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रामप्रताप मिश्रगत 16 मार्च को देहरादून से लगभग 40 किलोमीटर दूर विकासनगर के नवाबगढ़ गांव में मुस्लिम युवकों ने डाक्टरगंज में रहने वाली श्रीमती निर्मला देवी की जमीन पर जबरन कब्जा जमाने की कोशिश की, जिससे क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव व्याप्त हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम उपद्रवियों ने थाने पहुंचकर पुलिस की मौजूदगी में ही सभी आरोपियों को छुड़ा लिया और वहां से वे सीधे ग्राम प्रधान चिरंजीव सिंह व श्रीमती निर्मला देवी के घर गए तथा हमला बोल दिया। इन लोगों ने मारपीट कर श्रीमती निर्मला देवी के घर रखे 23 हजार रुपये भी लूट लिए। यही नहीं, प्रधान चिरंजीव सिंह व निर्मला देवी के मकान में तोड़-फोड़ भी की। इसके बाद उन असामाजिक तत्वों ने दलित बस्ती में भी घंटों उत्पात मचाते हुए महिलाओं एवं युवकों की पिटाई की। गांव के मुख्य मार्ग पर स्थित आत्माराम यादव के घर में डा. उबेदुर्रहमान द्वारा चलाए जा रहे दवाखाने में रखीं दवा की बोतलें व फर्नीचर तोड़ दिया। इसके साथ ही श्रीमती दर्शनी देवी के मकान में भी तोड़-फोड़ की गईं। घटना में शामिल 40 लोगों को नामजद करने और लगभग 150 अज्ञात युवकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया। आरोपियों के बुलंद हौसले का अंदाजा इससे भी लगता है कि घटना के तीन दिन बाद क्षेत्रीय विधायक एवं वन मंत्री नवप्रभात की पत्रकार वार्ता के दौरान अधिकतर आरोपी वहां मौजूद थे लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी रही। क्षेत्र में व्याप्त तनाव को बढ़ाने में कांग्रेस ने पूरी मदद की। सद्भावना यात्रा को जानबूझकर प्रभावित क्षेत्र तक नहीं जाने दिया गया, जिससे दलितों में रोष व्याप्त है। सद्भावना यात्रा को नौटंकी बताते हुए हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने इसे काले झंडे दिखाए। मंच के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार का कहना है कि यदि क्षेत्रीय विधायक और प्रशासन की मंशा ठीक होती तो घटना को टाला जा सकता था। मुस्लिमबहुल इस गांव में सांप्रदायिक तनाव के बावजूद पुलिस द्वारा दलितों की सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए गए हैं। अब दलितों ने प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है।20
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