बिहार में राजग सरकार का एक साल
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बिहार में राजग सरकार का एक साल

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Oct 12, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 Oct 2006 00:00:00

कुछ वादे निभे, कुछ निभाने बाकी

-पटना से संजीव कुमार

काम नहीं, केवल हवाई घोषणाएं

-राबड़ी देवी

नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा

एक साल पुरानी नीतीश सरकार हर क्षेत्र में विफल रही है। यह सुशासन नहीं, कुशासन की सरकार है। इस सरकार ने दावा किया था कि तीन माह में अपराध खत्म कर देंगे, परन्तु असल में अपराध बढ़े हैं। कमजोर वर्ग और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़े हैं। सरकार सिर्फ घोषणाएं कर रही है। एक भी काम नहीं हुआ है। जनता की उचित मांगों पर लाठी बरसती है। अधिकार मांग रही जनता पर लाठी चलाना कहां का न्याय है? यह सरकार आम लोगों की नहीं, खास लोगों की है। गरीबों की नहीं, सामंतों की सरकार है। गरीबों के राज को मीडिया ने जंगलराज कहा। अब देखिए, कैसा राज है। सरकार के काम काज पर मीडिया चुप हो सकता है, विपक्ष नहीं। गरीबों के हित के लिए हम आवाज उठाते रहे हैं और उठाते रहेंगे।

न अपराध कम हुए, न सड़कें ही बनीं

-सदानन्द सिंह

अध्यक्ष, बिहार प्रदेश कांग्रेस

नीतीश सरकार के एक वर्ष में कहीं कुछ नहीं हुआ। न तो अपराध कम हुए और न ही कोई सड़क ठीक हो पायी। अब तो उच्च न्यायायल का भी धैर्य समाप्त हो गया है। उसने टिप्पणी की है कि सिर्फ घोषणा नहीं कार्य करके दिखायें। यह सरकार सिर्फ बोलती है, करती कुछ नहीं है। जनता घोषणा नहीं काम चाहती है। विधि व्यवस्था बिगड़ चुकी है। मुजफ्फरपुर के शस्त्रागार से आधुनिक हथियारों की चोरी, पटना के संग्रहालय से मूर्तियों की चोरी तथा पटना में अभियंता की हत्या समेत कई घटनाएं इस सरकार के प्रदर्शन को बताने के लिए पर्याप्त हैं। छपरा में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक द्वारा मंत्री की पिटाई तक हो जाती है। वंचित वर्ग के लिए कहीं कुछ नहीं हुआ। अमीरदास आयोग समाप्त कर दिया गया। यह सरकार पूर्ण रूप से विफल है। केन्द्र सरकार की राशि तक ठीक से व्यय नहीं कर पा रही है।

अच्छा काम हो रहा है

-हाजी मो. अफजल इंजीनियर

अध्यक्ष, शहीद पीर अली ट्रस्ट (पटना)

राजग सरकार के एक साल पर संतोष जताते हुए हाजी मोहम्मद अफजल इंजीनियर ने कहा कि सरकार का कामकाज उत्साहवद्र्धक है। हालांकि अपराध में कोई खास कमी नहीं आई है परन्तु माहौल बदला है। अल्पसंख्यक वर्ग के लोग भी अब खुलकर सांस ले रहे हैं। जहां तक मुझे जानकारी है कि राजद के लोगों के इशारे पर भी अपराध हो रहे हैं। हालांकि 15 वर्ष के प्रदूषण को खत्म करने में वक्त लगेगा। नीतीश सरकार प्रयास भी कर रही है। पर हर काम में समय लगता है। मौजूदा सरकार ने इस एक वर्ष में विकास की जो नींव तैयार की है उसका नतीजा दो साल बाद दिखाई देगा। प्रशासनिक अधिकारियों को काम न करने की आदत हो गई थी। यह जंग छूटने में समय तो लगेगा ही। अब सरकार के अधिकारी फैसले ले रहे हैं एवं त्वरित कार्रवाई हो रही है।

