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छत्तीसगढ़श्रीगुरुजी ने किया था हिन्दुत्व का तार्किक विवेचन-राममाधव अ.भा. कार्यकारिणी सदस्य, रा.स्व.संघश्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर गत दिनों रायपुर में “हिन्दुत्व की वैज्ञानिकता एवं प्रासंगिकता” विषय पर व्याख्यानमाला आयोजित की गई। रायपुर स्थित मेडिकल कालेज के सभागृह में व्याख्यानमाला को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री राममाधव ने कहा कि श्रीगुरुजी ने हिन्दुत्व की तार्किक विवेचना प्रस्तुत की थी। उन्होंने कहा कि विश्व में हिन्दू धर्म को छोड़कर शेष सभी मत-पंथों का विज्ञान के मूल्यों से कोई सरोकार नहीं एवं है। पश्चिमी देशों में धर्म को पिछड़ेपन एवं अंधविश्वास की निशानी माना जाता है जबकि हिन्दू दर्शन में विज्ञान हमेशा शामिल रहा है। श्री राममाधव ने कहा कि कर्तव्यों के पालन से ही अधिकारों की रक्षा होती है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हस्त-शिल्प विकास निगम के अध्यक्ष श्री लीलाराम भोजवानी, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष श्री मनोहर रेड्डी, छत्तीसगढ़ हज समिति के अध्यक्ष डी.ए. राज, प्रसिद्ध आयकर-विक्रयकर सलाहकार श्री हर्षद, डा. आनन्द शर्मा, श्री गुणवन्त दास और श्री गोपाल टाकरी के अलावा रा.स्व.संघ के क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख श्री शांताराम सर्राफ, सेवा भारती के क्षेत्रीय प्रचारक श्री मारवान सिंह, रायपुर महानगर इकाई के अध्यक्ष श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, उपाध्यक्ष श्री अशोक अग्रवाल, श्री पदम चन्द जैन सहित अनेक गण्यमान्यजन उपस्थित थे। संगोष्ठी का संचालन श्री विपिन कोठारी ने किया। बाद में श्री राममाधव ने पदुमलाल-पन्नालाल बख्शी सृजनपीठ के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री बबन प्रसाद मिश्र के निवास पर “हिन्दुत्व की अवधारणा” विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में भी अपने विचार व्यक्त किए। हेमन्त उपासनेदिल्लीसमरसता पर तीन विचार गोष्ठियांश्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर श्रीगुरुजी जन्मशती समिति, नई दिल्ली जिला के तत्वावधान में पहाड़गंज में गत 21, 27 व 28 मई को अलग अलग स्थानों पर सद्भावना गोष्ठियां आयोजित की गईं।21 मई को डा. राजेन्द्र भटनागर की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी के मुख्य वक्ता सेवा भारती, दिल्ली प्रदेश के मंत्री श्री ऋषिपाल डडवाल थे। उन्होंने कहा कि श्रीगुरुजी का जीवन समरसता को समर्पित था। देश समरस हो, एक हो इसके लिए उन्होंने पूरे भारत की अनेक बार यात्राएं कीं। आज हमें उनसे प्रेरणा लेकर समरसता के लिए कार्य करना चाहिए। समरसता आज की आवश्यकता है। 27 मई की गोष्ठी की अध्यक्षता श्री सुरेन्द्र दुग्गल ने की। मुख्य वक्ता थे तोमर समाज, दिल्ली के एक वरिष्ठ नागरिक श्री इन्द्र तोमर।28 मई को सनातन धर्म मन्दिर, चूना मंडी में गोष्ठी आयोजित हुई। इसकी अध्यक्षता समाजसेवी श्री हरिमोहन गोयल ने की। मुख्य वक्ता थे भारतीय जनता युवा मोर्चा, दिल्ली के प्रभारी श्री मूलचन्द चावला। गोष्ठियों को सफल बनाने में श्रीगुरुजी जन्मशती समिति के सह सचिव श्री बलबीर सिंह, कोषाध्यक्ष श्री रमेश कुमार गुप्ता, सदस्य श्री रोहतास धालीवाल, श्री विनोद लूथरा, श्री राजेन्द्र तोमर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। राजदेव वर्माहरियाणाहिन्दुत्व पूर्णत: वैज्ञानिक अवधारणाकांतिमोहन प्रान्त प्रमुख, हिन्दू शिक्षा समिति, हरियाणा प्रान्तश्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर गत 7 मई को थर्मल पावर, पानीपत में “हिन्दुत्व की प्रासंगिकता” विषय पर प्रबुद्धजनों की गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी के अध्यक्ष कनिष्ठ अभियंता श्री जे.