दिल्ली में तृतीय चमनलाल स्मृति व्याख्यान
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

दिल्ली में तृतीय चमनलाल स्मृति व्याख्यान

by
Sep 4, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 04 Sep 2006 00:00:00

हिन्दुत्व के मूल्य दिखाएंगे दुनिया को राह- प्रतिनिधिश्री मार्क टली भारत में जन्मे ऐसे बी.बी.सी. पत्रकार रहे हैं जिन्होंने यहां के समाज और सभ्यतामूलक चरित्र को समझा है। इसलिए वैश्विक हिन्दुत्व के समन्वयवादी संत पुरोधा स्व. चमनलाल जी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करना स्वाभाविक ही था। अपने सारगर्भित व्याख्यान में, जो मूलत: 45 मिनट का था परन्तु जिसे उन्होंने 25 मिनट में ही पूर्ण किया, व्यापक हिन्दुत्व की जो अवधारणा उन्होंने समझी और सराही है उसके बारे में स्पष्ट विचार व्यक्त किए। श्री मार्क टली ने 6 दिसम्बर के दिन अयोध्या में हुई घटना की आलोचना भी की और कहा कि उस दिन उन्हें कट्टर हिन्दुत्ववादियों से धक्का-मुक्की भी सहनी पड़ी। उन्होंने भाषण के बाद श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए जिसमें जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अगले जन्म में हिन्दू के रूप में पैदा होना चाहेंगे तो उन्होंने कहा, “अगर मैं भारत में पैदा होता हूं और हिन्दू के रूप में पैदा होता हूं तो मुझे आनंद होगा।” लेकिन इसके साथ उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे इस जन्म में ईसाई के रूप में पैदा हुए हैं और अपने ईसाई होने पर उन्हें खुशी है।गत 25 मार्च को अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र द्वारा राष्ट्रीय संग्रहालय सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लालकृष्ण आडवाणी उपस्थित थे और अध्यक्ष के नाते पूर्व विदेश सचिव श्री ए.पी. वेंकटेश्वरन। श्रोताओं में पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह, पूर्व राज्यपाल श्री केदारनाथ साहनी, वरिष्ठ पत्रकार श्री वेदप्रताप वैदिक, इंडिया फस्र्ट फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष पूर्व सांसद श्री दीनानाथ मिश्र सहित बड़ी संख्या में लेखक, बुद्धिजीवी व पत्रकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार श्री विजय क्रांति ने किया।पद्म विभूषण श्री मार्क टली ने अपने व्याख्यान के आरंभ में कहा कि न तो मैं रा.स्व.संघ से जुड़ा हूं और न ही हिन्दू हूं, फिर भी मुझे चमनलाल स्मृति व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बुलाकर आयोजकों ने उस उदारता और खुलेपन का परिचय दिया है जो भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण गुण है। उन्होंने कहा कि इसी उदारता के कारण यहां दुनिया के महान धर्म-पंथों के अनुयायी सौहार्दपूर्वक रहते हैं। चमनलाल जी ने इसी संस्कृति को रा.स्व.संघ के माध्यम से दुनियाभर में प्रसारित किया है। पश्चिम को भारत से यह सीखना चाहिए। यहां विभिन्न मत-पंथों और विचारधाराओं को मानने वालों में परस्पर संवाद होता है जो दूसरे देशों में नहीं दिखता। यही है भारतीय संस्कृति जिसकी मैं सराहना करता हूं।कुछ समय पूर्व चेचन्या में हुई हिंसक घटना, जिसमें एक स्कूल में बच्चों को बंधक बनाया गया था और गोलीबारी में कई बच्चे मारे गए थे, का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ईसाई संस्कृति में उग्रता दिखाई देती है, जहां संवाद का कोई स्थान नहीं है। लेकिन भारत में मेरी नजर में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो दूसरे की मान्यता के विरोधी हैं, जो अतिवादी हैं। इस कारण भारत में सेकुलरवादियों और हिन्दुत्वनिष्ठों के बीच कई अवसरों पर उग्र विवाद होता है। श्री मार्क टली ने कहा, “मेरे विचार से हिन्दुत्व सभी के प्रति प्रेम और उदारता की बात करता है। हिन्दुत्व में मजहबी राज्य की कल्पना नहीं है। हिन्दुत्व के इन महान मूल्यों को संरक्षित रखना चाहिए। अन्य मत-पंथों में बुराई नहीं, अच्छाई देखनी चाहिए।”उन्होंने इस बात का लगभग खण्डन किया कि ईसाइयत की मुख्यधारा किसी को मतान्तरित करने में विश्वास रखती है। इस्लाम की चर्चा करते हुए श्री मार्क टली ने कहा कि इस्लाम में भी कट्टरता है, पर भारत में इस्लाम के अनुयायियों को अपने मजहब के अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता है। जबकि फ्रांस में तो स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं को उनके मजहब के अनुसार सिर पर कपड़ा नहीं ढंकने दिया जाता। उन्होंने कहा कि 6 दिसम्बर को अयोध्या में कुछ कट्टर हिन्दुत्ववादियों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। लेकिन, उनका कहना था, “हिन्दुत्व केवल उन लोगों का नहीं है जिन्होंने अयोध्या में मेरे साथ दुव्र्यवहार किया। मैं इसे हिन्दुत्व का मापदण्ड नहीं मानता।” आज के वैश्विक संदर्भ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व पर खतरा किसी अन्य मत-पंथ का नहीं, बल्कि भौतिकवाद और उसे फैलाने वाले उपभोक्तावाद का है। गीता में भी भगवान कृष्ण ने लोभ-लालच का त्याग करने को कहा है। अगर हम आपसी संवाद को महत्व नहीं देंगे तो भौतिकवाद के पाश में फंसते जाएंगे।श्री मार्क टली के अनुसार, इस वक्त भारत की प्रगति में दो प्रमुख बाधाएं हैं- 1. प्रशासनिक भ्रष्टाचार, और 2. विस्तृत संदर्भों के अनुसार नौकरशाही में सुधार की कमी। भारत में प्रशासनिक अधिकारी सोचते हैं कि वे देश की सेवा नहीं बल्कि उस पर शासन करते हैं। अगर भारत इन दो बिन्दुओं पर सुधार करे तो दुनिया में वह एक सर्वोत्तम लोकतंत्र के रूप में पहचाना जाएगा।कार्यक्रम के अंतिम चरण में श्रोताओं ने उनसे कई प्रश्न पूछे। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में जिस तरह का सामाजिक खुलापन है और संवाद को महत्व दिया जाता है, वह दुनिया को सीखना चाहिए क्योंकि आज हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहां हर संस्कृति खुद को विलक्षण मानती है और अन्य संस्कृतियों पर अपने को हावी करना चाहती है।उनसे एक अन्य प्रश्न पूछा गया- “अगर आप भारत में जन्म लें तो क्या आप हिन्दू के रूप में जन्म लेना पसंद करेंगे? क्या आप सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में विश्वास करते हैं?” श्री मार्क टली ने जवाब दिया कि “मैंने भारत से कई चीजें सीखी हैं और उनमें से एक है कि आप अपने भाग्य पर या कहें “कर्म” पर भरोसा रखें। मैं एक ऐसे स्कूल में पढ़ा हूं जहां मुझे हर क्षेत्र में सर्वोत्तम बनने की शिक्षा दी गई। मैं इस प्रवृत्ति को सही नहीं मानता। महत्वपूर्ण यह है कि आप अपने को पहचानें कि आप आखिर हैं कौन। अत: अगर मैं भारत में पैदा होता हूं और हिन्दू के रूप में पैदा होता हूं तो मुझे हिन्दुत्व को अपनाने में आनंद होगा। लेकिन मैं यहां यह भी कहना चाहूंगा कि मैं ईसाई के रूप में पैदा हुआ हूं, ईसाई हूं और इस जन्म में ईसाई होने पर मुझे बहुत खुशी है।” सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के संबंध में उनका कहना था कि हर देश की अपनी संस्कृति है, जिसका अपना महत्व होता है। परन्तु दुनिया में आज बदलाव और परंपराओं में संतुलन नहीं दिखता। स्वस्थ समाज में बदलाव और परंपराओं पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए। परंपराएं तो निरन्तर आगे बढ़ती जाती हैं। इसलिए मैं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में विश्वास नहीं करता, पर संस्कृति और परंपराओं के प्रति आदर तथा बदलाव स्वीकारने की आवश्यकता में जरूर विश्वास करता हूं।प्रतिपक्ष के नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपने भाषण में कहा कि हिन्दुत्व के जो गुण श्री मार्क टली ने अपने व्याख्यान में बताए, हम रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक उन्हीं गुणों से प्रेरणा प्राप्त करते रहे हैं। बहुभाषी, बहुपांथिक, बहुलतावादी समाज वाला हमारा देश एक सफल लोकतंत्र के नाते गर्व से दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। भिन्न विचारधारा के प्रति सहिष्णुता का भाव हमारे लोकतंत्र को सजीव रखे है।श्री आडवाणी ने कहा कि हिन्दुस्थान की आम जनता धार्मिक है, आस्तिक है। लेकिन हमारे यहां चार्वाक जैसे संत को भी ऋषि कहा गया जिसने कहा था कि चाहे कर्जा लेना पड़े, परन्तु जिओ तो पूरे आनंद के साथ जिओ। लेकिन अगर पश्चिम का कोई वैज्ञानिक तक ईसाइयत की मान्यताओं के विरुद्ध कोई बात करता था तो उसे दंड दिया जाता था। सहिष्णुता की कसौटी धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में होती है और इस दृष्टि से भारत का दुनिया में एक विशिष्ट स्थान है। भारत ने जितनी उपलब्धि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अर्जित की, उतनी ही ख्याति अध्यात्म में प्राप्त की है। कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व विदेश सचिव श्री ए.पी. वेंकटेश्वरन ने कहा कि भारत का आर्थिक रूप से सबल होना अच्छा है, पर आध्यात्मिकता का भी उतना ही महत्व है। भारत की पहचान है अपने से दूसरे मत-पंथ का आदर करना।इससे पूर्व अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री श्याम परांडे ने रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. चमनलाल जी की स्मृति में प्रतिवर्ष होने वाली व्याख्यानमाला की जानकारी दी। देश-विदेश में स्व. चमनलाल जी के चाहने वालों की बड़ी संख्या है। श्री परांडे ने बताया कि किस प्रकार चमनलाल जी अपने सहज स्वभाव और दूसरे की चिंता करने की अपनी प्रकृति के कारण सबके प्रिय बन गए। अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र दुनिया के “इंडिजिनस” पंथों के बीच सांस्कृतिक सेतु का कार्य कर रहा है और इस कड़ी में 10 वर्षों में अब तक 12 कार्यक्रम देश-विदेश में आयोजित किए जा चुके हैं। अभी फरवरी में ही जयपुर में 41 देशों की मूल संस्कृतियों के विद्वानों का सांस्कृतिक एकत्रीकरण हुआ था, जिसमें ईसा पूर्व संस्कृतियों की एक ही मंच पर अद्भुत झलक मिली थी।28

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies