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जंगल में अखबार छपेगापुस्तक परिचयपुस्तक का नाम : चूहे की चम्पीलेखक : विजय कुमारमूल्य : 40 रुपए, पृष्ठ : 32प्रकाशन : लोकहित प्रकाशन, संस्कृति भवन,राजेन्द्र नगर, लखनऊ-226004राष्ट्रधर्म के सहायक संपादक श्री विजय कुमार कथा-कथन शैली की निपुण प्रतिभा हैं। उनका कंठ भी सुरीला है। इसी के साथ-साथ बाल-गोपाल के मनोविज्ञान के अनुरूप व्यवहार की उनकी समझ भी अद्भुत है। उनकी इस समझ का प्रस्फुटन उनके लेखन से भी स्पष्ट होता है। उनके द्वारा लिखित कुछ चुनी हुई कविताओं का नवीन संकलन है-चूहे की चम्पी। बढ़िया कागज, सुन्दर छपाई और रंगीन चित्रों के सुमेल ने लेखक की सहज-सरल और सुबोध कविताओं को और भी प्रभावी बना दिया है। उनकी कविताएं बच्चों को कल्पना-लोक की सैर तो कराती ही हैं, बड़े भी यदि इन्हें पढ़ेंगे तो अपने अन्तस के बालक से बातचीत के अवसर का लाभ लिए बिना नहीं रह सकेंगे। जंगल में सर्कस आया, जलेबी, ताक धिना-धिन, गधा, मां, जंगल का अखबार, बन्दर की दुकान जैसी 32 कविताएं पुस्तक में संकलित है। सभी एक से एक बेजोड़। हैरी पाटर के जमाने में अपने नैनिहालों को अपनी भाषा में अपनेपन का अहसास कराने वाली कविताएं सचमुच बाल साहित्य में हिन्दी कविता की रिक्तता को दूर करती हैं। समीक्षक29
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