एन. शर्मा थे तथा प्रमुख वक्ता के रूप में हिन्दू शिक्षा समिति, हरियाणा के प्रांत प्रमुख श्री कांतिमोहन उपस्थित थे। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व पूर्णत: वैज्ञानिक अवधारणा है और यह भौतिकता से परे अध्यात्म की ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम है। अध्यक्षीय भाषण में श्री जे.एन. शर्मा ने कहा कि हिन्दुत्व का अनेक विदेशी विद्वानों ने अध्ययन किया और इससे प्रभावित होकर इसे अपनाया है। प्रतिनिधिपंजाबपटियाला में इतिहास सम्मेलन में विद्वानों ने कहा-पंजाब की माटी में फली-फूली भारतीय संस्कृतिगत 20-21 मई को पटियाला में भारतीय इतिहास संकलन समिति, पंजाब द्वारा श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दो दिवसीय इतिहास सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें पंजाब के विभिन्न भागों से 300 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।बारादरी गार्डन, पटियाला में हुए इस सम्मेलन के पहले दिन रा.स्व.संघ के प्रांत प्रचारक श्री कश्मीरी लाल ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि आज मीडिया के पास महापुरुषों के जीवन, भारतीय संस्कृति और इतिहास के लिए समय नहीं है। लोग अपने इतिहास और विरासत को भूलते जा रहे हैं। कुछ सेकुलरों द्वारा भारत के महान इतिहास को विकृत करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्री गुरुजी ने तत्कालीन समस्याओं को देखते हुए उनका समाधान करने का प्रयास किया। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हेतु श्री गुरुजी ने विद्या भारती की स्थापना की, जिसके आज 28 हजार से अधिक स्कूल देशभर में चल रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व व्याख्याता प्रो. सतीश मित्तल ने की। मुख्य अतिथि थे श्री महेन्द्र गुप्ता और विशेष अतिथि श्री सर्वदमन भरत (महामंत्री, लघु उद्योग भारती, पंजाब)। सम्मेलन में प्रो. श्री शेर सिंह, प्रो. देवेन्द्र शर्मा, प्रो. गणेश भारद्वाज, डा. आर.के. पाराशर, ठाकुर बलवंत सिंह आदि उपस्थित थे।सम्मेलन के दूसरे दिन “युग-युगीन पंजाब” विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें लगभग 60 विद्वानों ने भाग लिया। इस अवसर पर पंजाब के इतिहास से जुड़े विभिन्न पक्षों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के इतिहास विभाग के पूर्व व्याख्याता डा. ए.सी. अरोड़ा ने कहा कि प्राचीन काल से पंजाब भारतीय संस्कृति की पहचान रहा है और इस प्रांत ने भारतीय इतिहास में अपनी विशेष भूमिका निभाई है। लेकिन खेद की बात है कि सिख गुरुओं के जीवन के बारे में सेकुलरों द्वारा भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। संघ के पंजाब प्रान्त कार्यवाह श्री देवेन्द्र गुप्ता ने समापन भाषण में कहा कि आज विद्यार्थियों को अंग्रेजों, वामपंथियों और सेकुलरों द्वारा लिखा विकृत इतिहास पढ़ाया जा रहा है। इससे अलगाववादी तत्वों के हौंसले बढ़े हैं। प्रतिनिधिमध्य प्रदेशश्रीगुरुजी की दृष्टि में राष्ट्र सर्वोपरि थाविनोद कुमार क्षेत्र प्रचारक, रा.स्व.संघ, मध्य क्षेत्रगत दिनों शिवपुरी (म.प्र.) में श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति का गठन किया गया। समिति के गठन के बाद एक गोष्ठी आयोजित हुई। इस अवसर पर सैकड़ों स्वयंसेवक एवं गण्यमान्यजन उपस्थित थे।गोष्ठी के मुख्य वक्ता थे रा.स्व.संघ, मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रचारक श्री विनोद कुमार। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि श्रीगुरुजी सिद्धान्तों पर अडिग रहने वाले महापुरुष थे। श्रीगुरुजी ने समाज में व्याप्त छुआछूत, जाति प्रथा और अन्य भेदभावों को समाप्त कर सामाजिक समरसता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही नहीं, उन्होंने राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए राष्ट्र उत्थान में स्वयं को समर्पित कर दिया। विजय शर्मा16
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