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वर्ष 10, अंक 32, सं. 2013 वि.,25 फरवरी, 1957 , मूल्य 3आनेसम्पादक : तिलक सिंह परमारप्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म प्रकाशन लि.,गौतमबुद्ध मार्ग, लखनऊ (उ.प्र.)जनसंघ व कांग्रेस में कड़ा मुकाबलाकांग्रेस की नीतियों से जनता बुरी तरह असंतुष्टदीपक वाले बक्सों में वोट डालने के लिए जनता दृढ़ प्रतिज्ञ(विशेष प्रतिनिधि द्वारा)नई दिल्ली: विभिन्न प्रदेशों से प्राप्त समाचारों के आधार पर आश्चर्यपूर्वक कहा जा सकता है कि कांग्रेस को सबसे बड़ी टक्कर भारतीय जनसंघ से प्राप्त होगी। उ.प्र. राजस्थान, पंजाब, दिल्ली तथा मध्य प्रदेश में जनसंघ की स्थिति इतनी सुदृढ़ है कि कांग्रेस उपयुक्तानुपयुक्त सभी साधन अपनाकर अपने प्रत्याशियों को जिताने के प्रयास करने लगी है। फिर भी जनसंघ के प्रत्याशियों को पराजित कर पाना संभव नहीं दिख रहा। 25 ता. से होने वाले चुनाव की प्रमुख कसौटियां हैं- गोआ, कश्मीर, द्वितीय पंचवर्षीय योजना तथा विदेश नीति। किसी-किसी स्थान पर स्थानीय समस्याओं को भी महत्व दिया जा रहा है। जिस प्रकार कश्मीर के प्रश्न पर भारत के सम्मान और सुरक्षा पर संकट के काले बादल छाने लगे हैं, उनसे जनता को यह विश्वास हो गया है कि कांग्रेस की ढुलमुल नीति कश्मीर समस्या को नहीं सुलझा सकती। इसलिए उसकी दृष्टि स्वाभाविक रूप से भारतीय जनसंघ की ओर लगी हुई है।भारतीय जनसंघ किसी गुट से मिलना नहीं चाहतामहामंत्री श्री उपाध्याय की घोषणापटना: “भारतीय जनसंघ के महामंत्री पं. दीनदयाल उपाध्याय ने पटना की एक चुनाव सभा में पं. नेहरू द्वारा जनसंघ पर लगाए गए आरोप “जनसंघ चाहता है कि भारत अमरीकी गुट में शामिल हो जाए” का खण्डन करते हुए कहा कि जनसंघ यह नहीं चाहता कि भारत किसी भी शक्ति गुट में शामिल हो। हम “तटस्थ नीति” के पक्षपाती हैं और इसे अपनाने के लिए यह भी आवश्यक है कि दूसरों के मामले में हस्तक्षेप न करने की नीति अपनाएं।” हमने आदर्शवादी “विदेश नीति” अपनाने की इच्छा के कारण इस बात की ओर सदैव दुर्लक्ष्य किया है कि सम्पूर्ण संसार आज “शक्ति गुटों” में विभाजित है और उनमें से प्रत्येक अपनी साम्राज्यवादी आकांक्षाओं को पूर्ण करने तथा देश की सीमाएं बढ़ाने की योजनाओं में संलग्न है। इन गुटों की घातक योजनाओं से अपने देश को बचाने के लिए हमें पूर्णतया “तटस्थ” रहना चाहिए। चीन, मिस्र, हंगरी और अल्जीरिया के प्रश्नों पर हमारी वकालत ने, चाहे वह कितनी भी सद्भावनापूर्ण क्यों न की गई हो, सारी दुनिया को हमारे विरुद्ध कर दिया है।भारत के विरुद्ध षड्यंत्रसुरक्षा परिषद् में ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमरीका, आस्ट्रेलिया तथा क्यूबा द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया कि परिषद् के अध्यक्ष श्री जेयरिंग कश्मीर में नि:शस्त्रीकरण की स्थिति के सम्बंध में विचार-विमर्श करें और पाकिस्तान के इस सुझाव का परीक्षण किया जाए कि कश्मीर में अस्थायी रूप से संयुक्त राष्ट्र की सेनाएं रखी जाएं। कम्बोडिया तथा रूस द्वारा इस प्रस्ताव में अनेक संशोधन प्रस्तुत किए गए किन्तु उन्हें स्वीकार नहीं किया गया।पश्चिमी शक्तियां भारत की तटस्थता को भंग करने पर तुली हुई हैं। वे नहीं चाहतीं कि भारत रूस और पश्चिमी गुट से अलग रहकर अपनी तटस्थता स्थायी बना सके। सारा संसार जानता है कि पाकिस्तान आक्रमणकारी है, फिर भी अमरीका और ब्रिटेन ने, विशेषरूप से भारत के विरुद्ध, अन्याय करने का निश्चय कर लिया है। पं. नेहरू का यह कथन स्पष्ट संकेत करता है कि भारत को जानबूझ कर लड़ाई में घसीटा जा रहा है। ब्रिटिश सरकार की यह नीति कोई नई नहीं है। पश्चिमी गुट यह अच्छी तरह समझ लें कि पाकिस्तान का उद्देश्य भारत के प्रति पश्चिमी गुट की सहानुभूति समाप्त करके अपना स्वार्थ सिद्ध करना है। (सम्पादकीय)15
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