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पहली बार किसी कांग्रेसी शासन में मतान्तरण की कोशिश में लगे मिशनरियों पर कार्रवाईप्राकृतिक विपदा से ग्रस्त लोगों में राहत बांटने के नाम पर मतान्तरण की घृणित कोशिश का आरोपप्रतिनिधिजम्मू-कश्मीर की उरी तहसील में भूकंप पीड़ित गांववासियों को राहत के नाम पर मतांतरित कराने वाले मिशनरियों की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश में मिशनरियों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। मुम्बई से प्रकाशित “फ्री प्रेस जनरल” के 15 फरवरी अंक में प्रकाशित रपट के अनुसार, खुद को बाइबिल सोसायटी आफ इंडिया के सदस्य बताने वाले मिशनरियों को स्थानीय लोगों की शिकायतों के बाद अपने कृत्यों पर लगाम लगानी पड़ी है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन को शिकायत की थी कि मिशनरी पैसे का लालच देकर लोगों को ईसाई बनने को उकसा रहे थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मिशनरियों को चेतावनी दी गई है कि अगर उन्होंने मतान्तरण बंद नहीं किया तो उनके विरुद्ध मामला दर्ज किया जाएगा। जानकारी मिली है कि मिशनरियों का एक दल उरी सेक्टर के मदियां गांव में गया था जहां उसने गैस सिलेण्डर, पानी की बोतलें, आडियो कैसेट और उर्दू में प्रकाशित “न्यू टेस्टामेंट” की प्रतियां बांटीं। पुलिस ने तहकीकात शुरू की तो वे मिशनरी वहां से गायब हो गए। जम्मू-कश्मीर में यह अपनी तरह की दूसरी घटना है। राज्य में मिशनरियां 150 साल से अपने अभियान चला रही हैं। नवम्बर 2003 में राज्य पुलिस ने एक डच नागरिक फादर जैकब बोस्र्ट उर्फ जिम बोस्र्ट को कश्मीर में रहने की वीसा अवधि खत्म हो जाने पर बाहर किया था। उस पर यह आरोप भी था कि वह अपने दो स्कूलों के छात्रों को ईसाई बनने को उकसाता था। बारामूला जिले में पट्टन में और पुलवामा शहर में बोस्र्ट दो स्कूल चलाता है, जिनका वह 1996 में अपनी सेवानिवृत्ति के समय तक प्रधानाचार्य भी था। इस घटना के बाद इस बात की विशेष रूप से चर्चा चल रही है कि पहली बार किसी कांग्रेसी शासन में मतान्तरण की कोशिश में लगे मिशनरियों पर कार्रवाई हुई है। लोभ- लालच, धोखाधड़ी और बलात् मतान्तरण करवाने के मिशनरियों पर आरोप लगते रहे हैं जो अधिकांशत: सत्य पाए गए हैं।20
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