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संतों का आह्वान-रामसेतु पर समझौता नहींविश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण बैठक गत 23,24 व 25 मई को सम्पन्न हुई। श्रीनिवासपुरी (दिल्ली) स्थित भारत सेवाश्रम संघ के हिन्दू मिलन मंदिर में आयोजित इस बैठक में अनेक प्रमुख संत, महंत, धर्माचार्य एवं विहिप के कार्यकर्ता उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता गुरुकुल प्रभात आश्रम, मेरठ के स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने की। उद्घाटन सत्र में ही हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महामंत्री स्वामी परमात्मानंद जी महाराज ने रामसेतु की रक्षा का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव पर बैठक में उपस्थित संतों ने जिस प्रकार से तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की, उसने सिद्ध कर दिया कि रामसेतु को क्षतिग्रस्त किए जाने पर संतों के भीतर कितना आक्रोश है।बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में हरिद्वार स्थित बड़ा अखाड़ा के प्रमुख एवं अ.भा.संत समिति के महामंत्री स्वामी हंसदास जी महाराज ने बताया कि संत समाज रामसेतु तोड़ने के लिए केन्द्र सरकार की हठधर्मिता से आश्चर्यचकित है। अनेक विकल्प होने के बावजूद उसी मार्ग का चयन यह सिद्ध करता है कि थोरियम का भंडार नष्ट करने के लिए अमरीकी षड्यंत्र और दबाव के सामने भारत सरकार झुक गई है। इसमें जहाजरानी मंत्री टी.आर.बालू के भी निहित स्वार्थ हैं। मार्गदर्शक मण्डल ने चेतावनी दी है कि हमारी आस्था, विश्वास, संकल्प और मानबिन्दु के प्रतीक रामसेतु से छेड़छाड़ की गई तो संतों के नेतृत्व में तीव्र आन्दोलन होगा, और उस दौरान कोई अप्रिय घटना हुई तो उसकी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार पर होगी। रामसेतु से सम्बंधित प्रस्ताव पर काला राम मन्दिर-नासिक के महंत सुधीर दास जी, अयोध्या के डा. रामविलास दास वेदान्ती, युगपुरुष स्वामी परमानंद जी महाराज (हरिद्वार), महंत रामप्रकाश दास जी (होशियारपुर), अतुल कृष्ण जी महाराज (पंजाब), अवध बिहारी शरण जी महाराज (अयोध्या) ने भी विचार वक्तव्य दिए। सभी संतों ने ओंकार ध्वनि से रामसेतु की रक्षा से सम्बंधित प्रस्ताव पारित करते हुए चेतावनी दी कि यदि हमारी शांतिपूर्ण मांग की अनदेखी की गई तो रामसेतु की रक्षा के लिए राम मन्दिर निर्माण आंदोलन से भी तीव्र आन्दोलन होगा। संतों ने संकल्प व्यक्त किया-राम मंदिर बनाएंगे, रामसेतु बचाएंगे।बैठक के दूसरे दिन अन्य चार प्रस्ताव भी पारित हुए। इनमें से एक प्रस्ताव श्रीराम मंदिर निर्माण से सम्बंधित था, जिसे 22 मई को ही श्रीराम मंदिर निर्माण उच्चाधिकार समिति ने पारित किया था। इसके अलावा कन्या एवं भ्रूण हत्या, इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा हिन्दू संतों और संगठनों को बदनाम करने के षड्यंत्र तथा सेकुलरवाद के विरुद्ध भी प्रस्ताव पारित किए गए।प्रात: कालीन बैठकों के बाद सभी संत-महंत एवं महामण्डलेश्वरों ने सायंकाल दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर जाकर जन जागरण के लिए निकल पड़े। तीन दिन में कुल मिलाकर 150 से अधिक छोटी-बड़ी सभाओं का आयोजन किया गया, जिन्हें मार्गदर्शक मण्डल के सदस्यों ने सम्बोधित किया। सभी संतों ने श्रद्धालु, भक्तों और आम जनता से आह्वान किया कि वे 27 मई को रामलीला मैदान में होने वाले प्रचण्ड प्रदर्शन में अवश्य आएं, एक विराट हिन्दू शक्ति का प्रदर्शन करें, ताकि केन्द्र सरकार को सद्बुद्धि आए और वह रामसेतु तोड़ने की प्रक्रिया पर पूर्ण विराम लगा दे। -प्रतिनिधि42
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