एमसीसी-लश्कर गठबंधन का अर्थ
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

एमसीसी-लश्कर गठबंधन का अर्थ

by
Jun 5, 2007, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 05 Jun 2007 00:00:00

संगठित जिहाद की नयी चुनौतियां-शाहिद रहीमसंगठित अपराध की तरह देश के तेरह प्रान्तों में संगठित जिहाद की तैयारी संभवत: पूरी होने वाली है। विडंबना यह है कि इस देशद्रोही आन्दोलन में माओवादी कम्युनिस्ट सेन्टर तथा कश्मीर के प्रमुख आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तोयबा शामिल हो गए हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार 21 जनवरी से 20 फरवरी 2007 तक 30 दिनों के सत्र में बंधे एक सम्मेलन का आयोजन “रोलपा” (नेपाल) से 8 कि.मी. पश्चिम- दक्षिण क्षेत्र में किया गया। “रिवोल्यूश्नरी पीपुल्स काउंसिल” द्वारा आयोजित इस “यूनिटी कांग्रेस” में माओवादी आन्दोलन के प्रभावों का विश्लेषण करते हुए नई योजनाएं बनाई गईं और स्पष्ट किया गया कि अब से माओ आन्दोलनकारी जिहादी संगठनों की सहायता करेंगे और उनसे वांछित सहायता प्राप्त करेंगे।लश्कर-ए-तोयबा के कार्यकारी अध्यक्ष और जमाअत-उद्-दावा के प्रवक्ता प्रोफेसर अमीर हमजा ने नेपाल में आयोजित “यूनिटी कांग्रेस” सम्मेलन से वापसी के बाद अपनी एक रपट में विस्तार से लिखा है कि “लश्कर-ए-तोयबा और माओवादी स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत के ब्राह्मण साम्राज्य की चूलें हिलाकर रख दी हैं। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यद्यपि यह स्वीकार कर लिया है कि माओवादियों से देश की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर खतरा है, लेकिन यह खुदा की मेहरबानी है कि भारत सरकार और उसके सुरक्षा संगठन इस आन्दोलन को उन्हीं क्षेत्रों तक सीमित मानते हैं जहां तक उनके हिंसक हमले जारी हैं। जबकि माओ आन्दोलन अन्य मोर्चों पर भी सक्रिय है और भारत के दो तिहाई भाग पर अपना वर्चस्व स्थापित कर चुका है। उन्होंने क्षेत्रीय ब्यूरो बनाए हैं और प्रान्तीय व्यवस्था भी लागू की है। प्रत्येक प्रान्तीय व्यवस्था के नीचे विशेष मण्डलीय और विशेष क्षेत्रीय समितियां भी काम कर रही हैं।” (गजवा:22 मार्च)साउथ एशियन इंटेलिजेन्स (एस.ए.आई.आर.) तथा इंस्टीट्यूट फॉर कनफ्लिक्ट मैनेजमेन्ट की रपटों से भी यह बात सामने आ चुकी है कि माओवादियों ने भारत में पांच क्षेत्रीय ब्यूरो, तेरह प्रान्तीय समितियों, दो क्षेत्रीय और तीन मंडलीय विशेष समितियों की स्थापना के साथ-साथ गुजरात, मेघालय, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के अब तक अछूते इलाकों में भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। माओवादी वंचित हिन्दुओं और मुसलमानों को संगठित करके उत्तर-पूर्वी भारत में संगठित आन्दोलन चलाने की योजना पर काम कर रहे हैं।लश्कर-ए-तोयबा के नेता अमीर हमजा ने नेपाल में हुए “एम.सी.सी.-लश्कर गठबंधन” का स्वागत करते हुए भविष्य में गतिविधियों की योजना पर जो सुझाव दिए हैं, उनसे यह सहज ही अंदाजा हो जाएगा कि आने वाले समय में देश की आंतरिक सुरक्षा का खतरा कितना और किस-किस दिशा में बढ़ने वाला है? अमीर हमजा के अनुसार, “लश्कर-ए-तोयबा ने माओवादियों को यह सुझाव दिया है कि वे “पीपुल्स वार ग्रुप” को कश्मीर, असम, नागालैण्ड, मणिपुर तथा उत्तर-पूर्वी प्रान्तों में सक्रिय बनाएं और अधिक से अधिक प्रान्तों में साम्यवादी विचारधारा का राजनीतिक दल बनाकर वंचित हिन्दुओं एवं मुसलमानों के सहयोग से पहले प्रान्तीय सरकारों के खिलाफ मोर्चा फतह करें।” अर्थात् माओवादियों का उद्देश्य अब आम आदमी को बगावत के लिए तैयार कराने एवं मुस्लिम आन्दोलन में उन्हें शामिल कराना है।लश्कर-ए-तोयबा और नेपाली माओवादी संगठन के बीच निरन्तर सम्पर्क और बढ़ रही घनिष्ठता के बारे में “डेली न्यूज” (काठमाण्डू) में शशि पी.बी.