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कैसी हो कम्प्यूटर की हिन्दी भाषापुस्तक परिचयपुस्तक का नाम : हिन्दी कम्प्यूटर और वर्णलेखक : ओम प्रकाश अग्रवालमूल्य : 32 रुपए, पृष्ठ : 28प्रकाशन : ओम पब्लिकेशन143, कविता कालोनी, नांगलोई, दिल्ली-41कम्प्यूटर के लिए मानक हिन्दी का प्रयोग किस तरह सहज ढंग से किया जा सकता है, इस सवाल का सार्थक विश्लेषण करने वाली पुस्तक है “हिन्दी कम्प्यूटर और वर्ण”। लेखक हैं श्री ओम प्रकाश अग्रवाल। पुस्तक में कम्प्यूटर और टाइप राइटर के कुंजी पटल में हिन्दी वर्णमाला के वैज्ञानिक स्वरूप की विवेचना की गई है और इसके लिए एक स्वतंत्र कुंजी पटल के निर्माण पर बल दिया गया है। लेखक ने इसे अंग्रेजी कुंजी पटल के समान सरल बनाने तथा हिंदी वर्णमाला तथा हिंदी वर्तनी के मानकीकरण में संशोधन भी सुझाए हैं। पहले सुझाव में कहा गया है कि “क” से लेकर “ह” तक के संयुक्ताक्षर हल (हलन्ति) चिह्न लगाकर ही बनाए जाएं। जैसे- लट्टू, विद्या (लट्टू या विद्या) नहीं। दूसरा सुझाव दिया गया है कि संयुक्त व्यंजन “क्ष”, “त्र”, “ज्ञ” और “श्र” के संयुक्ताक्षर भी हल् (हलन्ति) चिह्न लगाकर बनाए जाएं, जैसे-यक्ष्मा, त्र्यंबक (यक्ष्मा, त्र्यंबक नहीं)लेखक के अनुसार कम्प्यूटर पर हलन्ति के प्रयोग से टंकण प्रक्रिया बहुत सहज हो जाएगी। इस तरह से शब्दों के प्रचलित स्वरूप में परिवर्तन देखने के लिए हमें मन बनाना होगा, यद्यपि शब्दों के उच्चारण यथावत् ही रहेंगे। जैसे हलन्ति का प्रयोग करने पर कुछ शब्द इस प्रकार लिखे जाएंगे-बुद्धिमान, द्वितीय, चिह्नित। इसी प्रकार अनुस्वार के प्रयोग पर भी बल दिया गया है। जैसे, चञ्चल को चंचल, ठण्डा को ठंडा आदि।पुस्तक में ऐसे सैकड़ों शब्दों को नए रूप में लिखकर प्रदर्शित भी किया गया है। देवनागरी अंक पद्धति 0,1,2 से लेकर 9 तक की संख्या के अन्तरराष्ट्रीय रूप जैसे 0,1,2 से लेकर 9 तक को स्वीकार कर लेने का सुझाव पुस्तक में दिया गया है। नि:सन्देह, हिन्दी भाषा के प्रयोग को कम्प्यूटर पर सहज बनाने के लिए लेखक का प्रयास सराहनीय है किन्तु स्वीकार्यता के लिए विद्वानों के साथ विचार-विमर्श और उनकी सम्मति भी जरूरी है। नरेश शांडिल्य28
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