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रेवरेन्ड आर्चबिशप सीरिल मार बेसीलियसहिन्दू-ईसाई समन्वय के प्रखर वक्तागत 18 जनवरी की शाम तिरुअनन्तपुरम में सीरो-मालंकारा कैथोलिक चर्च के रेवरेन्ड आर्चबिशप सीरिल मार बेसीलियस का निधन हो गया। वे 71 वर्ष के थे। केरल ही नहीं पूरे भारत के वरिष्ठतम ईसाई नेता के रूप में उनकी ख्याति थी। आर्चबिशप बेसीलियस के निधन से केरल में शोक छा गया। सभी शिक्षण संस्थान एक दिन के लिए बंद रखे गए। रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री मोहन भागवत ने गत 19 जनवरी को एक शोक सन्देश जारी किया जिसके प्रमुख अंश इस प्रकार हैं-“मालंकारा कैथोलिक चर्च के प्रमुख आर्चबिशप सीरिल मार बेसीलियस अति सम्मानित आध्यात्मिक विभूति थे। उन्होंने ईसाई पादरी पद को भारतीय स्वरूप दिया था और चर्च के भारतीयकरण के प्रखर वक्ता थे। आदरणीय आर्चबिशप भारतीय संस्कृति के महान अध्येता थे और अपनी भारतीय विरासत का उन्हें अभिमान था।रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन की रेवरेन्ड आर्चबिशप से दो-तीन अवसरों पर बातचीत हुई थी और वे कुछ वर्ष पूर्व केरल में हुए अन्तरपांथिक संवाद में भी सम्मिलित हुए थे। उन्होंने किसी भी प्रकार के लालच के बल पर मतान्तरण का खुलकर विरोध किया था। राष्ट्र के आध्यात्मिक उत्थान में उनके योगदान को सदा याद रखा जाएगा। केरल के अलेप्पी जिले में पण्डालम के निकट उल्लन्नूर में एक सम्मानित ईसाई परिवार में पैदा हुए रेवरेन्ड आर्चबिशप आल इंडिया कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस के अध्यक्ष रहे थे और निधन के समय वे केरल कैथोलिक बिशप काउन्सिल के अध्यक्ष थे। उनकी मृत्यु से देश ने ऐसे महान आध्यात्मिक नेता को खो दिया है जिसने बहुलतावादी और आपसी सम्मान की वास्तविक भारतीय परम्परा के अनुसार हिन्दू-ईसाई समन्वय के लिए अथक प्रयास किया था। समूचा संघ परिवार मालंकारा चर्च और रेवरेन्ड आर्चबिशप सीरिल मार बेसीलियस के अनुयायियों के प्रति शोक संवेदना अर्पित करता है और प्रार्थना करता है कि उनकी आत्मा को शांति प्राप्त हो। रा.स्व.संघ के सरसंघचालक इस समय विदेश में हैं और उनकी अनुपस्थिति में उनकी और समूचे संघ परिवार की ओर से मैं श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हूं।” -प्रतिनिधि13
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