विभिन्न क्षेत्रों में नई पहल

गन्ना विकास

अस्सी के दशक तक चीनी उत्पादन में बिहार देश के प्रथम पांच राज्यों में था। बाद में एक-एक करके अधिकांश चीनी मिलें बंद हो गईं। उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए नीतीश सरकार ने चीनी उद्योग प्रोत्साहन पैकेज में संशोधन किया है। चीनी मिलों में चीनी के साथ-साथ विद्युत और इथनॉल इत्यादि के उत्पादन का भी लक्ष्य रखा गया है। राज्य में 13 नई चीनी मिलों की स्थापना एवं 8 पुरानी चीनों मिलों के विस्तार को स्वीकृत किया गया है। इसमें चीनी के साथ-साथ 312 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा।

कृषि

नक्सली हिंसा एवं सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण यहां की खेती चौपट हो गयी थी। कृषकों की समस्या पर समग्रता से विचार करने के लिए “किसान आयोग” तथा कृषि की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी के उपाय सुझाने के लिए “भूमि सुधार आयोग” का गठन किया गया है। किसानों को सम्मानित करने के लिए “किसान सम्मान योजना” की स्वीकृति दी गई है। इसके तहत प्रखण्ड स्तर के एक सर्वश्रेष्ठ किसान को 1 लाख, जिला के सर्वश्रेष्ठ किसान को 2 लाख तथा राज्य के सर्वश्रेष्ठ किसान को 5 लाख की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

उद्योग

उद्यमियों को निवेश हेतु प्रोत्साहित करने के लिए “बिहार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2006” लागू की गई है। इसके तहत राज्य में उद्योग स्थापित करने वालों उद्यमियों से आगामी 7 वर्ष तक किसी प्रकार का कर नहीं लिया जाएगा एवं उन्हें कुछ अन्य सुविधाएं भी दी गई हैं।

स्वास्थ्य सुविधा

सरकारी सख्ती के कारण अस्पतालों में चिकित्सक नियमित आ रहे हैं। प्रत्येक गांवों में चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने की योजना है। रोगियों को 81 दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध करायी जा रही हैं। 1 जुलाई, 2006 से पूरे राज्य में जननी एवं बाल सुरक्षा योजना लागू की गयी है, जिसका उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना है। 1 जुलाई से अब तक 93,407 गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण इस योजना के तहत किया जा चुका है।

कला एवं संस्कृति

हाल के दिनों में दशहरा सांस्कृतिक उत्सव, पटना फिल्म उत्सव एवं राष्ट्रीय युवा महोत्सव के सफल आयोजन हुए हैं। भगवान बुद्ध के 2550वें महापरिनिर्वाण वर्ष के अवसर पर कई चरणों में राजगृह, बोधगया, विक्रमशिला, केसरिया, वैशाली तथा पटना में कार्यक्रम आयोजित होंगे। राज्य के सभी जिलों में सुसज्जित स्टेडियम बनाने का भी विचार है।

पथ निर्माण

कुल 7714 किमी. लम्बे सड़क मार्गों में से इस वर्ष 4000 किमी. मार्गों के चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण का कार्य 1572 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। अब तक कुल 663 करोड़ की परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है।

बिहार की जनता ने राजनीतिक घटनाक्रमों की अनिश्चितता के दौर से उबरते हुए पिछले साल राजग के हाथ सत्ता सौंपी थी। लोगों ने संतोष व्यक्त किया था कि चलो, 15 साल के जंगलराज से मुक्ति मिली। शासन की बागडोर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ आई थी और वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री बने थे। अब ठीक एक साल बाद यह सरकार जनता की आशाओं पर कितनी खरी उतर पाई है, इसका बेबाक विश्लेषण करें तो एक सुखद परिवर्तन दिखाई देता है। इतना ही नहीं सी.एन.एन.-आई.बी.एन, एवं सी.एम.डी.एस. द्वारा कराये गये राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में नीतीश कुमार को देश का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री चुना गया है।

