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इरोड में हिन्दू पुनर्जागरण सम्मेलनमिटे जातिभेद, जगे हिन्दू समाज-प्रतिनिधिगत 19 मार्च को इरोड की सड़कों पर लाखों लोग उमड़ पड़े, जो तमिलनाडु में हिन्दू नवजागरण का सन्देश प्रसारित करने वाले भारत भाग्य के नव रचनाकार थे। लगभग 3 लाख से ज्यादा प्रतिनिधि एकत्र हुए थे विशाल हिन्दू पुनर्जागरण सम्मेलन में। हजारों की संख्या में ग्राम पुजारियों ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन का आयोजन श्री गुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विश्व हिन्दू परिषद्, तमिलनाडु प्रदेश की ओर से किया गया। सम्मेलन में मतान्तरण एवं गोवध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने, श्री राममन्दिर निर्माण के लिए कानून बनाने, समान नागरिक संहिता लागू करने तथा इस्लामिक आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने की मांग केन्द्र सरकार से की गई। सम्मेलन में रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन, विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल, महासचिव डा. प्रवीण भाई तोगड़िया, पेरुर मठ के प्रमुख स्वामी श्री संथालिंग रामास्वामी आदिगल, कौमार मठ के पूज्य कुमारगुरुपर स्वामिगल, तिरुमनंडल मठ के प्रमुख स्वामी श्री काशीवासी मुथुकुमार स्वामिगल, रामकृष्ण मिशन के स्वामी श्री कमलात्मानंद, “आर्ट आफ लिविंग” के स्वामी सत्यजोत, नारायणी अम्मा सिद्ध पीठम की नारायणी अम्मा सहित अनेक संतों-महात्माओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जनता पार्टी के अध्यक्ष डा. सुब्रामण्यमस्वामी भी उपस्थित थे।गत 19 मार्च एक विशाल पंडाल में होम और यज्ञ के साथ सम्मेलन प्रारम्भ हुआ। उल्लेखनीय है कि सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए विश्व हिन्दू परिषद् ने श्री विश्वनाथ कक्कन को आमंत्रित किया था। श्री कक्कन अनुसूचित जाति से हैं। विशाल सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने कहा, “हिन्दू समाज तभी दुनिया में सम्मानपूर्वक जी सकेगा जब प्रत्येक हिन्दू स्वयं को सिर्फ हिन्दू के नाते पहचानेगा। हमें जातिगत भेद दूर कर हिन्दू के नाते संगठित होना होगा।”अपने सम्बोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी.सुदर्शन ने कहा कि हिन्दू सभ्यता के समान संसार में कोई सभ्यता नहीं है। हिन्दू चिन्तन ने सदैव आत्म तत्व को प्रमुखता दी है जबकि पश्चिमी चिंतन ने केवल मनुष्य शरीर को ही श्रेष्ठ माना है। पाश्चात्य चिंतन ने भौतिकवादी संस्कृति को जन्म दिया है। परिणामत: चारों ओर एक-दूसरे पर विजय पाने की प्रतिस्पर्धा चल रही है। हिन्दू चिन्तन ही सभी समस्याओं व संकटों का समाधान करेगा। इस अवसर पर अपने ओजस्वी उद्बोधन में स्वामी श्री संथालिंग रामास्वामी आदिगल ने कहा कि मन्दिर हमारी एकता के केन्द्र हैं और कथित वंचित वर्ग को भी मंदिरों में जाकर पूजा-पाठ करने का पूर्ण अधिकार है।डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की सरकारें बहुमत की भावनाओं का सदा ख्याल रखती हैं किन्तु भारत में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर हिन्दू भावनाओं को सरकारों ने सदैव आहत किया है। इस अवसर पर डा. सुब्रामणयमस्वामी, पूर्व आई.ए.एस.अधिकारी श्रीमती चन्द्रलेखा, स्वामी कमलात्मानंद, विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री एस. वेदान्तम, तमिलनाडु प्रदेश विश्व हिन्दू परिषद् के उपाध्यक्ष श्री आर.बी.एस.मनियन तथा बजरंग दल के संयोजक श्री आर.आर. गोपाल ने भी सम्मेलन को सम्बोधित किया। सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों ने पंक्तिबद्ध होकर इरोड शहर में भव्य पदयात्रा निकाली। लगभग 700 समूहों ने सम्मेलन के पहले दिन 18 मार्च को लगातार भजनों की प्रस्तुति कर लोगों का मन मोह लिया।35
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