माकपा से मुक्ति दिलानी ही होगी
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

माकपा से मुक्ति दिलानी ही होगी

by
Dec 2, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Dec 2006 00:00:00

-सिद्धार्थ शंकर रे, पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता

बेलतला रोड (कोलकाता) स्थित अपने निवास पर श्री सिद्धार्थ शंकर रे ने पाञ्चजन्य के साथ लंबी बातचीत में राज्य की बदतर हालत और माकपा की चुनावी धांधलियों की चर्चा की। उन्होंने थोड़ा भावुक होकर यह भी कहा कि वे 85 के हैं और ज्यादा शरीरिक भागदौड़ नहीं कर सकते अन्यथा माक्र्सवादियों के विरुद्ध वे स्वयं सड़क पर उतर कर अभियान छेड़ते। महाजोट की संभावनाओं सहित बंगाल की राजनीति पर सिद्धार्थ बाबू के विचारों के संपादित अंश इस प्रकार हैं-

प. बंगाल चुनावी धांधलियों के कारण चर्चा में रहा है। राशन कार्ड से लेकर मतदाता सूचियों तक में गड़बड़ी है। एक वरिष्ठ नेता के रूप में आपने इन विषयों पर संबंधित अधिकारियों का ध्यान दिलाने की कोशिश भी की है। क्या कहना चाहेंगे इस विषय में?

चुनाव में राशन कार्ड बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 85 लाख 8 हजार एक सौ साठ राशन कार्ड फर्जी हैं। जबकि राज्य सरकार कहती है, केवल 13 लाख राशन कार्ड ही जाली हैं। राशनिंग विभाग के निदेशक रहे डी. बंद्योपाध्याय, जो कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं, कहते हैं कि कम से कम 2 करोड़ राशन कार्ड अवैध व फर्जी हैं। राज्य के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि एक करोड़ के करीब फर्जी राशन कार्ड हैं। अब चाहे यह संख्या 13 लाख हो, 2 करोड़ या एक करोड़, यह बहुत गंभीर मामला है। मेरी दो मांगें हैं- पहला, चुनाव आयोग घोषित करे कि (मतदाता की) पहचान के लिए राशन कार्ड को नहीं माना जाएगा। दूसरा, कोई भी मतदान केन्द्र राशन कार्ड के आधार पर मत न डालने दे।

क्या इन फर्जी राशन कार्डों में से अधिकांश माकपा समर्थकों के हैं?

मैं नहीं जानता। मैं तो केवल तथ्यों की बात कर रहा हूं। अगर ये राशनकार्ड मान्य हुए तो राज्य में चुनाव नहीं, केवल चुनावों का दिखावा ही होगा।

यहां वोटों में बढ़ोत्तरी भी आश्चर्यजनक रूप से दर्ज की जाती रही है।

बंगाल सरकार के आंकड़ों के अनुसार सात जिलों- मिदनापुर, बद्र्धमान, हुगली, कोलकाता, हावड़ा, बीरभूम और पुरुलिया- में वोटों की संख्या में आश्चर्यजनक बढ़ोत्तरी हुई है। चुनाव आंकड़ों को आप देखेंगे तो पाएंगे कि कई स्थानों पर तो 99 प्रतिशत वोट माकपा को ही मिले हैं। ऐसी स्थिति में निर्वाचन आयोग को जांच करनी चाहिए।

क्या ऐसी जांच में बहुत समय नहीं लगेगा और चुनाव को तीन महीने रह गए हैं?

इस स्थिति में निर्वाचन आयोग एक नियम बना दे कि राशन कार्ड मान्य नहीं होंगे। दूसरे, सभी मतदाताओं के पास मतदाता पहचान पत्र होने चाहिए। लेकिन अब ये पहचान पत्र भी अवैध रूप से बनाने के लिए मुम्बई से मशीने लाई गई हैं। “होलोग्राम” भी नकली बनाए जा रहे हैं। ऐसे में पता नहीं कितने फर्जी पहचान पत्र बनाए गए हैं। वे (धांधली करने वाले) जानते थे कि फर्जी राशन कार्ड के आरोप लगाए जाएंगे इसलिए अब झूठे पहचान पत्र बनाकर उन्होंने “साइंटिफिक रिगिंग” का एक नया तरीका खोज लिया है। 24 परगना जिले में तीन स्थानों पर यह नकली पहचान पत्र बनाए जा रहे थे। पुलिस ने बोंगांव से इसमें लगे कार्यकर्ताओं को पकड़ा है। माकपा ने अपनी खाल बचाने के लिए उन कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाल दिया। लेकिन प्रश्न यह है कि पकड़े जाने से पहले उन्होंने कितने ही फर्जी पहचान पत्र बना दिए होंगे। हमें यह भी नहीं पता कि इस तरह की धांधली पूरे बंगाल में किस पैमाने पर चल रही है।

इस धांधली से बचने का रास्ता क्या हो सकता है?

