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-कमल किशोर “भावुक”आस्था की लहलहाती फसल जैसी।कल्पनाओं के सुनहरे महल जैसी।विश्व-आंगन में विंहसती जिन्दगी तो-ज्योतिधर्मी-रश्मिनिर्मित कमल जैसी।। । ।जिन्दगी संघर्ष में पलती बराबर।हो विवश अन्याय भी सहती सरासर।जिन्दगी ये तप भगीरथ का अखण्डित,जान्ह्वी को स्वर्ग स
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