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अन्याय करने वालों का अपराध जितना है, चुपचाप उसे बर्दाश्त करने वालों का क्या उससे कम है?-विमल मित्र (साहब, बीबी और गुलाम, पृ.-66)केरल के सागर तटों से थोरियम युक्त रेत का निर्यातरामसेतु तथा कोचीन के मध्य का सम्पूर्ण समुद्री तट विश्व के सर्वाधिक समृद्ध परमाणु तत्व थोरियम और टाइटेनियम से युक्त है। यहां की रेत भविष्य के उस परमाणु र्इंधन से ईश्वरीय विधान से ही समृद्ध है और यह थोरियम समृद्धि दुनिया के किसी भी अन्य देश के सागर तट पर उपलब्ध नहीं है। उल्लेखनीय है कि यूरेनियम भंडार अगले 20 से 30 वर्षों के बीच दुनिया से पूर्णत: समाप्त हो जाएंगे, ऐसा आकलन किया गया है। यूरेनियम भंडार समाप्त होने के बाद परमाणु ईंधन की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए एकमात्र थोरियम ही बचता है। जैसा कि डा. मुरली मनोहर जोशी ने इस अंक में प्रकाशित अपने साक्षात्कार में भी कहा है, भारत के वैज्ञानिक थोरियम के संबंध में अनुसंधान के क्षेत्र में दुनिया में सबसे आगे हैं। यहां तक कि अमरीका भी थोरियम के संबंध में वैज्ञानिक अनुसंधान की दृष्टि से भारत से तीन से चार वर्ष पीछे है।पिछले कुछ समय से रामेश्वरम्-कोचीन समुद्र तट क्षेत्र से लाखों मीट्रिक टन रेत अमरीका तथा यूरोपीय देशों को निर्यात की जा चुकी है। निर्यात का यह कार्य चेन्नै स्थित वी.वी. मिनरल्स कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जो द्रमुक समर्थक है। इसलिए उसका केन्द्रीय मंत्री टी.आर. बालू और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि के साथ संबंध जोड़ा जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ से वी.वी. मिनरल्स के संचालक जगदीशन और चन्द्रेशन ने हवा में खतरा भांपते हुए अभी से अग्रिम जमानत हासिल कर ली है। इस संबंध में रामसेतु विशेषज्ञ श्री एस. कल्याणरमन ने प्रधानमंत्री तथा केन्द्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार को पत्र लिखकर कहा है कि थोरियम और टाइटेनियम युक्त रेत का निर्यात परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 के अनुच्छेद 26 के अन्तर्गत अपराध है। अत: इस रेत निर्यात को तुरंत रोका जाना चाहिए, क्योंकि यह निर्यात हमारे सामरिक भविष्य के लिए खतरा पैदा कर रहा है।भारत की मिट्टी भारत के ही विरुद्ध इस्तेमाल के लिए विदेशों में भेजने वाले भारतीय हैं और हिन्दू हैं। उन्हें देशभक्ति और धर्म की किस श्रेणी में रखा जाना चाहिए? वे जो भारत के विरुद्ध विदेशी साजिशों में सहयोग दे रहे हैं उनमें सामान्य प्रजा से लेकर सत्ताधीश तक-सभी वर्गों के लोग शामिल हैं। यह देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे लोगों को जातीयता और प्रांतवाद के वोट बैंकों के कारण सत्ता-संचालन का मौका मिलता रहता है। यह उन लोगों की भी कमजोरी है जो देश के सामने ऐसे बड़े मुद्दे रखने में असफल रहते हैं जिन मुद्दों की प्रबलता के रंग में संकीर्णताएं मिट जाती हैं। भारत के गैरराजनीतिक नेतृत्व को जितना अधिक सशक्त किया जाएगा उतना ही अधिक राजनीतिक विद्रूपताओं और राष्ट्रीयता विरोधी अपमानजनक साजिशों को समाप्त किया जाना संभव होगा। इसलिए दूसरों की ओर उंगली उठाने से पहले हमें अपने भीतर झांककर अपनी गलतियों और दुर्बलताओं को दूर करने का साहस दिखाना होगा।6
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