बी. एवं चन्द्र बहादुर बर्बत ने भी एक संयुक्त लेख लिखकर जनता को अवगत कराया था कि यह दोनों संगठन दृष्टिकोण और मूल्यों के संदर्भ से भी एक हैं। लश्कर नेता ने इसी लेख का संदर्भ बताते हुए सुझाव दिया है कि भविष्य में दोनों संगठन “राजपूत-मुगल एलाइन्स” की तरह इतिहास दोहराएंगे, क्योंकि दोनों ही ब्रितानी लोकतंत्र के विरोधी हैं और अपने-अपने कारणों से सत्ता में विपक्ष की भूमिका को अप्रासंगिक मानते रहे हैं। खबर तो यह भी सामने आई है कि आज से 36 वर्ष पूर्व माओवादी एवं लश्करी मुसलमानों ने इसी नेपाल में संगठित आन्दोलन चलाने का संकल्प लिया था, लेकिन आपातकाल के बाद 1978 से रिश्ते में कुछ खटास आ गई। परन्तु ब्राह्मणों को कश्मीर से निष्कासित करने में नेपाल के कई साम्यवादी नेताओं का सहयोग नहीं भुलाया जा सकता। (जर्ब-ए-तोयबा: वेब पत्रिका, 24 मार्च)लश्कर-ए-तोयबा के संरक्षक राजनीतिक संगठन “जमाअत-उद-दावा” के अध्यक्ष हाफिज मुहम्मद सईद के नेतृत्व में शहीद-ए-कश्मीर दिवस 13 जुलाई (1931 ई.) की याद में तथा शहीद-ए-जम्मू दिवस (6 नवम्बर 1947 ई.) की याद में मनाया जाता है। विगत नौ वर्षों से 5 फरवरी को “संयुक्त कश्मीर दिवस” मनाने की परम्परा शुरू हुई है। हाफिज सईद ने इन अवसरों पर अक्सर दोहराया है कि “भारत के विस्तारवादी संकल्पों को ध्वस्त करने के लिए “जिहाद” को जारी रखना जरूरी है। पाकिस्तान की सेना संयुक्त राष्ट्र के सिद्धान्तों से बंधी है लेकिन आवाम आजाद है। कश्मीर में जिहाद जितना मजबूत होगा, भारत उतना ही कमजोर होगा। भारत में कश्मीर के अतिरिक्त दस-बारह अलगाववादी आन्दोलन चल रहे हैं।” गत 5 फरवरी को हाफिज सईद ने इस्लामाबाद में “कश्मीर कान्फ्रेंस” की अध्यक्षता करते हुए कहा- “भारत में एक दर्जन से ज्यादा आजादी की तहरीकें चल रही हैं। पाकिस्तान का फर्ज है कि वह स्वतंत्रता के इन आन्दोलनों को राजनीतिक, व्यावहारिक और राजनयिक सहायता प्रदान करे। इन्शाअल्लाह, वह वक्त दूर नहीं, जब लाखों मुसलमानों के कातिल इस मुल्क से कई मुल्क बाहर निकलेंगे और भारत का अंजाम भी सोवियत संघ जैसा होगा, और तब मध्य एशिया से इन्डोनेशिया तक इजारादारी का सपना देखने वाले भारतीय नागरिकों को कलकत्ता से दिल्ली तक पहुंचने के लिए कई-कई “वीजा” लेना पड़ेगा।”(जमाअत उद दावा ओ.आर.जी: वेब पत्रिका, 8 फरवरी, 07)कश्मीर और जिहादी आतंकवाद के संदर्भ में भारत-पाक वार्ता की स्थिति यह है कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कश्मीर से भारतीय सेना हटाने तक का प्रस्ताव भेजा और यह दावा किया कि कश्मीर के संदर्भ में कहीं भी जिहाद नहीं हो रहा है। जबकि उनके अपने नगर इस्लामाबाद में भारत को जिहाद से खत्म करने की घोषणाएं की जा रही हैं। कश्मीर, जिहाद या भारत-पाक संबंधों के मामले में मुशर्रफ का फैसला पहले भी प्रभावहीन रहा है। लश्कर पर उन्होंने प्रतिबंध लगाया था लेकिन लश्कर की सक्रियता भारत के सुदूर गांवों तक बढ़ रही है। आज जिहाद संगठित हो रहा है। आपराधिक संगठनों के मंच “सिंडिकेट” कहे जाते हैं। जिहादी संगठनों के संयुक्त मंच का नाम “मुत्तहिदा मजलिस-ए-अमल” (एम.एम.ए.) है, जिसके अध्यक्ष जमाते इस्लामी के प्रमुख काजी हुसैन अहमद हैं। पाकिस्तान की राष्ट्रीय संसद में एम.एम.ए. मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा रहा है। संभावित आम चुनाव (2008) में सत्ता की भागीदारी के लिए एम.एम.ए. प्रमुख गठबंधन दल है जिसे नवाज शरीफ, बेनजीर भुट्टो सहित सभी राजनीतिक और मजहबी संगठनों का भरपूर समर्थन प्राप्त है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी गतिविधियों की न तो उपेक्षा की जानी चाहिए, न इसे समय की प्रतीक्षा में, ठंडे बस्ते में डाला जाना चाहिए।पाकिस्तान भारत के खिलाफ संगठित जिहाद की तैयारी कर रहा है और माओवादी शक्तियों से हाथ भी मिला चुका है। भारत के लिए जरूरी यह है कि पाकिस्तानी योजनाएं या तो गर्भ में ही मार दी जाएं अथवा पैदा होते ही उनका गला घोंट दिया जाए।21

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies