|
हरिद्वार (उत्तराञ्चल)अभाव से जूझते लोगों की सेवा का व्रत लें-स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि, राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समितिगत 16 मई को हरिद्वार में भाऊराव देवरस सेवा न्यास ने “शिक्षा में राष्ट्रीय चिन्तन” विषय पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया। श्रीगुरुजी की जन्मशताब्दी पर आयोजित न्यास की इस तेरहवीं व्याख्यानमाला में भारत माता मंदिर के संस्थापक तथा श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी सत्यमित्रानन्द जी महाराज ने विस्तृत एवं सारगर्भित उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता के एक लम्बे अन्तराल के बाद भी आज समाज का एक बड़ा वर्ग उपेक्षित तथा पीड़ित दिखाई देता है। उन्होंने भाऊराव देवरस को पू. गुरुजी द्वारा प्रेरित एक श्रेष्ठ समाजसेवी बताते हुए कहा कि भाऊराव ने सम्पूर्ण देश के साथ-साथ इस हिमालयी क्षेत्र में सब प्रकार के सेवा कार्यों का शुभारम्भ तथा मार्गदर्शन किया। स्वामी जी ने कहा कि श्री गुरुजी की प्रतिभा, परिश्रमी स्वभाव तथा स्नेहिल व्यवहार के सम्मुख देश का सन्त समाज भी नतमस्तक था। उन्होंने समाज सेवा का जो व्रत लिया था, हम उस कार्य को आगे बढ़ाएं, तभी उनकी जन्मशताब्दी का आयोजन सार्थक होगा। न्यास के प्रमुख न्यासी तथा विद्या भारती के अ.भा. संगठन मंत्री श्री ब्राहृदेव शर्मा “भाई जी” ने न्यास के द्वारा किए जा रहे कार्यों का वर्णन किया। समारोह में न्यास के सचिव डा. देवेन्द्र प्रताप सिंह, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. स्वतंत्र कुमार तथा उत्तराञ्चल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोश्यारी सहित प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। प्रेम बड़ाकोटीश्रीगंगानगर (राजस्थान)राष्ट्र के जन-जन में स्वाभिमान जगाना होगा-डा. बजरंगलाल गुप्ताराष्ट्रीय सचिव, श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति गत 14 मई को श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में श्रीगंगानगर के दुर्गेश सिनेमा हाल में प्रबुद्ध नागरिकों की विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रख्यात अर्थशास्त्री तथा श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव डा. बजरंग लाल गुप्त ने इस अवसर पर श्रीगुरुजी के विचारों की विवेचना की। उनके अनुसार “श्रीगुरुजी की सोच का मूल मंत्र यही था कि इस सोये हुए राष्ट्र के स्वाभिमान को जगाया जाए।” उनका कहना था कि हमारी राष्ट्रीयता, हमारी विशिष्टिता तथा अपने स्वाभिमान की पहचान करते हुए हमें इन पर गर्व करना सीखना चाहिए। राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र में आयोजित इस समारोह में लगभग 950 प्रबुद्ध नागरिक सम्मिलित हुए तथा भीषण गर्मी के बावजूद पूरे मनोयोग से सभी ने गोष्ठी में हिस्सा लिया। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. सत्यव्रत ने की तथा मुख्य अतिथि थे श्री बनवारी लाल गोयल। सान्निध्य मिला स्वामी ब्राहृदेव जी का। कैलाश भसीनजमशेदपुर (झारखण्ड)सेवा से पैदा होगी समरसता-स्वांत रंजन, क्षेत्र प्रचारक, उत्तर-पूर्व क्षेत्रगत 1 मई को जमशेदपुर में श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति का उद्घाटन कार्यक्रम हुआ। इसकी अध्यक्षता की प्रांत संघचालक डा. मुकुन्द प्रधान ने। समारोह के मुख्य अतिथि थे उत्तर-पूर्व क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक श्री स्वांत रंजन। उन्होंने कहा कि वोटों के सौदागरों ने हिन्दू समाज की समरसता में जहर घोला है। हम सेवा कार्यों के माध्यम से इस विषाक्त हो चले वातावरण को सुधारें। प्रतिनिधिअगरतला (त्रिपुरा)छात्रों ने दिखाई अखंड भारत की झांकीअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने गत 13 मई को अगरतला (त्रिपुरा) में श्रीगुरुजी के जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित इस संगोष्ठी में बड़ी संख्या में गण्यमान्यजन उपस्थित थे। अ.भा. विद्यार्थी परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री अपांशु शेखर शील ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत की तथा प्रांत संगठन मंत्री श्री श्रीकांत व प्रांत उपाध्यक्ष प्रो. रणजीत ठाकुर ने वर्तमान राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में श्रीगुरुजी के विचारों के महत्व पर प्रकाश डाला। छात्रों ने इस अवसर पर “अखण्ड भारत” नामक एक नाटक भी प्रस्तुत किया। किशोर वर्मनअम्बाला (हरियाणा)वैदिक संस्कृति के लिए संसार परिवार है, पश्चिमी संस्कृति के लिए बाजार- स्वामी अवधेशानंद गिरीश्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में हरियाणा में रा.स्व. संघ द्वारा सामाजिक समरसता पर पांच प्रमुख कार्यक्रम करने का निश्चय किया गया है। इसी श्रंृखला में अम्बाला में गत 16 मई को संतों व सम्प्रदाय प्रमुखों का सम्मेलन सम्पन्न हुआ। भारतीय पब्लिक स्कूल के सभागार में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी ने की एवं मुख्य वक्ता थे विश्व हिन्दू परिषद् के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री कैलाश सिंहल। समारोह में स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी ने चेताया कि पश्चिमी संस्कृति का एक और भयावह हमला शुरू हो गया है जिसमें समाज बाजारवादी संस्कृति के शिकंजे फंसता जा रहा है। भारत की वैदिक संस्कृति संसार को परिवार मानती है जबकि पाश्चात्य संस्कृति संसार को बाजार समझती है। उन्होंने साधु-संतों से मठों से बाहर निकलने का आह्वान करते हुए कहा कि साधु-संत संस्कारों की फसल बोने के लिए मठों से बाहर निकलें। संत-समागम को ब्राहृकुमारी बहन जी, स्वामी राम नारायण जी, श्री प्रेमदास शास्त्री जी, स्वामी सत्यात्मानन्द जी, स्वामी शिवचैतन्य जी, माता शील बहन जी, स्वामी सुरेन्द्र गिरि जी, महामण्डलेश्वर त्रिभुवन दास शास्त्री जी, आचार्य सनातन चेतन जी, स्वामी अनुभवानन्द जी, कीमत सिंह जी, स्वामी पवन गिरि जी, स्वामी भूपेन्द्र नाथ जी, स्वामी राम दास जी, साध्वी लक्ष्यपुरी जी, स्वामी धर्मराज गिरि जी, स्वामी राधेश्याम जी और ज्योति चेतन जी ने सम्बोधित किया। प्रदीप खेड़ाराष्ट्रीय सुरक्षा पर मंथनअम्बाला में ही गत 21 मई, 2006 को श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में “राष्ट्रीय सुरक्षा” विषय पर प्रबुद्ध नागरिकों की संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी में विभाग प्रचारक श्री अनिल, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डा. बृज किशोर कुठियाल एवं श्री जय प्रकाश अग्रवाल ने विचार व्यक्त किए।28
टिप्पणियाँ