पुराने पहचान पत्रों की जगह कुछ ही समय में नए पहचान पत्र बनाए जा सकते हैं जो अलग डिजायन और रंग के हों। उस पहचान पत्र को छिद्रित करने की व्यवस्था हो यानी मतदान के दिन उस में छेद कर चिन्हित कर दिया जाए। आखिर बंगाल पिछले 30 सालों से निष्पक्ष चुनावों की बाट जोह रहा है। अब यह चुनाव आयोग पर ही निर्भर है कि चुनाव सही प्रकार संपन्न हों।

राज्य सरकार ने फर्जी राशन कार्ड जब्त किए जाने की घोषणा की थी। उसके आगे क्या किया गया?

राज्य सरकार ने कहा है कि 13 लाख फर्जी राशनकार्ड में से 10 लाख जब्त किए हैं। लेकिन यह नहीं कहा गया कि उन पर किसी तरह की कार्रवाई की गई है। आखिर उन कार्डों के नाम पर आया अनाज, तेल आदि गया कहां? केवल एक ही पार्टी उसे ले सकती थी जो उसने लिया भी। बंगाल में आप जहां चाहे चले जाएं, हर ब्लाक में माकपा के बड़े घर मिल जाएंगे।

इधर कुछ समय से राज्य के कांग्रेसी नेता आपके विरोधी क्यों दिखते हैं?

मैं “84 से बाबरी मस्जिद का केस लड़ रहा हूं, लेकिन बंगाल के भी कांग्रेसियों और उस लिहाज से दिल्ली के कांग्रेसियों, राजीव गांधी को छोड़कर, से पूछना चाहता हूं कि क्या किसी ने भी मुझसे कभी जानना चाहा कि उस मामले पर क्या चल रहा है। ये बंगाल के कांग्रेसी सेकुलरिज्म की बात करते हैं। क्या बेहूदा बात है, किस सेकुलरिज्म की दुहाई देते हो?

बात साफ है कि सेकुलरिज्म की दुहाई कांग्रेसी केवल केन्द्र में माकपा और कांग्रेस को साथ रखे रहने के लिए दे रहे हैं। यहां के कांग्रेसी भाजपा में चले जाएं या न जाएं, मैं तो भाजपा में नहीं जाऊंगा। मैं किसी पार्टी में नहीं जाऊंगा। यहां लालकृष्ण आडवाणी की मौजूदगी में युवा सम्मेलन में मैंने साफ कहा था कि यहां हिन्दुत्व कोई मुद्दा नहीं है, समान नागरिक संहिता, धारा 370 भी यहां कोई मुद्दा नहीं है। यहां तो मुद्दा केवल एक है कि यहां माकपा होगी या नहीं होगी। भाजपा के यहां 25-30 लाख वोट हैं, अगर हम आपस में मिलकर इन्हें पा सकते हैं तो नुकसान क्या है? माकपा से मुक्ति दिलानी ही होगी।

लेकिन 30 साल से माकपानीत मोर्चे से त्रस्त बंगाल को मुक्त कराने के लिए आप जैसी सोच के वरिष्ठ नेताओं को एकजुट होकर वाम मोर्चे के विरुद्ध खड़ा होना ही चाहिए।

ममता बनर्जी यही तो कोशिश कर रही हैं। वह कहती हैं कि लड़ाई एक-एक में हो। जहां तक मेरा सवाल है, मैं 85 साल का हूं और अब उतनी ताकत नहीं है। अगर मेरे अंदर सामथ्र्य होती तो मैं हर वक्त सड़कों पर यही बात गुंजाता दिखाई देता। लेकिन फिर भी मुझसे जितना बन पड़ेगा, करूंगा।

बंगाल में आप भाजपा और अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का क्या समर्थन करते हैं?

न मैं भाजपा का समर्थन कर रहा हूं, न हिन्दुत्व का। मेरे पास तो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई हिन्दुत्व की व्याख्या है। मैं विवेकानंद, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के मूल्यों पर चलने वाला हिन्दू हूं। विवेकानंद ने जाफना में कहा था- “लोग क्या हिन्दू की बात करते हैं। पारसियों के आने से पहले क्या किसी को हिन्दू के बारे में जानकारी थी?” आज भी कोई पारसी “स” का उच्चारण नहीं कर सकता। वे “स” की जगह “ह” उच्चारण करते हैं। अत: सिन्धु नदी “हिन्दू” नदी बन गई। और “हिन्दू” नदी के दक्षिण में रहने वाले सब “हिन्दू” कहलाए जाने लगे। क्या गीता में “हिन्दू” का उल्लेख हुआ है? सर्वोच्च न्यायालय ने इसे धर्म नहीं, जीवन पद्धति बताया है।

बंगाल जैसे सीमा से जुड़े प्रदेशों में जो लोग इस तरह के छोटे-छोटे सवाल अपने किसी उद्देश्य के कारण खड़े करते हैं। मैं उन सब को जानता हूं। माकपा का समर्थन नहीं होता तो प्रणव कहां होते? वे माकपा के समर्थन से ही दो बार राज्यसभा के सदस्य बने हैं। प्रियरंजन में जरूर कुछ बात है।

