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गाएंगे वन्दे मातरम्
आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड खुलकर वन्दे मातरम् गायन के समर्थन में खड़ा हो गया है। आगामी 7 सितम्बर को बोर्ड ने अपने सभी सदस्यों से वन्दे मातरम गायन में भाग लेने का आह्वान किया है। गत 26 अगस्त को भोपाल में एक पत्रकार वार्ता में आल इंडिया मुस्लिम ख्वातीन (महिला) पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष सुश्री शाइस्ता अम्बर ने यह घोषणा की। सुश्री अम्बर ने कहा कि वन्दे मातरम् का विरोध किसी तरह भी उचित नहीं है। इस्लाम में मादरे-वतन को हमेशा सम्मान देने की बात कही गई है। बोर्ड के सभी सदस्य आगामी 7 सितम्बर को वन्दे मातरम् गान में शामिल होंगे।
उधर छत्तीसगढ़ में जहां राज्य सरकार ने आगामी 7 सितम्बर को सभी शिक्षण संस्थाओं में वन्दे मातरम् गायन अनिवार्य करने के आदेश जारी किए हैं वहीं उर्दू अकादमी, छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष मिर्जा एजाज बेग ने कहा है कि वन्दे मातरम् के विरोध या इसके ऐच्छिक होने का प्रश्न ही नहीं उठता। यह अनिवार्य होना चाहिए। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्रालय ने विभिन्न शैलियों में वन्दे मातरम् की संगीतमय प्रस्तुति हेतु पूरे प्रदेश में आयोजनों की तैयारियां भी प्रारम्भ कर दी हैं।
हर भारतीय वन्दे मातरम् गाए
गायन सम्पूर्ण गीत का होना चाहिए
-राजनाथ सिंह, अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
वन्दे मातरम् पर चल रही राजनीति और तुष्टीकरण की संप्रग सरकार की नीतियों पर पांचजन्य से विशेष बातचीत में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय गीत का प्रश्न वास्तव में राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रश्न है। हम तो यही मानकर चलते हैं कि हमारे राष्ट्रीय गीत, राष्ट्रगान अथवा राष्ट्र ध्वज के प्रति यदि असम्मान दर्शाया जाता है या किसी तरह की शंका व्यक्त की जाती है तो मैं समझता हूं कि राष्ट्र के अस्तित्व पर भी भविष्य में गहरा संकट पैदा हो सकता है। इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता। अगर कोई व्यक्ति बोल नहीं सकता हो या सुन नहीं सकता हो अथवा इसका उच्चारण नहीं कर सकता हो, उसके द्वारा वंदे मातरम् न गाया जाए तब तो बात समझ में आती है। भाजपा यह मानकर चलती है कि हर भारतीय द्वारा वन्दे मातरम् का गान किया जाना चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने विभिन्न भाजपा शासित राज्यों को पत्र लिखकर वंदे मातरम् अनिवार्य रूप से गाए जाने का आदेश दिया है, श्री सिंह ने कहा- “मैंने पत्र नहीं लिखा था, समाचार पत्रों के माध्यम से ही संदेश दिया था। लिखित आदेश देने की जरूरत ही नहीं थी। 7 सितम्बर को भाजपा शासित राज्यों के साथ ही सभी प्रदेशों के कार्यालयों में भी वन्दे मातरम् गाया जाएगा। इसी आधार पर भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ द्वारा 5 सितम्बर को वंदे मातरम् गान करने के कार्यक्रम को स्थगित किया गया है। भारत में राष्ट्रीय गीत अथवा राष्ट्र गान के मुद्दे को मजहब के आधार पर विभाजित करके नहीं देखा जाना चाहिए। यह सामूहिक रूप से गाया जाना चाहिए।”
इस सवाल पर कि क्या भाजपा सरकारों ने वंदे मातरम् गान सभी के लिए अनिवार्य करने की बजाय इस पर नरमी दिखाई है और ऐसा है तो यह अर्जुन सिंह के बयान से अलग कैसे है? भाजपा अध्यक्ष का कहना था- “जहां तक मेरी जानकारी है, भाजपा की राज्य सरकारों ने यह निर्देश दिया है कि जितनी भी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाएं हैं, उनमें 7 सितम्बर को इस राष्ट्रीय गीत की शताब्दी के अवसर पर वंदे मातरम् गान होना चाहिए। देहरादून में होने जा रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का आरम्भ भी परम्परानुसार वंदे मातरम् गान से होगा। मैं इस मत का हूं कि सम्पूर्ण वंदे मातरम् का गायन होना चाहिए।” प्रतिनिधि
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