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जो मान लिया सो ठान लियायूनुस खान राजस्थान भाजपा के उन मुस्लिम चेहरों में से हैं, जिन्होंने बहुत कम समय में पार्टी में अपनी खास पहचान बनाई है। भाजपा के एकमात्र मुस्लिम विधायक हैं, शायद इस कारण वे राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। लेकिन उनको मिले विभागों की कार्यप्रणाली और प्रशासन में सुधारों के प्रयास के बूते यूनुस खान ने मंत्रिमंडल में अपनी योग्यता से सबको प्रभावित किया है। भाजपा में आने से पहले वे बीमा व्यवसाय से जुड़े थे। राजस्थान के डीडवाना विधानसभा क्षेत्र के वे प्रतिनिधि हैं। डीडवाना वह स्थान है जहां से श्री बच्छराज व्यास ने राजस्थान में संघ कार्य की शुरुआत की थी। प्रस्तुत हैं श्री खान से बातचीत के प्रमुख अंश–सुरेन्द्र चतुर्वेदीआज प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण विभाग देख रहे हैं। यह पद संभालते समय मन में क्या सपना उभरा था और उसमें कहां तक सफलता मिली?जब मैं मंत्री बना था उस समय तक राजस्थान की खेल जगत में पहचान नहीं के बराबर थी। खेल संघ आपसी राजनीति के कारण न तो खेलों के बुनियादी ढांचे का विकास कर पा रहे थे, न ही खिलाड़ियों को अच्छे अवसर उपलब्ध हो रहे थे। लेकिन आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि राजस्थान में खेल जगत एक “कैरियर” के रूप में सामने आया है। गांव-गांव में बच्चों और उनके अभिभावकों को महसूस होने लगा है कि यदि हमारे बच्चे खेलकूद में अव्वल रहते हैं तो राज्य सरकार पलक पांवड़े बिछाकर उनका स्वागत करेगी।सरकार ने अब तक खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए क्या किया है?राज्यवर्धन सिंह राठौर से शुरुआत करते हैं। हमने उन्हें इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 25 बीघा जमीन, 11 लाख रुपए नकद, 13 लाख रुपए का एक मकान और डेढ़ करोड़ रुपए विदेश में प्रशिक्षण के लिए दिए हैं। इसी प्रकार पैरा ओलम्पिक में भारत का नाम रोशन करने वाले देवेन्द्र झाझड़िया को भी 13 लाख रुपए नकद, जमीन और साढ़े तीन लाख रुपए उनकी विकलांगता के इलाज के लिए दिए हैं। सूची लम्बी है। राज्य के कई खिलाड़ियों ने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। इनमें अमन ज्योत, इंगलिश चैनल को पार करने वाली भक्ति शर्मा, कृष्णा पूनियां, शगुन चौधरी, सुरभि मिश्रा, सृष्टि टंडन और शलिनी पाठक जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। राज्य सरकार इन प्रतिभाओं को और निखारने के लिए प्रशिक्षण और सुविधाओं की पूरी चिन्ता करती है।खेलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए हमने जयपुर में 13 करोड़ रुपए की लागत से इंडोर स्टेडियम, जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में तेज रोशनी की व्यवस्था, 3 करोड़ की लागत से हाकी के लिए एस्ट्रो टर्फ, 6 करोड़ की लागत से सिंथेटिक पट्टी, सभी मौसमों के लायक तरणताल और साईकिल रेस के लिए वेलोड्रोम स्टेडियम का निर्माण कराया है। ये सभी प्रकल्प पूर्ण होने के कगार पर हैं। जयपुर में 60 बीघा जमीन पर तीरंदाजी, निशानेबाजी और घुड़सवारी रेंज बनाने का काम चल रहा है।राजस्थान के परंपरागत खेलों के क्षेत्र में सरकार ने क्या किया है?यह सही है कि राजस्थान के परंपरागत खेल लुप्तप्राय: हैं। उन खेलों की रोचकता देखते ही बनती थी। उनके लिए भारी भरकम सामान खरीदने की भी जरुरत नहीं पड़ती थी। बिना पैसे के ये खेल हर व्यक्ति को प्रभावित करते थे। उन खेलों के पुनरुज्जीवन के लिए हमने एक कार्य योजना तैयार की है। अभी एक छोटी पुस्तिका बनाई जा रही है जिसमें उन खेलों के नियम और खेलने के तरीकों के बारे में बताया गया है।परिवहन विभाग में आप अपने कार्य से संतुष्ट हैं?राजस्थान की गिनती परिवहन के क्षेत्र में देश के प्रमुख राज्यों में होती है। पिछले वर्ष 2004-05 में हमने 5389.69 लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया है, जो 2003-04 से 823.78 लाख रुपए ज्यादा है।यात्रियों की सुविधाओं की क्या स्थिति है?राजस्थान परिवहन विभाग इस साल अपने बेड़े में 700 नई बसें शामिल करेगा। इनमें से 210 बसें तो आ चुकी हैं। आधुनिक सुविधाओं से युक्त ये बसें यात्रियों को और आरामदायक यात्रा उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा झालावाड़, अजमेर, जयपुर, कोटा, नागौर, नीम का थाना और आबूरोड के बस अड्डों को अधिक सुविधायुक्त बनाने का कार्य प्रगति पर है।आप युवा मामलों के भी मंत्री हैं, राज्य की नई युवा नीति कब आ रही है?इस मामले में केन्द्र सरकार की नीति का ही पालन किए जाने का प्रचलन है। हमने राज्य के युवाओं के लिए युवा आयोग का गठन करने की घोषणा कर दी है, जल्दी ही इस आयोग का गठन हो जाएगा।मुस्लिम वर्ग की दृष्टि से आप भाजपा को कांग्रेस से कैसे भिन्न पाते हैं?कांग्रेस ने मुसलमानों के हितों की सिर्फ बातें ही कीं, लेकिन भाजपा ने यह काम करके भी दिखाया। जयपुर में हज हाउस की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री ने न केवल 5 बीघा जमीन का आवंटन किया, अपितु अपने वादे को निभाने के लिए वे भारी विरोध के बावजूद उसका शिलान्यास करने वहां पर गईं। मुस्लिम हित से जुड़े किसी भी मुद्दे पर सरकार ने कभी भी टालने का रवैया नहीं अपनाया। चाहे मदरसा बोर्ड गठित करने की बात हो या वक्फ बोर्ड के गठन की। साथ ही, इन दोनों बोर्डों के अध्यक्षों को राज्य मंत्री स्तर का दर्जा वसुंधरा सरकार ने ही दिया है। मुस्लिमों के संबंध में कांग्रेस के समय इतनी तत्परता किसी ने भी नहीं दिखाई थी।मुस्लिम वर्ग में भाजपा के प्रति क्या सोच है?मुस्लिम समाज की मानसिकता में बदलाव आया है और वह अब मानने लगा है कि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा मुसलमानों के हितों का ज्यादा ध्यान रखती है। इसीलिए नगरपालिका के चुनावों में 103 पार्षद, पंचायत समितियों में 125 सदस्य और जिला परिषदों में 9 सदस्य मुसलमान हैं। यह सबूत है कि भाजपा के प्रति मुसलमानों का नजरिया बदल रहा है। हमने संस्कृति पर कभी समझौता नहीं किया है और इस दृष्टि से जो मान लिया वही ठाना है।19
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