वर्ष 2004-05 के बजट के अनुसार बंगाल पर एक लाख चौदह हजार करोड़ रुपए का सार्वजनिक ऋण है। कुल राजस्व 40 हजार करोड़ रुपए है। प्रदेश में आज गंभीर स्थिति बन गई है। इस सबके साथ यहां लोकतंत्र नहीं है। अगर चुनाव भी फर्जी पहचान पत्रों, राशन कार्डों के आधार पर कराए जाते हैं तो आखिर हम कहां जाएंगे? यहां मुख्य मुद्दा है माकपा से छुटकारा पाना। चर्चिल ने कहा था कि भले मैं स्टालिन से कितनी नफरत करता हूं पर पहले हिटलर को हराना है, इसलिए मैं उसके साथ हाथ मिलाऊंगा। बंगाल में लगभग यही स्थिति है। नेता जी जापानियों के साथ मिले, क्योंकि अंग्रेजों को हराना था। इसलिए मुझे नहीं लगता कि ममता बनर्जी के साथ जुड़ने और आमने-सामने की चुनावी लड़ाई में कुछ गलत है।

यानी आप गनी खां चौधरी की बात का समर्थन करते हैं?

क्यों नहीं, गनी खां चौधरी ने भी तो यही कहा है। मालदा जिला पंचायत चुनाव में उन्होंने बहुकोणीय संघर्ष की बजाय आमने-सामने का संघर्ष किया और सफल हुए।

1977 तक मुख्यमंत्री रहने के बाद अब 30 साल के अंतराल में राज्य का जो हाल हुआ है, उसके बारे में क्या सोचते हैं?

मैंने उसके बाद दो बार और कोशिश की थी, पर चुनाव हार गया। मुझे मुस्लिम वोट तो मिले, पर हिन्दू वोट नहीं मिले, उन्हें ममता ले गईं। मुझे आज की स्थिति देखकर वास्तव में दुख होता है और अपनी ओर से हरसंभव प्रयास भी करता हूं। माकपा का प्रमुख हमला तो मेरे विरुद्ध रहा है। लेकिन अब मैंने उन्हें चुप करा दिया है। पहले मुझे नहीं पता था, पर 1991 में जब विपक्ष का नेता बना, तब पता चला कि उन्होंने मेरे खिलाफ तीन आयोग बिठाए थे। ज्योति बसु की सरकार बन चुकी थी। 12 फरवरी, 1978 को राज्यपाल ने सदन में अपने पहले अभिभाषण (जो राज्य सरकार का ही वक्तव्य होता है) में कहा था कि “पिछले कुछ सालों में इस राज्य के कुछ लोगों ने सत्ता का दुरुपयोग किया। उन्होंने राजनीतिक उद्देश्यों से लोगों की हत्या की। हम इसकी जांच के लिए आयोग गठित करते हैं।” पहला आयोग 12 अगस्त “77 को शर्मा-सरकार आयोग बैठाया, दूसरा 12 अगस्त “77 को ही चक्रवर्ती आयोग और 30 दिसम्बर “78 को तीसरा चक्रवर्ती आयोग गठित किया। अभियोग लगाए गए कि मैंने सत्ता का दुरुपयोग किया, कई तरह की अव्यवस्थाएं पैदा कीं और राजनीतिक उद्देश्यों से लोगों की हत्याएं करवाईं। इन आरोपों पर विस्तृत जांच के बाद अंतिम रपटें दाखिल की गईं पर उन्हें कभी कम्युनिस्ट सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया। उनमें मेरे विरुद्ध कोई बात नहीं थी। मैंने सदन में चुनौती भी दी, पर कुछ नहीं हुआ। कांग्रेस ने भी मेरा उस समय सहयोग नहीं किया।

इसके बाद उन्होंने कहना शुरू किया कि मैंने आपातकाल में ज्यादतियां की थीं। मैंने कहा कि इंदिरा गांधी को छोड़कर केवल मैं ही वह व्यक्ति था, जो आयोग के सामने उपस्थित हुआ था। मेरे खिलाफ एक भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ था।

यानी आप आपातकाल का समर्थन करते हैं?

बिल्कुल। श्रीमती इंदिरा गांधी ने मेरे सामने जो तथ्य रखे थे उनके आधार पर मैंने वे प्रावधान सुझाए थे जिनके कारण आगे आपातकाल लगाया गया। ये सब तथ्य रिकार्ड में मौजूद हैं। लेकिन शाह आयोग ने कभी मुझे गलत नहीं ठहराया।

श्रीमती सोनिया गांधी को आपने जो चिट्ठी लिखी थी उसके बारे में बताएं।

मैंने गत जून और दिसम्बर माह में चिट्ठी लिखकर उन्हें जो कहना था साफ-साफ कह दिया कि अगर आप केरल और प. बंगाल को हार गईं तो कांग्रेस माकपा के हाथ का खिलौना बन कर रह जाएगी। लेकिन इन चिट्ठियों का कोई जवाब नहीं मिला। कांग्रेस आज कठिन संघर्ष के दौर से गुजर रही है।

10

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies