गेशे जम्पा-4
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गेशे जम्पा-4

by
Apr 2, 2007, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Apr 2007 00:00:00

लोब्जंग का संघर्ष-नीरजा माधवतिब्बत की स्वतंत्र सांस्कृतिक एवं धार्मिक अस्मिता के प्रश्न पर दुनिया भर के सेकुलर देशों की चुप्पी तोड़ने की दिशा में एक सकारात्मक उपन्यास गेशे जम्पा की चौथी कड़ी। -सं.अंधेरा बढ़ रहा था। शाम से ही आजकल कुहरा छाने लगा था। ग्राहकों की अब कोई उम्मीद न थी। उसने ऊनी कपड़ों का बड़ा-सा गट्ठर बांधा और अपनी पीठ पर लाद लिया था। बाएं हाथ की उंगली दावा को थमा वह घर की ओर चल पड़ी थी। काले रंग के छुपा के ऊपर सामने की ओर लटकता धारीदार पाङ्छेन उसके वैवाहिक होने का प्रमाण था। गले में बड़ी-बड़ी नीली आसमानी मोतियों की दो मालाएं उसके वक्ष पर लटक रही थीं। शाल को मोड़कर उसने बाएं कन्धे पर डाल लिया था। ढीली बांह वाले ब्लाउज के नीचे से पुराना स्वेटर दिखाई पड़ रहा था। खुले बालों को लपेटकर एक रिबन से कसकर बांध लिया था लोब्जंग ने और ऊपर रेशमी छींटदार स्कार्फ को सिर से लेकर कान को ढंकते हुए आगे ठुड्डी के नीचे लाकर गांठ लगा दी थी।”आज लामाजी के लिए अनार नहीं ले जाओगी क्या लोब्जंग दीदी?”चौराहे पर फलों वाले ठेले के सामने से गुजरते हुए रामधारी पटेल की पत्नी फुलवा ने पूछा था।”नहीं फुलवा, आज है अभी घर में। कल ले गई थी तो लामाजी ने नहीं खाया।” लोब्जंग ने थोड़ा ठमकते हुए उत्तर दिया।”ले लो दीदी। आज ही पहड़िया मंडी से लेकर आई हूं। एकदम ताजा है।” फुलवा ने दो अनार हाथों में उठाकर दिखाए थे। लोब्जंग रुककर उसके हाथों से अनार लेकर देखने लगी थी।”कैसे दोगी?” उसने भाव पूछा।”अरे दीदी, आपसे कभी मोल भाव किया है क्या? सबको चालीस रुपए किलो देती हूं। तुमको पैंतीस का लगा दूंगी।”लोब्जंग को याद आया कि जेब में मात्र पचास रुपए ही हैं। अभी घर के लिए चावल और आलू, टमाटर भी खरीदना है। उसने निराश भाव से अनार ठेले पर रखते हुए कहा-“अभी रहने दो, फुलवा। कल जे जाऊंगी।” फुलवा ताड़ गई थी।”अरे दीदी, ले जाकर आज खिलाओ। पैसे बाद में देती रहना। न तुम भागी जा रही हो, न मैं।” कहते हुए उसने एक किलो अनार तौलकर लोब्जंग को पकड़ा दिया। लोब्जंग ने संकोच के साथ जेब से पैसे निकालकर दे दिए थे।आज तक उसने किसी से उधार नहीं लिया था सारनाथ में। अनेक मुसीबतें झेल जाने के बाद भी उसका आत्मसम्मान सुरक्षित था। एक उम्मीद के सहारे वह जी रही थी। पेमा के पैदा होने के बाद ही पहला पति उसे छोड़कर न जाने कहां भाग गया था। तब से लेकर आज तक वह अपने और बच्चों के जीवन की सुरक्षा के लिए संघर्षरत थी। बचपन में मां-बाप से बिछुड़ी लोब्जंग ने अधेड़ तेनजिन के साथ विवशता में विवाह कर लिया था। उस समय तेनजिन एक मठ में चौकीदार था। समाज में अनेक कुदृष्टियों का सामना करने से बेहतर समझा था लोब्जंग ने किसी एक के साथ स्वयं को जोड़ लेना। उसके मद्यपान से लेकर शारीरिक यंत्रणा तक को चुपचाप सहती रही थी। मठ के परिसर में ही निर्मित फूस के झोंपड़े में वह तेनजिन के साथ रहती थी। कभी-कभी पति पत्नी की मारपीट में मठ के लामा सानम डक्पा हस्तक्षेप करते। उस समय लामा सोनम डक्पा की उम्र लगभग पैंतीस-चालीस वर्ष के आसपास रही होगी। लोब्जंग उस समय मात्र उन्नीस वर्ष की युवती थी। तीस वर्षीय तेनजिन की पहली पत्नी गुजर चुकी थी। एक बेटी थी जिसकी देख-रेख और अपनी गृहस्थी चलाने के लिए उसने अनाथ लोब्जंग से विवाह कर लिया था। अकसर ही शराब पीकर वह रात में लौटता और लोब्जंग के साथ मारपीट करता। पेमा के जन्म के चार-पांच वर्ष बाद ही एक दिन वह अपने कपड़ों का गट्ठर बांधकर घर से निकला तो फिर न लौटा। सौतेली बेटी सीरीङ् का भी बोझ लोब्जंग पर ही आ गिरा। ऐसे में लामा सोनम् डक्पा ने उसे बढ़कर सहारा दिया था।