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सरोकार

by
May 8, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 08 May 2007 00:00:00

मेनका गांधी, सांसद, लोकसभाकुत्तों के प्रति हिंसा दण्डनीय अपराधसंजय शर्मा, सी.ए.मार्ग कुक्सी (म.प्र.)हम अपने मोहल्ले के कुत्तों को खाना खिलाते हैं, किन्तु हमारे पड़ोसियों को यह बुरा लगता है। वे हमें धमकाते हैं। इसके लिए क्या किया जाना चाहिए?भारत के विभिन्न न्यायालयों ने आवारा कुत्तों को भोजन देना सही माना है और स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित किया है कि वे उनकी देखभाल करें और उनको अपनी शरण में लें। आप अपने विरोध करने वाले पड़ोसियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। अगर आपको धमकाने वाले एक से ज्यादा लोग हों तो इसमें धारा 34 भी लागू हो जाएगी। अगर वे आपको मारते हैं या नुकसान पहुंचाते हैं तो उनको भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 325 के अन्तर्गत भी दंडित किया जा सकता है। अगर वे कुत्तों को हानि पहुंचाते हैं या मार डालते हैं तो धारा 428 और 429 के अन्तर्गत वे दोषी हैं। दिल्ली के एक न्यायालय ने हाल में अपने एक निर्णय में कहा है कि वे लोग जो आवारा और बेघर कुत्तों की देखभाल करते हैं वे समाज के लिए एक अच्छा कार्य कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस और लोगों का यह कर्तव्य है कि वे ऐसे लोगों और कुत्तों को सुरक्षा दें।आलोक शर्मा, जे.सी.रोड, लालपुर, रांची (झारखण्ड)मैं अपने आहार में सामान्य रूप से मछली का प्रयोग करता हूं और खुद को शाकाहारी मानता हूं। क्या यह अपने आपको धोखा देना है?अगर आप अपने सिद्धान्तों की वजह से शाकाहारी हैं तो आपको यह मालूम होना चाहिए कि मछलियों को बहुत ही क्रूर तरीके से पकड़ा जाता है। जब मछली के मुंह में कांटा फंसता है तब मछली तड़पती है और वह कांटा उसके मुंह को फाड़ता है। मछली को पानी से बाहर निकालने के बाद तुरंत मारा नहीं जाता, बल्कि तड़फ-तड़फ कर मरने के लिए उसे छोड़ दिया जाता है। अगर आप स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शाकाहारी हैं तो आपको मछली खाने के खतरों को समझना चाहिए। पानी में फैक्ट्रियों से जो भी रसायन व जहरीला पदार्थ छोड़ा जाता है मछलियां उनको ग्रहण कर लेती हैं अथवा सोख लेती हैं। मछलियों में रसायन व जहरीला पदार्थ सोखने की क्षमता मनुष्य से कई गुना अधिक होती है और मछली खाने से यह सब जहरीला पदार्थ वापस आपके शरीर में प्रवेश करता है। एक जीवित मछली में बदबू बिल्कुल नहीं होती। मछलियों से बदबू उनके सड़ने की आती है और वही मछली लोग खाते हैं। मछलियों के बहुत ज्यादा पकड़े जाने के कारण वे लुप्त हो सकती हैं। खाने के लिए किसी जीव को मारने का कोई औचित्य नहीं है। अपने को धोखा देना छोड़िए और वास्तविक शाकाहारी बनिए।इन्द्रप्रकाश, अनाज मंडी, राडौर (हरियाणा)मैंने पढ़ा है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री अपने घर में एक तितलियों का बगीचा बना रही हैं। यह तितलियों का बगीचा क्या होता है?शहरीकरण की वजह से तितलियां अपने प्राकृतिक आश्रय खो रही हैं। बगीचे बनाने के लिए आपको ऐसे पौधे लगाने की जरूरत है जिनको तितलियों के अंडे यानी “कैटर पिलर” खाना पसंद करते हैं, जैसे- ब्राकोली, गाजर, पत्ता गोभी इत्यादि और वे पौधे जिन पर कि तितलियां जाना पसंद करती हैं, जैसे-हाईबिस्कस, मैरीगोल्ड, सूरजमूखी इत्यादि। तितली के बगीचे को ऐसी जगह लगाएं जहां पर सूर्य की पूर्ण रोशनी पहुंचे और लम्बे फूल के पौधों को छोटे फूल के पौधों के पीछे लगाएं। यह सुनिश्चित कर लें कि कोई भी कीटनाशक इस्तेमाल न हो क्योंकि यह तितलियों को मार देता है।पशु कल्याण आंदोलन में भाग लेने के इच्छुक पाठकश्रीमती मेनका गांधी से 14, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001पर सम्पर्क कर सकते हैं।इस स्तम्भ में हर पखवाड़े प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और शाकाहार कीे समर्पित प्रसारक श्रीमती मेनका गांधी शाकाहार, पशु-पक्षी प्रेम तथा प्रकृति से सम्बंधित पाठकों के प्रश्नों का उत्तर देती हैं। अपना प्रश्न भेजते समय कृपया निम्नलिखित चौखाने का प्रयोग करें।श्रीमती मेनका गांधी”सरोकार” स्तम्भ / द्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्यसंस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-11005516

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