गत वर्ष जब सुशासन का नारा दिया गया था तो विरोधी इसे राजनीतिक ढकोसला बताकर मुंह बिचकाया करते थे। परन्तु अब जनता इस बदलाव को महसूस करने लगी है। अपराधियों में कानून का भय दिखता है। विकास की ओर सकारात्मक प्रयास हुए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राधामोहन सिंह के अनुसार जहां प्रदेश में 1994 से 2004 के बीच कुल 700 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था, वहीं गत एक वर्ष में 12,500 करोड़ रुपए के निवेश को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है तथा 14,500 करोड़ रुपए के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार का एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में बताया कि निवेश के 61 प्रस्तावों को हरी झंडी दी जा चुकी है। न्याय के साथ विकास सरकार का मूल मंत्र है। राज्य में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2006 शुरू की गई है। इसके तहत राज्य के नए उद्यमियों से आगामी सात वर्ष तक कर नहीं लेने के अलावा अन्य कई सुविधाएं शामिल हैं। सरकार द्वारा बिहार विकास निवेश एवं प्रोत्साहन परिषद् का गठन किया गया है, जिसमें रतन टाटा, महिन्द्रा समेत कई शीर्षस्थ उद्यमी एवं बैंकर शामिल हैं। इसी प्रकार बिहार से बाहर रहने वाले बिहार के लोगों के लिए बिहार फाउंडेशन की स्थापना भी की गई है।

सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर जिन मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया है उनमें भ्रष्टाचार एवं अपराध नियंत्रण तथा विकासात्मक कार्यों को बढ़ावा देना उल्लेखनीय है। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए वृद्धावस्था पेंशन की राशि सीधे धनादेश से भेजी जा रही है। जबकि इंदिरा आवास योजना में चेक का प्रावधान है। राशन वितरण, अन्त्योदय अन्न योजना तथा अन्नपूर्णा योजना के लक्षित परिवारों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। प्रत्येक कूपन पर माह का नाम, देय खाद्यान्न की मात्रा, दर तथा राशन कार्ड की संख्या अंकित रहेगी। राशन दुकानदार द्वारा जमा किये गये कूपन के आधार पर ही उन्हें अगले माह के खाद्यान्न का आवंटन होगा। इन कूपनों की सुरक्षा मतपत्रों की जैसी ही करने पर सरकार विचार कर रही है। सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारगर नियंत्रण हेतु सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण प्रकोष्ठ के गठन का निर्णय लिया है, जिसमें सीबीआई के तीस सेवानिवृत अधिकारियों की सेवाएं ली जाएंगी। इसके अलावा विभिन्न स्तरों पर आम जनता की सूचना पर “Ïस्टग आपरेशन” किए जा रहे हैं। जहां राजद के पिछले 15 वर्ष के शासन में सिर्फ 47 घूसखोर अधिकारी पकड़े गये थे, वहीं गत एक माह में 84 अधिकारी निगरानी विभाग की गिरफ्त में आये। इस क्रम में मधुबनी के जिलाधिकारी हेमचन्द्र झा, सहरसा के जिला चिकित्साधिकारी समेत कई अधिकारी निगरानी विभाग के हत्थे चढ़ चुके हैं। हालांकि राजद के प्रवक्ता व सांसद रामकृपाल यादव इसे महज दिखावेबाजी बताते हैं।

उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार थमा नहीं है अपितु अधिकारियों की दर बढ़ गई है।अपराध के मामले में अगर आंकड़ों पर गौर करें तो तस्वीर उतनी साफ नहीं दिखती परन्तु आम जनता में व्यवस्था के प्रति लगाव बढ़ा है। 2005 में पूरे राज्य में जहां 1,04,778 आपराधिक घटनाएं हुईं, वहीं अक्तूबर 2006 तक 78,716 घटनाएं पुलिस ने दर्ज कीं। अपराधियों में भय का माहौल भी है। राज्य सरकार ने त्वरित निपटान के माध्यम से अपराधियों को सजा दिलाने का काम शुरू किया है। इसके द्वारा जनवरी से अक्तूबर, 2006 के बीच 2,315 मामलों में 4,730 अपराधियों को सजा दिलवायी गई। यह सजा दर अब तक का एक रिकार्ड है। लम्बित मामलों के निपटारे के लिए भी पुलिस सक्रिय हुई है। सिर्फ पटना शहर में जनवरी 2006 में पुलिस के समक्ष जहां 11,186 मामले लम्बित थे उसकी संख्या अक्तूबर तक घटकर 7,569 हो गयी। बिहार उद्योग संघ के अध्यक्ष के.पी.एस. केशरी ने बताया कि पहले कानून-व्यवस्था को लेकर सभी चिंता व्यक्त करते थे, वहीं अब इसकी कोई विशेष चर्चा नहीं करता। अपराध दर घटे, इस दिशा में सतत प्रयास चल रहा है। बहरहाल, बिहार पूरी तरह अपराध मुक्त हो चुका है, यह नहीं कहा जा सकता पर हां, इसके प्रयास सरकार के अनुसार चल रहे हैं। दूसरी ओर यह भी एक तथ्य है कि राजद के शासनकाल में अपराधियों के डर से कई उद्यमी बिहार से पलायन कर चुके थे, वहीं अब निवेश के लिए उद्यमियों ने अपनी ओर से उत्साह दर्शाया है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मुद्दे पर भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। साक्षरता के मामले में बिहार की गणना पिछड़े राज्यों में होती