विचारों में डूबी लोब्जंग की चौखट पर पहुंची थी तो श्रृंखला टूटी। धीरे से दरवाजे की कुण्डी पर उंगलियों से दस्तक दी।”कौन?” अन्दर से एक बीमार पुरुष स्वर उभरा था।”खोलो लामाजी, मैं हूं।””आता हूं।”कुछ देर में दरवाजा खुला था। सामने लामा सोनम् डक्पा खड़े थे। सिर के विरल खिचड़ी बालों को गूंथकर चुटिया के रूप में लपेट दिया गया था। कत्थई रंग का चीवर मुड़ा तुड़ा था। दाहिनी कलाई में मंत्र जपने वाली धानी रंग के मोतियों वाली छोटी माला लिपटी थी। गले में शाल लपेटे लामा सोनम डक्पा का चेहरा पीला पड़ा था।”क्या, तबीयत फिर भारी हो गई है?” लोब्जंग ने उनका मुरझाया चेहरा देखा तो उचककर उनके माथे को अपनी हथेली से छुआ था। शरीर थोड़ा तप रहा था।”नहीं, ठीक है।” उनकी आवाज कमजोर थी।”दवा ले ली थी आपने?” लोब्जंग ने रसोई की ओर बढ़ते हुए पूछा।”नहीं! वो खांसी वाली दवा तो कल ही समाप्त हो गई थी।””ओह, भगवान! मैं अभी आती हूं।” लोब्जंग अपने पुराने बाक्स में कुछ ढूंढने लगी थी।”आज मत जाओ। कल आना, तो लेती आना। नमक और गरम पानी दे दो। आराम हो जाएगा।” लामा सोनम् डक्पा लोब्जंग की बेबसी समझ रहे थे। वह अपने बाक्स में कुछ बचे-खुचे रुपए खोज रही थी। अनार का दाम चुकता करने के बाद उसके पास मात्र पंद्रह रुपए बचे थे, जिसमें वह एक किलो आलू और एक किलो आटा खरीद चुकी थी।”तुम्हारे लिए अनार ले आई हूं। इस समय तो ठंडा लग जाएगा। कल दोपहर में जरूर ले लेना। डाक्टर ने कहा है कि खून बनने के लिए रोज अनार खाना जरूरी है।” लोब्जंग के चेहरे पर बच्चों जैसी मासूमियत थी।”पेमा नहीं आया?” लामा सोनम् डक्पा ने पूछा।”नहीं, रात हो जाएगी उसे।” लोब्जंग चाय बनाने की तैयारी करने लगी थी। दावा अपना बैग दीवार में बने रैक में रख चुका था।”वो मां से पैसे लेकर अपने कम्प्यूटर वाले सर के घर गया।” दावा ने सूचना दी।”क्यों देती हो उसे पैसे? कहीं गलत राह पर न चला जाए। उसके दोस्त मुझे बहुत फिक्रमंद नहीं लगते।” सोनम् डक्पा की आवाज बुझी-सी थी।”अब मैं उसका पीछा कहां तक कर पाऊंगी। जवान हो गया है। अपना भला-बुरा खुद सोच सकता है। मुझसे जो बन पड़ रहा है, सब सहयोग कर रही हूं। आगे अवलोकितेश्वरजी जानें।” लोब्जंग चाय के तीन प्याले लिए आकर लामा सोनम् डक्पा की चौकी के पास लकड़ी की मचिया पर बैठ गई थी।”लीजिए, चाय पीजिए। ज्यादा चिंता करेंगे तो जल्दी ठीक नहीं होंगे।””घर की हालत की परवाह किए बिना ही वह दोस्तों के साथ घूम-फिर रहा है। तुम समझाओ उसे।””ठीक है। पहले आप स्वस्थ हो जाइए, फिर दूसरी चिंताओं में उलझिएगा।” लोब्जंग ने एक हाथ में प्याला थामे दूसरे हाथ से स्नेह से लामा सोनम् डक्पा का पैर सहलाया था।इन्हीं पैरों पर वह तब भी झुकी थी जब सीरीङ् बेटी का विवाह टनचू ढोंडप् से किया था। उपहार में देने के लिए दो जोड़ी कपड़ों के सिवा कुछ भी न था। क्रमश:36

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies