|
स्थानीय जनता ने भारतीय उच्चायुक्त वीणा सीकरी को नायक बनाया
बंगलादेश में अनेक स्थानों की रथयात्राएं प्रसिद्ध हैं, लेकिन उनमें भी धामराई की रथयात्रा को विशेष ख्याति मिली है। यह यात्रा सैकड़ों वर्ष पुरानी बताई जाती है। 100 साल पहले यहां सातुरिया बलीयाती जमींदारों ने चार मंजिला विशाल रथ निर्मित किया था। 1971 में पाकिस्तानी सेना ने उस रथ को जला दिया। उसके बाद स्थानीय नागरिकों ने अपने श्रम से नया रथ बनाया। इस वर्ष ढाका में भारत की उत्साही उच्चायुक्त श्रीमती वीणा सीकरी ने भारत की ओर से पुराने वैभव और गरिमा वाले रथ को बनाकर देने का वायदा किया है।
धामराई की रथयात्रा में आस-पास के हजारों लोग इकट्ठे होते हैं। एक महीने तक मेला चलता है। यहां हिन्दुओं के उत्सवी उत्साह और रंग का बहुत लुभावना और सुहावना दृश्य देखने को मिलता है। रथ में स्थानीय जसो माधो मंदिर से कृष्ण, बलभद्र और गणेश की प्रतिमाएं लाकर स्थापित की जाती हैं। 9 दिन तक रथ की मूर्तियां एक दूसरे मंदिर में हर शाम स्थानांतरित कर पूजा और अनुष्ठान की विधि पूर्ण की जाती है।
इस वर्ष रथ यात्रा में बंगलादेश के सूचना मंत्री को उद्घाटन के लिए और भारतीय उच्चायुक्त श्रीमती वीणा सीकरी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। विशेष अतिथि थे स्थानीय बी.एन.पी. सांसद बैरिस्टर जिया उर रहमान, हिन्दू बौद्ध क्रिश्चियन ऐक्य परिषद के अध्यक्ष मेजर जनरल (अवकाश प्राप्त) चित्तरंजन दत्त एवं ऐक्य परिषद के महासचिव प्रो. निमाई चन्द्र भौमिक। इस अवसर पर भारतीय उच्चायुक्त पूरे कार्यक्रम की मुख्य नायक बनकर उभरीं। जैसे ही वे मंच पर आईं हजारों लोगों की भीड़ ने अपार करतल ध्वनि के साथ उनका स्वागत किया। ऐसा स्वागत किसी भी दूसरे अतिथि को नसीब नहीं हुआ। यह देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया कि उपस्थित भीड़ “वीणा सीकरी जिन्दाबाद” के नारे लगा रही थी। निश्चित रूप से वीणा सीकरी ने स्थानीय लोगों में विशेष लोकप्रियता हासिल की है। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह उत्सव भारत और बंगलादेश, पुरी और धामराई की मैत्री का उत्सव है, जो दोनों देशों की सभ्यताओं का मिलन बिन्दु है। मैं वायदा करती हूं कि अगले वर्ष तक भारत की ओर से आपको पहले जैसा ही विशाल रथ प्राप्त हो जाएगा। यह सुनते ही उपस्थित जनसमुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई और हजारों की भीड़ ने तालियां बजाकर उनका अभिनंदन किया।
अगले अंक में ढाका स्थित प्रसिद्ध मां ढाकेश्वरी मंदिर के दर्शन। ढाका में गुरु तेगबहादुर की स्मृति को संजोए नानकशाही गुरुद्वारे का परिचय और बंगलादेश सरकार द्वारा उपेक्षित मुक्ति योद्धा संग्रहालय की कथा।साथ में विशेष, बंगलादेश की सत्तारूढ़ पार्टी के संयुक्त महासचिव, गयेश्वर राय से रमणाकाली मंदिर और हिन्दुओं की स्थिति पर साक्षात्कार
12
टिप्पणियाँ