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पुर: प्रवृत्तप्रतीपप्रहता: पन्थान: पौरुषस्य।
पौरुष के मार्ग आगे-आगे चलने वाले प्रताप के द्वारा प्रशस्त होते हैं।
-बाणभट्ट (हषर्चरित, पृ. 191)
विनय न मानत जलधि जड़
डोडा से महाल तक राष्ट्र असुरक्षित है। आतंकवादी खुलकर और अपनी योजना के अनुसार कहीं भी हमला करने के लिए स्वतंत्र वातावरण महसूस कर रहे हैं। निस्संदेह महाराष्ट्र की पुलिस और सुरक्षाबलों को शाबाशी दी जानी चाहिए और उनका अभिनंदन किया जाना चाहिए कि उन्होंने सतर्कता से काम लेते हुए आतंकवादियों को मार गिराया तथा किसी भी क्षति को होने से रोका। पर सच्चाई यह है कि भारतीय सुरक्षा बल वीरता, साहस और देशभक्ति में सबसे आगे होते हुए भी कई बार अपने हाथ बंधे हुए पाते हैं। जब केन्द्रीय गृह सचिव पाकिस्तान जाते हैं तो बयान देते हैं कि भारत और पाकिस्तान दोनों को मिलकर आतंकवाद से लड़ना चाहिए। इसके साथ ही पाकिस्तान को वे भारत द्वारा वांछित आतंकवादियों की सूची भी देते हैं और अपेक्षा करते हैं कि पाकिस्तान सरकार मुस्कुराकर तश्तरी में वे 38 आतंकवादी भारत को सौंप देगा। जो देश आतंकवाद की जड़ है और जिस देश की जमीन आज भी भारत के लोगों की हत्याएं करने के लिए भेजे जाने वाले इस्लामी आतंकवादियों के प्रशिक्षण के लिए काम आ रही है, उसी देश से भारत की अपेक्षा कि वह आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ देगा, समझ नहीं आती।
पाकिस्तान भारत में हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़काकर अपनी कुटिल चाल चलने की कोशिश में है। हमें उसके षडंत्र को समझना होगा। देश को बंटवारे की राजनीतिक आग में झोंकने की कोशिशों को हर स्तर पर असफल करना होगा।
घर में लगाकर आग तमाशाई चल दिए
असमय देश को जाति की आग में झोंककर केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह सऊदी अरब की यात्रा पर चल दिए और वहां उन्होंने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के लिए कुछ करोड़ बटोर कर अपनी जांबाज मुस्लिमपरस्ती का एक शानदार उदाहरण पेश किया है। सवाल उठता है कि श्री अर्जुन सिंह एक छोटे से करार के लिए सऊदी अरब क्यों गए? क्योंकि यह उनके लिए भारत के मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने के लिए एक मजबूत प्रचार का माध्यम था। जब वे सत्ता में आए थे तो कांची में पिछली सरकार के कार्यकाल में मंत्रिमंडलीय फैसले द्वारा स्वीकृत आई.आई.टी. की योजना रद्द करवा दी, क्योंकि कांची हिन्दुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थान था और वहां किसी भी प्रकार की शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा देना इस सरकार के सेकुलरवाद के लिए नाजायज था। इसके बाद उन्होंने शिक्षा संस्थानों में केवल गैरहिन्दुओं के लिए विशेष छात्रवृत्ति की घोषणा की और इसकी घोषणा करने वाले एक बोर्ड का चित्र, जो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लगा है, हम कुछ अंक पहले छाप चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इस सरकार के तमाम हिन्दू संवेदना विरोधी कृत्यों का जो चिट्ठा प्रकाशित किया है वह पढ़ने योग्य है और उसका अधिकतम प्रचार होना चाहिए। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि वर्तमान शासक जितनी प्रतिशोधी भावना से हिन्दू संवेदनाओं के विरुद्ध काम कर सकते हैं, कर लें और बर्बर जिहादियों को जितनी स्वतंत्रता देने का माहौल बना रहे हैं, बना लें। वे भूल गए हैं कि कोई स्थाई रहता नहीं और जितना अधिक अन्याय वे करेंगे उतना ही अधिक सघन होगा परिवर्तन भी, जो बहुत दूर नहीं है।
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