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दिल्ली
संघ का आधार शुद्ध शाश्वत प्रेम
-मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
गत 7 अक्तूबर को रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत ने श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी कार्यक्रम के अंतर्गत “रा.स्व.संघ और श्रीगुरुजी” विषय पर नई दिल्ली में व्याख्यान दिया। श्री भागवत ने श्रीगुरुजी के 33 वर्ष के कठिन परिश्रम और त्यागमय जीवन के बारे में कहा कि उनका त्याग अद्भुत एवं प्रेरणादायक है। संघ को अपना पूरा जीवन समर्पित करने के लिए उन्होंने अविवाहित रहने का निश्चय किया। उन्होंने अपने जीवन में छुआछूत को कोई स्थान नहीं दिया।
संघ कार्य के बारे में उन्होंने कहा कि संघ सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन है। इसमें हिन्दू चेतना का विकास होता है। यह राजनीति से बिल्कुल अलिप्त है। इसका आधार शुद्ध शाश्वत प्रेम है।
इस अवसर पर प्रो. डी.पी. खण्डेलवाल, प्रो. कपिल कपूर, प्रो. इन्दर मोहन कपाही सहित अनेक शिक्षाविद् उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन वरिष्ठ शिक्षाविदों ने किया था। प्रतिनिधि
भारतीय वित्त सलाहकार समिति की गोष्ठी
श्री श्री रवि शंकर ने बताया जीवन में अध्यात्म का महत्व
गत 12 अक्तूबर को नई दिल्ली के सत्यसाईं सभागार में भारतीय वित्त सलाहकार समिति की ओर से एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह के अंतर्गत आयोजित इस गोष्ठी में आर्ट आफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में सबसे पहले रा.स्व.संघ के इतिहास, कार्यकलाप और उद्देश्यों पर फिल्म दिखाई गई।
श्रीगुरुजी को पुष्पाञ्जलि अर्पित करने के बाद श्री श्री रविशंकर ने उपस्थितजन के साथ प्रश्नोत्तर किए। श्रोताओं ने राष्ट्रवाद, भ्रष्टाचार, आध्यात्मिकता आदि पर सवाल पूछे जिनका श्री श्री रविशंकर ने अपने अनूठे अंदाज में समाधान किया। उन्होंने जीवन में अध्यात्म के महत्व पर प्रकाश डाला। अपने वक्तव्य में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रसिद्ध वित्त विशेषज्ञ श्री एस. गुरुमूर्ति ने श्रीगुरुजी के जीवन पर प्रकाश डाला। पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री जगमोहन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के नाते उपस्थित थे। वित्त सलाहकार समिति की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष श्री सुभाष अग्रवाल, अ.भा. संगठन मंत्री श्री अनिल गुप्ता, महामंत्री श्री अशोक गाडिया व अन्य सदस्यों सहित बड़ी संख्या में दिल्ली के गण्यमान्यजन कार्यक्रम में उपस्थित थे। प्रतिनिधि
पटना
श्रम एवं श्रमशील को आगे लाएं
-सुशील कुमार मोदी, उप मुख्यमंत्री, बिहार
गत 8 अक्तूबर को पटना में “भारतीय एकात्मता के समक्ष चुनौतियां” विषय पर एक संगोष्ठी हुई। श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित इस संगोष्ठी का उद्घाटन राज्य के उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने किया। उन्होंने कहा कि कार्य के आधार पर जातियां बनीं परन्तु कालांतर में जाति कार्य का पर्याय बन गयी। आज मत बदलना तो आसान है परन्तु जाति बदलना आसान नहीं। जाति का सबसे गलत इस्तेमाल राजनेताओं ने किया। विदेशों में जब श्रम को प्रधानता मिली तभी वहां का समाज प्रगति कर सका। भारत में भी श्रम एवं श्रमशील समाज को प्रधानता मिलनी चाहिए तभी देश प्रगति कर सकेगा। इस अवसर पर राज्यसभा के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री बलबीर पुंज ने कहा कि हमारे यहां कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें मां भारती की आराधना से परहेज है। इस राष्ट्र की एकात्मता के समक्ष यह सबसे बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि इस देश के कुछ लोग गांधी जी या रा.स्व.संघ को भारत विभाजन का दोषी मानते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने मुस्लिम लीग के उस अधिवेशन का उद्धरण दिया, जिसमें जिन्ना ने कहा था, पाकिस्तान तो भारत में तभी से है जब इस देश के पहले व्यक्ति ने इस्लाम ग्रहण किया। श्री पुंज ने कहा कि मतान्तरित व्यक्ति की अन्तिम मन:स्थिति अपने मूल पंथ से घृणा ही नहीं, उसके विध्वंस की होती है। और आज उस विध्वंस का रूप इस देश में प्रत्येक दस किलोमीटर पर देखा जा सकता है। उन्होंने घटती हिन्दू जनसंख्या पर गहरी चिन्ता जताई और कहा कि सामथ्र्यवान व्यक्ति को अधिक संतानों से परहेज नहीं होना चाहिए।
वरिष्ठ स्तम्भकार श्री शंकर शरण ने नक्सलवाद को भारतीय एकात्मता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती के रूप में चिन्हित किया। कार्यक्रम के तृतीय सत्र में गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी श्री राम नरेश प्रसाद सिंह ने अपने वक्तव्य में आतंकवाद पर प्रहार किया। अंतिम सत्र में प्रसिद्ध चिन्तक व लेखक श्री हरेन्द्र प्रताप ने विदेशी घुसपैठ के खतरे से अवगत कराया। कार्यक्रम का संयोजन डा. विजय नारायण मल्लिक ने तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री राम किशोर पाठक ने किया। संजीव कुमार
झारखण्ड
अंग्रेजी सीखें, अंग्रेजियत नहीं
-डा. अशोक वाष्र्णेय, प्रान्त प्रचारक, रा.स्व.संघ, झारखण्ड प्रान्त
गत दिनों श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी के अवसर पर झारखण्ड के साहिबगंज, बड़हरवा, पाकुड़ और राजमहल में प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठियां आयोजित हुईं। साहिबगंज में “हिन्दुत्व की वैज्ञानिकता एवं प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य वक्ता रा.स्व. संघ, झारखण्ड प्रान्त के प्रान्त प्रचारक डा. अशोक वाष्र्णेय थे। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में हिन्दू संस्कृति की छाप है। यह हजारों वर्ष पुरानी है। मातृभाषा के महत्व को रेखांकित हुए डा. वाष्र्णेय ने कहा कि भाषा वैज्ञानिकों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों का स्वाभाविक विकास होता है। हमारे बच्चे अंग्रेजी अवश्य सीखें, पर अंग्रेजियत नहीं। इस अवसर पर सी.एम.आर.आई., धनबाद के उपनिदेशक डा. वीरेन्द्र कुमार एवं साहिबगंज जिला संघचालक डा. अरविन्द प्रसाद ने श्रीगुरुजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
बड़हरवा में आयोजित संगोष्ठी को प्रान्त बौद्धिक प्रमुख श्री शशिनाथ झा, क्षेत्रीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख डा. उमा शंकर शर्मा एवं विभाग कार्यवाह श्री वीरेन्द्र प्रसाद यादव ने सम्बोधित किया। पाकुड़ एवं राजमहल की गोष्ठियों के मुख्य वक्ता पूर्व सैनिक सेवा परिषद् के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री नरेन्द्र कुमार सिंह थे। प्रतिनिधि
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