में मुद्दा उठाया था कि सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व में जिस तरह वहां पर पाकिस्तानी झंडा फहराया गया और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए, उस पर सरकार ने एक शब्द भी नहीं बोला। हम लोगों ने उस पर जब कहा तो ऐसा लगा जैसे कुछ और लोग उनकी मदद के लिए खड़े हो गए हैं। बहुत से साथियों ने इस विषय को गंभीरता से लिया और हमारी आवाज में अपनी आवाज मिलायी, लेकिन सरकारी पक्ष से, खासकर कांग्रेस के सदस्यों ने उस पर इतना हल्ला किया जिसका देश में अच्छा संदेश नहीं गया।सरकार सांप्रदायिक सौहार्द की बात करती है लेकिन सरकार के हर काम सौहार्द बिगाड़ने वाले हैं। हम दिल से चाहते हैं कि इस देश में साम्प्रदायिक सौहार्द हो। भाजपा सदा इस बात का समर्थन करती है, लेकिन हम आपसे यह जरूर कहना चाहते हैं कि आतंकवाद का सिर सरकार मजबूती से कुचले। अगर इसे नहीं कुचला गया तो बहुत दिक्कत आने वाली है।पाकिस्तान के मुद्दे पर सरकार को गंभीर होना चाहिए। सरकार सेना का मनोबल बनाए रखेगी, नक्सलवाद से मजबूती से लड़ेगी, इस देश में आतंकवाद को रोकने के लिए सख्त कानून लाएगी, पूरे देश को इन मुद्दों पर एक साथ लेकर चलेगी और इस पर कोई राजनीति नहीं करेगी, यह सरकार से हमारी अपेक्षा है। इस देश में जो आपराधिक तत्व हैं, आतंकवादी और नक्सलवादी हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। कश्मीर के बारे में संसद द्वारा पारित प्रस्ताव कि कश्मीर की एक-एक इंच जमीन पर हमारा अधिकार है और गुलाम कश्मीर को भी हम भारत का अंग बनाएंगे, के प्रति सरकार सतत प्रयास करे। हमें अपना संकल्प याद रखना चाहिए।29
टिप्पणियाँ