रही है। अत: नीतीश सरकार ने प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए गैर योजना मद में 4179.65 करोड़ रु. एवं योजना मद में 720 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। शिक्षक-छात्र का राष्ट्रीय अनुपात 1:40 का है। इस हिसाब से राज्य में कुल 4 लाख, 30 हजार शिक्षकों की आवश्यकता होगी। इसे पूरा करने के लिए सरकार ने 2.35 लाख शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है। 24 अगस्त, 2006 को मुख्यमंत्री समग्र विद्यालय विकास कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत राज्य के 10 हजार विद्यालयों में समेकित शिक्षा विकास का कार्यक्रम शुरू किया गया। राज्य में “80 के बाद चिकित्सा व्यवस्था में तेजी से गिरावट आई थी। सरकारी अस्पतालों में साधनविहीन लोग ही इलाज कराते थे। मगर अब हालात बदले हैं, अस्पतालों में चिकित्सक उपलब्ध रहते हैं तथा आवश्यक दवाइयां भी मिलती हैं। इन सब प्रयासों से सरकारी अस्पतालों की ओर लोगों का रूझान बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पहले के मुकाबले अब 30 गुना ज्यादा मरीज इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में जाते हैं।

बिहार की सबसे बड़ी समस्या बिजली, सड़क एवं पानी की है। देश में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 604 यूनिट है परन्तु बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली खपत सिर्फ 75 यूनिट है। सरकार ने 552 करोड़ रुपए की लागत से संचरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए कार्य शुरू किया है, जिसके प्रथम चरण का कार्य पूरा होने वाला है। सरकार ने मुजफ्फरपुर एवं बरौनी ताप विद्युत केन्द्रों को भी फिर से शुरू करने का प्रयास किया है। बंद पड़े बरौनी ताप विद्युत केन्द्र की एक इकाई से 60 मेगावाट बिजली का उत्पादन यथाशीघ्र प्रारंभ होने की उम्मीद है। सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिए सरकार ने कुछ योजनाएं शुरू की हैं। हालांकि अभी तक कोई सड़क बननी शुरू नहीं हुई है, परन्तु पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव ने बताया कि यह एक लम्बी प्रक्रिया है जिसके तहत निविदा निकाली जाती है फिर कार्य आवंटित किया जाता है। पहले चरण का काम पूरा हो गया है। अब सड़क बननी प्रारंभ होगी। 500 की ग्रामीण आबादी को शहर से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा पुल-पुलिया के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री पुल योजना प्रारंभ की गई है। राज्य का उत्तरी हिस्सा बाढ़ की चपेट में तो दक्षिण का कुछ हिस्सा सुखे की चपेट में रहता है। सरकार राज्य की नदियों को जोड़कर इस विषमता को दूर करने का प्रयास कर रही है।

आम बिहारवासी दो वक्त का भोजन, भयमुक्त माहौल और अपने बाल-बच्चों की सलामती चाहता है। नीतीश कुमार और सुशील मोदी के लिए चुनौती कम नहीं है। केन्द्र से सहायता लेकर विकास योजनाएं क्रियान्वित करने में प्रदेश सरकार को कदम नहीं रोकने हैं। क्योंकि अंत में काम अच्छा हुआ या बुरा, फैसला जनता ही करती है।

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