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-कुप्.सी.सुदर्शन, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
चन्द्रपुर के प्रवास से नागपुर लौटा तो यह दु:खद समाचार मिला कि अपने वचनेश जी नहीं रहे। आज प्रात: (30 नवम्बर,2006) लखनऊ में उनका शरीरान्त हो गया। मन:चक्षु के सम्मुख उनका चित्र उभर आया। क्षीण-सी काया में विद्यमान उनके विराट व्यक्तित्व ने देश के पत्रकारिता एवं साहित्य सर्जन के क्षेत्र में एक आदर्श प्रस्तुत किया है।
1914 में जन्मे वचनेश जी की राष्ट्र को समर्पित लेखनी 92 वर्ष की आयु तक निरन्तर चलती रही। उनका पूरा जीवन पत्रकारिता को समर्पित रहा। वे पाञ्चजन्य एवं राष्ट्रधर्म के यशस्वी सम्पादक रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने जो क्रांति-अंकों की श्रृंखला निकाली उनसे नई पीढ़ी को क्रांतिकारियों के विषय में अनूठी जानकारी प्राप्त हुई।
इस राष्ट्र को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए सर्वस्व समर्पित कर देने वाले क्रांतिकारियों एवं उनके परिजनों की स्वतंत्रता मिलने के बाद राजतंत्र द्वारा की गई उपेक्षा उन्हें सदैव विचलित करती थी। इसी दृष्टि से उन्होंने उन क्रांतिकारियों के अनछुए पहलुओं को अपनी लेखनी के माध्यम से सबके सम्मुख प्रस्तुत किया।
वे एक क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी एवं संघ के समर्पित स्वयंसेवक थे। वर्तमान समय में जब समाचारों को सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत करने का वातावरण निर्मित हुआ है, वचनेश जी का स्मरण राष्ट्र को समर्पित एक आदर्श पत्रकार के रूप में सदैव किया जाता रहेगा। राष्ट्र को समर्पित उनकी क्रांतिकारी लेखनी भले ही अब शान्त हो गई हो, पर उससे उत्पन्न विचार- प्रवाह निश्चित ही अनेक मनों को प्रकाशित करता रहेगा। पत्रकारिता से जुड़े लोग वचनेश जी के आदर्शों को सम्मुख रखकर देशहित में घटनाओं की वास्तविक स्थिति को सबके सम्मुख प्रस्तुत करें, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाञ्जलि होगी।
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