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राष्ट्रधर्म का “उत्तिष्ठ भारत” विशेषांक लोकार्पित
साहित्य में गूंजे राष्ट्रधर्म
गत 29 अक्तूबर को लखनऊ के निराला नगर स्थित माधव सभागार में राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका के “उत्तिष्ठ भारत” विशेषांक का लोकार्पण कार्यक्रम रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री के. विक्रम राव की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रधर्म द्वारा विभिन्न साहित्यकारों एवं कहानीकारों को सम्मानित करने के साथ स्व.भानुप्रताप शुक्ल की स्मृति में हिन्दी पत्रकारों एवं स्तंभ लेखकों के लिए आगामी वर्ष से दो पुरस्कार प्रारंभ करने की घोषणा भी की गई है।
समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि लेखनी को साधन बनाकर राष्ट्रधर्म की ज्योति जलाए रखना राष्ट्रधर्म पत्रिका के संस्थापकों, उससे जुड़े ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ताओं-लेखकों का उद्देश्य रहा है। चाहे मणिपुर हो या उड़ीसा, हिन्दी व अन्य मातृभाषाओं में काम करने वाले साहित्यकार राष्ट्रधर्म का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। देश की परिस्थिति ऐसी है कि आज राष्ट्रधर्म का निर्वहन करने वालों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। श्री भागवत ने हिन्दुत्व को सभी को जोड़ने वाली पहचान बताते हुए कहा कि सभी मत-मतान्तरों की पहचान हिन्दू पहचान के अन्तर्गत सदा सुरक्षित रहती है। देश के जो लोग एवं भूभाग इस पहचान से दूर हटे, उनकी हालत आज बदतर हो गई है। श्री भागवत ने पाकिस्तान, श्रीलंका, तिब्बत, बर्मा, बंगलादेश आदि देशों की ओर संकेत करते हुए कहा कि वहां फैली अशान्ति का मूल कारण उस भूभाग का हिन्दू पहचान से अलग होना है। भारत में भी अशिक्षा व गरीबी है किन्तु इसके बावजूद यहां प्रजातंत्र और पंथनिरपेक्षता सदियों से निरापद चली आ रही है तो इसके पीछे का कारण इस देश की हिन्दू परम्पराएं व जीवन मूल्य हैं।
इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री के. विक्रम राव ने कहा कि राष्ट्रधर्म सिर्फ पत्रिका नहीं वैचारिक अभियान है। उन्होंने कहा कि आज पत्रकारों पर बड़ा उत्तरदायित्व है, पत्रकारों को अपने सामाजिक एवं राष्ट्रीय सरोकारों का प्राथमिकता से निर्वहन करना होगा।
कार्यक्रम में वर्ष 2006 के लिए मणिपुर के वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य राधा गोविन्द थोङगम तथा उड़ीसा के वरिष्ठ साहित्यकार श्री शंकर लाल पुरोहित को राष्ट्रधर्म हिन्दी सेवा सम्मान प्रदान किया गया। समारोह में गैरहिन्दी भाषी प्रदेश के इन दोनों वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकारों को थोङगम श्री मोहनराव भागवत एवं श्री के.विक्रम राव ने अंगवस्त्र, प्रमाण-पत्र एवं 21000 रुपए की सम्मान राशि से अलंकृत किया।
इस अवसर पर उपन्यास एवं समालोचना के लिए दिया जाने वाला राष्ट्र धर्म गौरव सम्मान सुश्री अंजलि भारती (लखनऊ) एवं डा. सन्तोष तिवारी (सागर, म.प्र.) को क्रमश: उपन्यास विधा एवं समालोचना ग्रन्थ के लिए अलग-अलग प्रदान किया गया।
श्री राधेश्याम चितलांगिया ट्रस्ट एवं राष्ट्रधर्म पत्रिका द्वारा आयोजित वार्षिक कहानी प्रतियोगिता के विजेताओं को भी इस अवसर पर पुरस्कार प्रदान किए गए। प्रथम पुरस्कार श्रीमती सुषमा मुनीन्द्र (सतना), द्वितीय पुरस्कार डा. श्याम सखा “श्याम” एवं तृतीय पुरस्कार श्री विश्व मोहन शुक्ल (पटना) को प्रदान किया गया। उत्कृष्ट व्यंग्य लेखन हेतु दिल्ली के श्री मनोहर पुरी भी पुरस्कृत किए गए।
इस अवसर पर निर्णायक मण्डल के सदस्यों डा. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, प्रो. ओम प्रकाश पाण्डेय, प्रो. नेत्रपाल सिंह, प्रो. शिवमोहन सिंह, श्री सुरेन्द्र विक्रम, श्री संजीव जायसवाल, श्री ह्मदय नारायण दीक्षित एवं श्री भोलानाथ अधीर को भी स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। वरिष्ठ पत्रकार श्री राजनाथ सिंह “सूर्य”, रा.स्व.संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री अशोक बेरी, क्षेत्र कार्यवाह श्री रामकुमार वर्मा, सह क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्री रामाशीष, राष्ट्रधर्म के सम्पादक श्री आनन्द मिश्र “अभय”, सह सम्पादक श्री विजय कुमार एवं श्री रामनारायण त्रिपाठी “पर्यटक”, राष्ट्रधर्म के निदेशक श्री आनन्द मोहन चौधरी, डा. श्याम सुन्दर माहेश्वरी, लोकहित प्रकाशन के प्रबंधक श्री पवन पुत्र बादल सहित सैकड़ों की संख्या में गण्यमान्यजन कार्यक्रम में उपस्थित थे। प्रतिनिधि
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