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जमीन ने बांटा, पानी ने जोड़ामोदी ने इस्रायल से पानी और खेती के रिश्ते मजबूत बनाने पर बल दियामोदी तो बस मोदी हैं। गुजरात हो या इस्रायल, अपनी वाक्पटुता और सम्बंध जोड़ने में निपुणता से छा जाते हैं। इस्रायल गए तो खेती के बारे में बात की, पर संवाद ऐसा बोला जो बहुत गहरे तक जाता है। पहले कहा जाता था कि इस्रायल और भारत के बीच ऐसा एक भी देश नहीं है जहां लोकतंत्र हो। सभी इस्लामी देश हैं। मोदी ने वहां जाकर कहा, “जमीन ने बांटा है तो क्या सागर से तो हम जुड़े हैं, और बीच में कोई बाधा नहीं।” इसकी व्याख्या आप करते रहिए। इस्रायल में वे गुजरात से गए यहूदियों से भी मिले और वहां सक्रिय गुजराती व्यापारियों से भी, जिन्हें सबसे ज्यादा इस बात की खुशी थी कि गुजरात देश में प्रगति की दृष्टि से सबसे आगे बढ़ गया है। बहरहाल, इस्रायल की उनकी यात्रा के बारे में हमारे प्रतिनिधि ने उनसे गांधीनगर में बात की तो उन्होंने हालचाल भी बताया और इस्रायल में खिंचवाए अपने फोटो भी दिए। वाह, खूब जमे।आपकी इस्रायल यात्रा को काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। क्या उद्देश्य था इस यात्रा का?मैं इस्रायल में आयोजित “एग्रीटेक-2006″ में सम्मिलित होने के लिए गया था। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में इस्रायल ने जो आधुनिक तकनीक अपनाई है, उसकी भी जानकारी लेना मेरा उद्देश्य था। क्योंकि इस्रायल और गुजरात के बीच भौगोलिक समानता है इसलिए हमारा प्रयास है कि वहां की अत्याधुनिक तकनीक का गुजरात के कृषि क्षेत्र में उपयोग हो।आपकी यह यात्रा राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित थी अथवा भारत सरकार द्वारा।”एग्रीटेक-2006” में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में मुझे निमंत्रित किया गया था। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने किया। मेरे अलावा इसमें राजस्थान तथा नागालैंड के मुख्यमंत्री एवं कर्नाटक तथा अन्य राज्यों के मंत्री, वरिष्ठ पदाधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिकों को मिलाकर कुल 25 सदस्य थे।कृषि के अंतर्गत किन पद्धतियों की तकनीक ने आपको आकर्षित किया?मैंने कृषि क्षेत्र में “एक्वाकल्चर”, कृषि संशोधन, “ग्रीन हाउस”, आधुनिक सिंचाई पद्धतियां, गंदे जल का परिशोधन कर उसे सिंचाई हेतु उपयोगी बनाने के साथ ही डेरी उद्योग की विस्तार से जानकारी ली। मैं उन क्षेत्रों में गया जहां नई तकनीक का उपयोग कर अधिक अन्न उपजाया जा रहा है।क्या इस दौरान इस्रायल तथा गुजरात सरकार के बीच कोई समझौता भी हुआ?भारत सरकार और इस्रायल के बीच सन 2006-08 तक के लिए जिस कार्ययोजना पर समझौता हुआ है, उसके अनेक लाभकारी प्रकल्प गुजरात को ही मिलने वाले हैं।वहां के लोगों ने गुजरात के बारे में क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?हमने जो वहां प्रस्तुति दी, उसे लोगों ने बहुत सराहा। हमने कृषि क्षेत्र में जो नई पहल की है उससे वहां के लोग बहुत प्रभावित हुए। इसलिए गुजरात, इसके विकास तथा भविष्य के बारे में बहुत अधिक अपेक्षा जगी है। मैंने वहां गुजरात और इस्रायल के बीच साम्यता के विषय में जब कहा कि- “डिवाइडेड बाई लैंड बट युनाइटेड बाई वाटर”, तो वहां के लोगों का भी गुजरात के साथ तादात्म्य स्थापित हुआ। मैंने उनसे कहा कि जैसे हाइड्रोजन और आक्सीजन के मिलने से पानी उत्पन्न होता है वैसे ही गुजरात और इस्रायल मिलकर पानी की समस्या का हल ढूंढ सकते हैं।कृषि के अलावा आपने किन अन्य क्षेत्रों के बारे में जानकारी ली?मैंने वहां के “डायमंड एक्सचेंज” का भ्रमण किया और उनसे गुजरात के हीरा व्यापार में अधिक पूंजी निवेश करने का आह्वान किया जोकि उनके लिए भी अधिक लाभकारी होगा।29
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