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देश में हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ रही है-न्यायमूर्ति जी.एन.रे, अध्यक्ष, भारतीय प्रेस परिषद्”स्वतंत्रता के बाद हिन्दी भाषा का जितना विकास होना चाहिए उतना हुआ नहीं। जबकि हिन्दी मणिपुर से लेकर गुजरात तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक बोली और समझी जाती है।” यह कहना था भारतीय प्रेस परिषद् के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी.एन.रे का। न्यायमूर्ति रे गत 23 जुलाई को नई दिल्ली में मीडिया के विविध पक्षों पर केन्द्रित आठ पुस्तकों के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।न्यायमूर्ति रे ने आगे कहा कि हालांकि हिन्दी की स्वीकार्यता अब पूरे देश में बढ़ रही है, किन्तु इसकी गति बहुत धीमी है।समारोह का आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ने किया था। इस विश्वविद्यालय की शोध परियोजना के अन्तर्गत ये पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।समारोह में हिन्दी साप्ताहिक आउटलुक के सम्पादक श्री आलोक मेहता ने इन पुस्तकों के प्रकाशन को विश्वविद्यालय का अभिनव प्रयास बताया और कहा कि ये पुस्तकें अधिक से अधिक नवोदित पत्रकारों तक जानी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया कि वह ग्रामीण पत्रकारिता पर भी शोध कराए। विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अच्युतानंद मिश्र ने इन पुस्तकों के प्रकाशन के सन्दर्भ में बताया कि विश्वविद्यालय की महापरिषद् ने यह संकल्प किया था कि स्वतंत्रता के बाद से भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता के विस्तार और प्रभाव, उसकी प्रवृत्तियों और उपलब्धियों, उसकी कमियों और कमजोरियों का विश्वसनीय विश्लेषण प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में लिपिबद्ध किया जाए। उसी संकल्प को मूर्त रूप देते हुए प्रथम चरण में इन आठ पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है। इस अवसर पर इन पुस्तकों के लेखक, विश्वविद्यालय के शोघ कार्य के निदेशक श्री विजयदत्त श्रीधर, विश्वविद्यालय के नोएडा केन्द्र के निदेशक श्री अशोक कुमार टण्डन सहित अनेक वरिष्ठ जन उपस्थित थे।लोकार्पित पुस्तकें हैं- श्री ज्योतिष जोशी की “साहित्यिक पत्रकारिता”, डा. मनोज पटैरिया की “विज्ञान पत्रकारिता”, श्री राकेश सिन्हा की “राजनीतिक पत्रकारिता”, श्री आलोक पुराणिक की “आर्थिक पत्रकारिता”, श्री विनोद तिवारी की “फिल्म पत्रकारिता”, डा. हरबंश दीक्षित की “प्रेस विधि एवं अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य”, डा. देवव्रत सिंह की “भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया” एवं श्री नवल जायसवाल की “फोटो पत्रकारिता”। इन पुस्तकों का प्रकाशन नई दिल्ली के प्रभात प्रकाशन, वाणी प्रकाशन एवं सामायिक प्रकाशन ने किया है। प्रतिनिधि27
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