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रामसेतु टूटने नहीं देंगे-शंकर महादेवनपुण्य नगरी मदुरै के मीनाक्षी मंदिर के आस-पास के मार्ग न्याय के लिए संघर्ष के चिरंतन साक्षी रहे हैं। वीर कन्नगी ने दुष्ट राजा पण्डिया से यहीं संघर्ष किया था और उसे सच्चाई का मार्ग दिखाया था। तमिल संघम के अध्यक्ष नक्कीरन ने सिद्धान्तों पर अडिग रहते हुए तमाम प्रहार झेले थे। 22 जुलाई, 2007 को मदुरै नगरी एक बार फिर से रामसेतु रक्षा हेतु जुटे 40 हजार रामभक्तों के संकल्प की साक्षी बनी। उत्तर और पश्चिम मासी मार्ग का चौराहा घनघोर घटाओं के बीच संकल्पबद्ध रामभक्तों और संतों के विशाल संगम का केन्द्र था।रामेश्वरम रामसेतु रक्षण आंदोलन द्वारा यह जनसभा रामसेतु रक्षा की आगामी योजना निर्धारित करने के लिए आयोजित की गई थी। जब सभा में उपस्थित संतों और विशिष्टजनों ने तीन प्रस्ताव रखे तो उपस्थित रामभक्तों ने दोनों हाथ उठाकर उनका अनुमोदन किया। ये प्रस्ताव हैं- (1) सरकार के 1904 के प्राचीन स्मारक एक्ट के अंतर्गत रामसेतु को प्राचीन राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए। (2) आगामी आषाढ़ अमावस्या (12 अगस्त) को सभी रामभक्त उपवास करें ताकि राज्य व केन्द्र सरकार को रामसेतु के संदर्भ में सद्बुद्धि आए। 3. इस वर्ष रक्षा बंधन (28 अगस्त) का पर्व “रामसेतु रक्षा बंधन” के रूप में मनाया जाए ताकि रामसेतु रक्षण आंदोलन के प्रति जन-जन जागरुक हो।जनसभा को संबोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि जब-जब हिन्दुओं ने संघर्ष किया है, उनकी जीत हुई है। हम किसी कीमत पर रामसेतु टूटने नहीं देंगे।पेजावर पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेश्तीर्थ जी महाराज ने कहा कि वे धर्म जागरण हेतु गांव-गांव जाने को तैयार हैं। 1981 में मीनाक्षीपुरम् में मतान्तरण के खिलाफ भी उन्होंने ऐसी ही यात्रा की थी। उन्होंने हिन्दुओं की संघर्ष शक्ति की याद दिलाते हुए कहा कि तिरुपति में भी अन्याय के विरुद्ध सतत संघर्ष के बाद विजय प्राप्त हुई थी। यह रामसेतु आंदोलन भी हिन्दुओं के योगदान, त्याग, समर्पण के बल पर सफल होगा। पेजावर स्वामी ने घोषणा की कि वे आषाढ़ अमावस्या (12 अगस्त) के दिन रामेश्वरम् में उपवास करेंगे।भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री श्री उदयराव पटवर्धन ने कहा कि हिन्दुओं का अपमान करके जो भी मंत्री रामसेतु को तोड़ने की दिशा में आगे बढेगा भारतीय मजदूर संघ के एक करोड़ रामभक्त कार्यकर्ता उसका घेराव करेंगे।विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष श्री एस. वेदान्तम् ने आह्वान किया कि धर्म के मार्ग में हर तरह का बलिदान देने के लिए हिन्दू तैयार रहें। अविनाशलिंगम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और रामसेतु रक्षा आन्दोलन के अध्यक्ष श्री कुलनदैवल ने मांग की कि रामसेतु का एक प्राचीन पूज्य धरोहर के रूप में सम्मान होना चाहिए।पेरुर आदिनाम के तमिल विद्वान स्वामी मारुदचला अडिगलार ने कहा, “स्वर्ण चतुर्भुज मार्ग परियोजना में करोड़ों हिन्दू करदाताओं का पैसा मस्जिदों को बचाने के लिए मार्ग बदलने में खर्च किया गया, इसलिए सरकार को हिन्दू करदाताओं के पैसे को सेतु समुद्रम नहर मार्ग को बदलने में खर्च करने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।” थेनी चिद्भवानंद आश्रम के स्वामी ओंकारानंद ने सुब्राहृण्यम भारती की रामसेतु तक मार्ग बनाने का आह्वान करने वाली एक कविता का स्मरण किया।रामसेतु रक्षा आन्दोलन के कार्यकारी अध्यक्ष श्री रामगोपालन ने राम संस्कृति की बजाय रावण संस्कृति को मानने वाले नेताओं की भत्र्सना की। उन्होंने चेतावनी दी कि जब प्राचीन बामियान बुद्ध तोड़े गये थे तो अफगानी जनता को तालिबान का हिंसक शासन झेलना पड़ा था, अगर रामसेतु तोड़ा गया तो हिन्दुओं को भी स्थानीय “तालिबानों” के शासन में पीड़ा भोगनी पड़ सकती है।इस अवसर पर अनेक संतों द्वारा श्रीराम सेतु रक्षा आन्दोलन के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने वाले संदेश भेजे गये थे। इनमें प्रमुख हैं- माता अमृतानंदमयी, महंत नृत्यगोपाल दास और धर्मापुरम तथा तिरुववादुतुरई के महंत। सभा में अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे जिनमें प्रमुख थे- रामसेतु रक्षा आन्दोलन के कोषाध्यक्ष श्री सुकुमारन नाम्बियार, तमिलनाडु प्रांत संघचालक श्री मारिमुथु, संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री मधु भाई कुलकर्णी, अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल के सदस्य श्री सूर्यनारायण राव, दक्षिण क्षेत्र प्रचारक श्री सेतुमाधवन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री एल. गणेशन, उत्तर तमिलनाडु प्रांत प्रचारक श्री सुंदर तथा दक्षिण तमिलनाडु प्रांत प्रचारक श्री स्थानुमलयन। कार्यक्रम में रामेश्वरम् से 40 युवाओं द्वारा लायी गयी “न्याय ज्योति” को विश्व हिन्दू परिषद के श्री आर.आर. गोपाल जी ने ग्रहण किया। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री राधाकृष्णन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम से लौटने से पूर्व जब चालीस हजार रामभक्तों ने रामसेतु रक्षण का संकल्प लिया तो मानो पूरा आकाश राम नाम से गूंज उठा था।10
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