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25 जुलाई को संसद के केन्द्रीय कक्ष में नूतन राष्ट्राध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा पाटिल के शपथ ग्रहण समारोह में तमाम सरकारी प्रोटोकाल को ताक पर रखा जाना बेहद आश्चर्यजनक है। शपथ समारोह में लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी को चौथी पंक्ति में मुख्यमंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के पीछे स्थान दिया गया। ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ था। यह नि:संदेह संसदीय प्रोटोकाल का उल्लंघन था। जहां प्रथम पंक्ति में पहली बार राज्यसभा सदस्य बने माकपा के सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव बर्धन को बैठाया गया था जबकि बर्धन तो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं वहीं श्री आडवाणी को चौथी पंक्ति में स्थान देना सत्ता प्रतिष्ठान का दंभ नहीं तो और क्या कहा जाएगा? इस बात का अच्छा संदेश तो निश्चित ही नहीं गया है। प्रतिनिधि14
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